संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदस्यों ने लोकसभा में सरकार से पूछा कि सदन के सदस्य और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला कहां हैं। इस मौके पर लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने विपक्ष पर हमला बंद करो, फारुक अब्दुल्लाजी को रिहा करो के नारे भी लगाए। उधर पीएम मोदी ने राज्यसभा को संबोधित करत हुए कहा कि स्थायित्व और विविधता इस सदन की सबसे बड़ी खासियत है।
लोक सभा में सत्र की शुरुआत होते ही राष्ट्रगान के बाद फारुक अब्दुल्ला से जुड़ा मामला टीएमसी के सदस्य सौगत रॉय ने उठाया। उन्होंने सवाल किया ”सर फारुक अब्दुल्ला यहां पर नहीं हैं”, इस पर स्पीकर ने कहा कि पहले नये सदस्यों को शपथ लेने दें। बाद में लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने ‘विपक्ष पर हमला बंद करो, फारुक अब्दुल्लाजी को रिहा करो’, के नारे लगाए। याद रहे अब्दुल्ला ७ अगस्त के बाद से कश्मीर में नजरबन्द हैं।
उधर पीएम मोदी ने २५०वें सत्र में राज्यसभा को संबोधित करत हुए कहा – ”स्थायित्व और विविधता इस सदन की सबसे बड़ी खासियत है। राज्य सभा के सत्र के दौरान मैं यहां उपस्थित सभी सांसदों को बधाई देता हूं। २५० सत्रों की ये जो यात्रा चली है, उसमें जिन-जिन सांसदों ने योगदान दिया है वो सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। मैं उनका आदरपूर्वक स्मरण करता हूं।”
महाराष्ट्र में भले एनसीपी भाजपा की साथी शिव सेना के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर रही हो, पीएम मोदी ने अपने भाषण में एनसीपी की तारीफ़ की कि उसके और बीजेडी के सदस्यों ने यह तय किया हुआ है कि वे वेल में नहीं आएंगे। मोदी ने कहा कि यह सम्मान योग्य फैसला है और इससे इन दलों का कद छोटा नहीं हो गया। ”हम सभी को इससे सीख लेनी चाहिए।” वैसे पीएम मोदी के एनसीपी की तारीफ़ करने को महाराष्ट्र से जोड़कर देखा जा रहा है।