दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत डेमोक्रेसी इंडेक्स में 10 पायदान फिसलकर 51वें स्थान पर चला गया है। इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की 2019 की रिपोर्ट से यह ज़ाहिर हुआ है। लेकिन कोई गलती न करें; बांग्लादेश इस रिपोर्ट में 80वें, जबकि पाकिस्तान 108वें पायदान पर है। भारत का सम्पूर्ण स्कोर (गणना) 2018 के 7.23 से गिरकर 2019 में 6.90 हो गया है, जो 165 स्वतंत्र देशों और दो क्षेत्रों के लिए दुनिया भर में लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति का एक स्वरूप सामने लाता है। कुल स्कोर के आधार पर, देशों को चार प्रकार के शासन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। पहला- पूर्ण लोकतंत्र (8 से अधिक स्कोर), दूसरा- त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र (6 से 8 के बीच स्कोर), तीसरा- हाइब्रिड शासन (4 से 6 के बीच स्कोर) और चौथा- अधिनायकवादी शासन (4 से कम या बराबर स्कोर)। इस तरह सूचकांक भारत को ‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’ की श्रेणी में रखता है।
लोगों में आज़ादी का भय, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाना, नागरिकता संशोधन कानून बनाना, इंटरनेट पर प्रतिबन्ध, डिजिटल इस्तेमाल पर रोक, पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य नेताओं की नज़रबंदी को भारत के लोकतंत्र सूचकांक में नीचे गिरने को मुख्य वजह बताया गया है। रिकॉर्ड के लिए भारत पिछले साल 41वें स्थान पर था और 2014 में तो भारत कहीं बेहतर 27वें पायदान पर था। यह गिरावट एक सत्तावादी शासन की ओर इशारा करती है। वार्षिक सर्वेक्षण पाँच मुख्य बिन्दुओं- लोकतंत्र की स्थिति, चुनावी प्रक्रिया, बहुलवाद, सरकारों के कामकाज, लोकतांत्रिक संस्कृति और नागरिक स्वतंत्रता पर आधारित है।
यह सर्वेक्षण रिपोर्ट वैश्विक लोकतंत्र के लिए एक बुरी खबर है; क्योंकि इससे ज़ाहिर होता है कि पिछले एक साल में दुनिया भर में लोकतंत्र में गिरावट दर्ज की गयी है। साल 2006 में सूचकांक के शुरू होने के बाद से वैश्विक स्कोर इस बार 10 में से 5.44 दर्ज किया गया, जो सबसे कम है। सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया की एक-तिहाई आबादी आज भी तानाशाही शासकों के बीच जीवन बिता रही है। यहाँ इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि एक त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र देश की अर्थ-व्यवस्था गड़बड़ा सकती है। निश्चित ही लोकतंत्र सूचकांक में भारत का ग्राफ गिरने से हर भारतीय आहत होगा; क्योंकि लोकतंत्र सूचकांक की गणना प्रसिद्ध संस्था- इकोनॉमिस्ट और इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट ने की है।
समय आ गया है जब हम ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की राह पर चलें। भारत में लोकतंत्र का गिरते ग्राफ से सबक लेकर जीवंत लोकतंत्र बनाने का सबसे मज़बूत स्तम्भ बना सकते हैं। भारत में लोकतंत्र सूचकांक सुधरना चाहिए। क्योंकि हम उन चुनिंदा देशों में हैं, जिनके पास एक मज़बूत लोकतंत्र है। यह रिपोर्ट खतरे का एक निशान है, जो हर पल यह याद दिलाएगा कि हमें अपने लोकतंत्र सूचकांक में गिरावट के िखलाफ सतर्क रहना होगा; क्योंकि हमने मुश्किलों से इसे हासिल किया है। अब हम इसे तबाह या कमज़ोर होते नहीं देख सकते और न ही किसी को इसे कमज़ोर करने की इजाज़त दे सकते हैं।