युवाओं के विभिन्न वर्गों के लिए उम्मीद की एक किरण जगी है। फतेहाबाद के इंदाछोई गाँव की काजल ने ओबीसी श्रेणी में 293 वीं रैंक हासिल की। वह एक सीमांत किसान की बेटी हैं और कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में कुछ बड़ा करना चाहती हैं।
काजल ने कहा कि हमारे पास आईआईटी की कोचिंग लेने लायक संसाधन नहीं थे। सुपर-100 कार्यक्रम मेरे लिए आशीर्वाद के रूप में आया है। सिरसा के मुन्नावाली गाँव के सीमांत किसान के बेटे प्रवीण ने एससी वर्ग में 434वीं रैंक हासिल की। प्रवीण ने कहा कि सुपर-100 कार्यक्रम से पहले वह आईआईटी के बारे में नहीं जानते थे। उन्होंने कहा कि मेरी योजना कम्प्यूटर साइंस या सिविल इंजीनियरिंग में आगे बढऩे की है।
हिसार के मुवनपुरा गाँव के रहने वाले एक दलित छात्र साहिल ने एससी वर्ग में 871वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने कहा कि मैं कंप्यूटर विज्ञान में आगे जाना चाहता हूँ। मैं उन लोगों का शुक्रगुज़ार हँू, जिन्होंने मुझे सुपर-100 कार्यक्रम के बारे में बताया। हरियाणा के स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव महावीर सिंह ने कहा कि यह एक सपने के सच होने जैसा है। दलित वर्गों के छात्र आईआईटी में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सुपर-100 कार्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं और इसमें कटऑफ 80 फीसदी है। हम उन्हें रेवाड़ी और पंचकुला में प्रशिक्षित करते हैं।
सुपर-100 योजना की योजना हरियाणा सरकार ने बनायी है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य ऐसे मेधावी छात्र हैं, जिन्होंने 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की है। योजना का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मुफ्त कोचिंग कार्यक्रम प्रदान करना है, ताकि वे जेईई, आईआईटी और एनईईटी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। इसके अलावा यह योजना छात्रों को एक बोर्डिंग सुविधा भी प्रदान करेगी।
क्या है सुपर-100
वर्ष 2018 में विकास फाउण्डेशन के संस्थापक नवीन मिश्रा (रेवाड़ी) ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, हरियाणा को सुपर-100 योजना के विचार का प्रस्ताव दिया। डीएसई के तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक राजीव रतन ने इस योजना की सराहना की; क्योंकि यह योजना सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए लाभकारी लगी और योग्य छात्रों को अवसर दे सकने में सक्षम दिखी। लिहाज़ा इसे तुरन्त हरी झंडी दे दी गयी। फिर 10 जून, 2018 को इसके लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की गयी, जिसमें 10वीं बोर्ड में 80 फीसदी से ज़्यादा स्कोर करने वाले 5000 छात्रों ने हिस्सा लिया। इस परीक्षण का दूसरा दौर जुलाई में आयोजित किया गया था, जिसमें उन 5000 छात्रों में से 500 को अन्तिम दौर के लिए छाँटा गया। इसके बाद पाँच बैच गठित किये गये, जिसमें 100 छात्रों को शामिल किया गया, जो लगातार पाँच दिन तक विकास फाउंडेशन के मार्गदर्शन में अन्तिम परीक्षा के लिए तैयारी करते रहे।
आखिर में 200 छात्रों ने अन्तिम परीक्षा उत्तीर्ण की और सुपर-100 के हरियाणा के पहले बैच का गठन किया, जिसने अगस्त, 2018 में उड़ान भरी थी। उन्हें पंचकूला और रेवाड़ी के दो अलग-अलग केंद्र आवंटित किये गये, जहाँ न केवल ट्यूशन नि:शुल्क थी, बल्कि उनके भोजन और आवास भी सुविधा भी थी। डाइट केंद्र में सरकार ने उनका ध्यान रखा। किसी भी अन्य शैक्षणिक योजना की तरह सुपर-100 को भी शुरुआत में कुछ अड़चनों का सामना करना पड़ा; क्योंकि ये छात्र हिन्दी माध्यम की पृष्ठभूमि से आये थे; जबकि आईआईटी / नीट परीक्षा अंग्रेजी आधारित थी। अब ये छात्र अन्य अंग्रेजी बोलने वाले निजी कोचिंग केंद्रों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं। हाल के नतीजे इसे मज़बूती प्रदान करते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सुपर-100 कार्यक्रम उन वंचित छात्रों के लिए एक वरदान साबित हुआ है, जो निजी संस्थानों की महँगी कोचिंग फीस नहीं दे सकते थे और अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते थे। इस योजना से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का भी लाभ मिला है; क्योंकि आईआईटी के शीर्ष दो स्कोरर लड़कियाँ हैं। सिमरन, जिन्होंने 99.47 फीसदी स्कोर किया और काजल, जिन्होंने 99.31 फीसदी स्कोर किया। दोनों लड़कियाँ गरीब परिवारों से हैं जहाँ एक लडक़ी के पिता लकवाग्रस्त हैं और उन्हें अपने भविष्य को लेकर बहुत कम उम्मीद थी।
अब अनेक माता-पिता सुपर-100 योजना का हिस्सा बनने के लिए अपनी बेटियों को भेजने के लिए तैयार हैं। देश के कई राज्य युवाओं की क्षमता को पूरा करने के लिए इसी तरह की योजनाएँ शुरू करने की तैयारी में हैं; जो क्षमता के होते हुए भी मोटी फीस और महँगे बोर्डिंग की वजह से शीर्ष संस्थानों में नहीं जा पाते।
सुपर-100 गणित रामानुजन स्कूल ऑफ गणित, पटना के बैनर तले शुरू किये गये सुपर-30 कार्यक्रम से ऊँचाइयों पर आया। इसकी स्थापना गणित के शिक्षक आनंद कुमार ने की थी। समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों से प्रत्येक वर्ष 30 प्रतिभाशाली उम्मीदवारों का चयन करने के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया था और उन्हें जेईई के लिए प्रशिक्षित किया गया था। सन् 2002 में आनंद कुमार ने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों से 30 प्रतिभाशाली छात्रों को चुनने की योजना के साथ सुपर-30 की शुरुआत की, जो आईआईटी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते थे। आनंद कुमार की माँ जयंती देवी ने छात्रों के लिए स्वेच्छा से खाना पकाने का फैसला किया, जबकि आनंद कुमार और अन्य शिक्षकों ने पढ़ाने का ज़िम्मा उठाया। छात्रों को अध्ययन सामग्री और आवास भी एक वर्ष के लिए नि:शुल्क प्रदान किये गये।
कोचिंग के पहले वर्ष में 30 छात्रों में से 18 ने आईआईटी में प्रवेश किया। अगले वर्ष कार्यक्रम की लोकप्रियता के कारण आवेदन संख्या बढ़ गयी और 30 छात्रों का चयन करने के लिए एक लिखित परीक्षा आयोजित की गयी। सन् 2004 में 30 में से 22 छात्रों ने आईआईटी-जेईई के लिए अर्हता प्राप्त की, जिससे कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ गयी। इसने और अधिक अनुप्रयोगों का रास्ता खोला। सन् 2005 में 30 में से 26 छात्रों ने आईआईटी / जेईई की मुख्य परीक्षा पास की; जबकि सन् 2006 में 28 सफल रहे। अगले साल 28 और छात्रों और 2008 में सुपर-30 के सभी छात्रों ने आईआईटी / जेईई की परीक्षा पास की।
कुमार के कुछ पूर्व छात्र सुपर-30 शिक्षकों के रूप में शामिल हुए और 2009 और 2010 में सभी 30 छात्रों ने फिर से आईआईटी / जेईई परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद के वर्षों में 30 छात्रों की सफलता की दर इस तरह थी- सन् 2011 (24 उत्तीर्ण), सन् 2012 (27 उत्तीर्ण), सन् 2013 (28 उत्तीर्ण), सन् 2014 (27 उत्तीर्ण), सन् 2015 (25 उत्तीर्ण) और सन् 2016 में (28 उत्तीर्ण), जबकि सन् 2017 में सभी सुपर 30 उम्मीदवारों ने आईआईटी / जेईई में प्रवेश किया। सन् 2018 में, 30 छात्रों में से 26 ने परीक्षा पास की और आईआईटी का सफर तय किया। उसी वर्ष सुपर-100 अवधारणा को हरियाणा में एक व्यावहारिक आकार दिया गया। परिणाम यह कि हाशिये पर रहने वाले परिवारों और उनके बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए यह आशा की एक चमकदार लौ है।