लोक सभा के मई में हुए चुनाव में ईवीएम में कथित धांधली के आरोप के साथ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी है। इस याचिका में दावा किया गया है कि ५४२ निर्वाचन क्षेत्रों में ३४७ सीटों पर मतदान और मतगणना में विसंगतियां थीं।
यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सर्वोच्च अदालत में दायर की है। इसमें मांग है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह किसी भी चुनाव के अंतिम फैसले की घोषणा से पहले वोट डाटा का वास्तविक और सटीक मिलान स्थापित करे। साथ ही इसमें २०१९ के लोकसभा चुनाव परिणामों से संबंधित आंकड़ों में सामने आईं ऐसी सभी गड़बड़ियों की जांच की भी मांग की है।
इस याचिका में चुनाव आयोग की चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा गया है कि कई मौकों पर चुनाव आयोग ने २०१९ के लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद अपनी वेबसाइट के साथ-साथ अपने ऐप – माई वोटर्स टर्नआउट – में मतदान का डाटा बदला था।
याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि डाटा में किए गए यह फेरबदल गड़बड़ियां छिपाने के लिए गए हो सकते हैं। याचिका के मुताबिक विशेषज्ञों की एक टीम ने याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में पड़े मतों की संख्या और गिने गए मतों की संख्या के बीच गड़बड़ियों का अध्ययन किया। यह अध्ययन २८ मई और ३० जून, २०१९ को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के साथ-साथ उसके ऐप – माय वोटर्स टर्नआउट ऐप – पर बेस्ड था।
याचिका के मुताबिक इन दो आंकड़ों पर याचिकाकर्ता की नजर में निष्कर्ष निकलता है कि ५४२ निर्वाचन क्षेत्रों में ३४७ सीटों पर मतदान फिगर और मतगणना फिगर में विसंगतियां थीं। विसंगतियां एक वोट से १,०१,३२३ वोट तक हुई हैं। छह सीटें ऐसी हैं, जहां वोटों में विसंगति जीत के अंतर से अधिक है। याचिका के मुताबिक विसंगतियों के कुल वोट ७,३९,१०४ हैं।
याचिकाकर्ता की मांग है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह किसी भी चुनाव के अंतिम फैसले की घोषणा से पहले वोट डाटा का वास्तविक और सटीक मिलान स्थापित करे। याचिका में २०१९ के लोकसभा चुनाव परिणामों से संबंधित आंकड़ों में सामने आईं ऐसी सभी गड़बड़ियों की जांच की भी मांग की गयी है।