कोविड-19 और लॉक डाउन के चलते राजनीति में जो ठहराव सा आ गया था, उसे ख़त्म करते हुए कांग्रेस ने विपक्ष को एक बार फिर मोदी सरकार के ख़िलाफ सक्रिय करने की पहल की है। कांग्रेस के नेतृत्व में हुई इस बैठक में २२ विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया। सोनिया गांधी ने बैठक में मोदी सरकार के लॉक डाउन लागू करने के तरीके को बिना तैयारी का फैसला बताया और आर्य ठीक पैकेज को लेकर भी मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार किया।
यूपी की दो पार्टियों बसपा और सपा ने इस बैठक से किनारा किया, जिसका कारण कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की यूपी में जबरदस्त सक्रियता को बताया जा रहा है। अन्य बड़े नेताओं के आलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, डीएमके नेता एमके स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस बैठक में उपस्थित रहे, हालाँकि दिल्ली में सत्तारूढ़ आप को बैठक में आमंत्रित ही नहीं किया गया था।
इस बैठक में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया गया लॉक डाउन का फैसला तो ठीक था लेकिन उसे सही तरीके से नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास कोइ ”एग्जिट प्लान” नहीं था जिससे यह मजाक बन कर रह गया। सिर्फ ४ घंटे के नोटिस पर किया गया जिससे करोड़ों लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ी।
गांधी ने कहा कि लॉक डाउन का हमने भी समर्थन किया लेकिन सरकार ने बिना योजना इसे लागू कर दिया किया जिससे यह करोड़ों लोगों की मुसीबत बन गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि मोदी सरकार का घोषित २० लाख करोड़ का पैकेज भी देश के लिए मजाक ही साबित हुआ है।
सोनिया ने कहा कि सारी ताक़तें अब एक दफ्तर में सिमटकर रह गई हैं और इसका नाम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) है। सोनिया ने कहा – ”संघवाद की भावना हमारे संविधान का अटूट अंग है, लेकिन इसे भुला दिया गया है।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है और हर अर्थशास्त्री इस बात को कह रहा है कि इस समय बड़े वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की ज़रूरत है लेकिन प्रधानमंत्री का घोषित २० लाख करोड़ का पैकेज देश के लिए मजाक साबित हुआ है। उन्होंने आरोप लगया कि वर्तमान सरकार के पास मुसीबतों का कोई हल न होना चिंताजनक है लेकिन ग़रीबों और कमजोरों के लिए किसी तरह की हमदर्दी या दया न होना बहुत ही निराश करता है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के अलावा देश की आबादी के १३ करोड़ ग़रीब लोगों को बेदर्द तरीक़े से नज़रअंदाज कर दिया गया है। इसमें किराये पर खेती करने वाले किसान, नौकरी से निकाले गए लोग, दुकानदार और ख़ुद का काम करने वाले शामिल हैं। सोनिया ने कहा कि प्रधानमंत्री को लगता था कि वायरस के ख़िलाफ़ यह जंग २१ दिन में ख़त्म हो जाएगी, लेकिन वह ग़लत निकले। ऐसा लगता है कि यह वायरस तब तक रहेगा, जब तक इसकी वैक्सीन नहीं मिल जाती। मेरा यह मानना है कि सरकार लॉकडाउन को लेकर निश्चित नहीं थी और न ही उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति है।
बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन के दो लक्ष्य हैं, बीमारी को रोकना और आने वाली बीमारी से लड़ने की तैयारी करना। लेकिन आज संक्रमण बढ़ रहा है और हम लॉकडाउन खोल रहे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि एकाएक बग़ैर सोचे किए गए लॉकडाउन से सही नतीजा नहीं आया। लॉकडाउन से करोड़ों लोगों को ज़बरदस्त नुक़सान हुआ है। अगर आज उनकी मदद नहीं की गई, अगर उनके खातों में ७५०० रुपये नहीं डाले गए, राशन का इंतज़ाम नहीं किया गया, प्रवासी मज़दूरों, किसानों और एमएसएमई की मदद नहीं की गई तो आर्थिक तबाही हो जाएगी।