कोविड-19 ने हर चीज़ को प्रभावित किया है। ऐसे में फैशन कैसे अछूता रह सकता है। 1985 में युवा दिलों की धडक़न ब्रायनर ने अपनी फिल्म में एक बोल्ड अवतार गंजा दिखने वाले पहले बाल्ड हॉलीवुड सेलिब्रिटी बन गये थे। अब साढ़े तीन दशक बाद फिर उसी लुक ने धमाकेदार वापसी की है। लेकिन इस बार यह लोगों की मजबूरी की वजह से ज़रूरत बन गया। लॉकडाउन यानी तालाबन्दी के दौरान सैलून और नाई की दुकानें बन्द होने से पुरुष घर पर ही अपना सिर मुँडवा रहे हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बोल्ड, गंजा लुक तेज़ी से ट्रेंड कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इसे घरों में पत्नियाँ, माताएँ और बहनें बाल काटने वाले के रूप में एक्सपर्ट हो रही हैं।
मिलिए लखनऊ के रहने वाले हैदर से, जिनकी तीन पीढिय़ों ने कुछ दिन पहले ही गंजा और खूबसूरत लुक अपनाया था। सैयद अमीर हैदर अस्सी के दशक के एक वरिष्ठ राजनेता और वकील हैं। उनके बेटे जीशान उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता हैं और तीसरी पीढ़ी के ट्रेंडी बाल्ड उनके दो बेटे- सात और 11 साल के हैं। ये सभी एक साथ बैठे और अपना सिर मुँडवा लिया।
जीशान ने सिर पर हाथ फेरते हुए बताया- ‘मैं इसे प्यार कर रहा हूँ। यह बहुत अच्छा है।’ उन्होंने कहा कि इस टकला पहल का नेतृत्व करने के बाद कई दोस्तों से कहा है कि उन्हें भी सूट करेगा, और वे भी इसे अपना रहे हैं।
गंजा होने का निर्णय इंजीनियरिंग के तीन छात्रों ने संयुक्त रूप से लिया गया था। एनआईटीएम, बीबीडी, लखनऊ से सिविल इंजीनियरिंग करने वाले सैयद जॉन अब्बास ने अपने दोस्तों- सिद्धार्थ और साहू के साथ, जो कि अलग-अलग इंजनियंरिग कॉलेज से पढ़ाई कर हैं; के साथ सिर मुँडवा लिया। यानी एक ही समय में तीनों गंजे हुए। उन्होंने अपने अनुभव को बाकायदा सोशल मीडिया पर लाइव साझा किया। गंजा होने के लिए उन्होंने ट्रिमर का इस्तेमाल किया।
इतना ही नहीं, जॉन ने तो अपने बाल मुँडवाने के आठ फायदे गिना दिये, जो इस प्रकार हैं :-
- सिर की त्वचा अब साफ है।
- डैन्ड्रफ अब कोई मुद्दा नहीं।
- तेज़ी से बढ़ती गर्मी से राहत।
- अब पहले से बेहतर बाल आएँगे।
- ट्रेंडिंग का हिस्सा बनने की खुशी।
- अब जब तक न चाहो नाई के पास जाने की ज़रूरत नहीं।
- संकट के समय में किसी भी तरह के संक्रमण से बचाव।
- लॉकडाउन के चलते कोई मज़ाक भी नहीं बना सकता।
दिल्ली में मोहतरमा महरुल ज़फर के किशोर के पुत्र सैयद अली ज़ाफर, तालाबन्दी के दौरान गंजे हो गये। महरुल ने बताया कि किशोर उम्र के बच्चे को गंजा करने के लिए राज़ी करना आसान काम नहीं था। मुझे इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। जब तक कि अली को यह पता नहीं चल गया कि सभी सैलून बन्द हैं और आसपास के क्षेत्र में कोई भी बाल काटने वाला नहीं है, तब तक वह गंजा होने को राज़ी नहीं हुआ। तब जाकर उसकी माँ ने ही इस काम को अंजाम दिया।
मोहतरमा ने मज़ाक में कहा कि लॉकडाउन ने मुझे टकला बनाने की कला भी सिखा दी। उसने कहा कि वह खुश है कि इस दौरान कुछ नया सीखा।
बेशक अब जब अली ने यह कदम उठाया है और उसकी गंजे वाली फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी है। उसे काफी तारीफ मिल रही है और उसके कुछ दोस्तों ने भी गंजे बैंडवैगन में शामिल होने की इच्छा जतायी है।
लॉकडाउन ने हमको टकला कर दिया वरना हम भी आदमी थे गुलफाम से। मुम्बई के वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद आबिदी ने अपने मेकअप के बारे में यह बात कही। हमारा सैलून बन्द है, और अगर यह खुला भी, तो संक्रमण के खतरे के चलते मुझे बाल कटवाने से परहेज़ करना होगा। यहाँ तक कि अब बाल कुछ ज़्यादा ही बड़े हो गये थे। इसलिए उनको साफ करना ही इलाज था, पर यह तकलीफदेह था।
आबिदी बताते हैं- ‘मेरा बेटा अपनी पसन्द से पिछले एक साल से अधिक समय से गंजा है। मैंने उससे ट्रिमर लाने को कहा। फिर क्या था बेटे ने बिल्कुल घास काटने वाले की तरह मेरी खोपड़ी पर ट्रिमर चला दिया।
उन्होंने बताया कि इसके बाद जब पहली बार मैंने खुद को आईने में देखा, तो सोचने लगा कि खोपड़ी इतनी चमकदार और शानदार होगी, तो खुद को ही पहचान नहीं सकूँगा। इसलिए मैंने तय किया कि मैं खुद आईना नहीं देखूँगा। कम-से-कम तब तक, जब तक मैं इस वास्तविकता को स्वीकार करने की ताकत नहीं जुटा लेता।
उन्होंने कहा कि मैं फख्र से कह सकता हूँ कि मैं पैदाइशी गंजा नहीं हूँ, लेकिन पसन्द से हुआ हूँ। उन्होंने कहा कि अब वह अपने सिर धोने में कम पानी का इस्तेमाल करके पर्यावरण की मदद भी कर रहे हैं।
17 वर्षीय अमेरिका के कियान रेजा अत्रियन को अपने बालों से बेहद प्यार था, इनको काटना एक सपने की तरह था; लेकिन यह सच हो गया। लेकिन जब वे लम्बे हो ज़्यादा गये और बिखरने लग गये तो माँ के सामने लॉकडाउन में इनको साफ करने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं था। उनकी माँ इफत कहती हैं कि शुरू में वह थोड़ा उदास लग रहा था और मैं उसे अक्सर गंजे सिर पर उँगलियाँ चलाते हुए देखती। लेकिन कुछ दिनों बाद वह फिर से चहकने लगा। उसने उनसे कहा कि अब वह खुशी से अपने दोस्तों के साथ अपनी तस्वीरें साझा कर रहा है। अब उसकी माँ कहती हैं कि वह उसकी तस्वीरें लेख के ज़रिये भी साझा करेंगी।
फिलहाल इस ट्रेंड के बने रहने की सम्भावना है। यह निहायत सभी के लिए ज़रूरी है और शायद इसीलिए कहा गया है कि परिस्थितियाँ आविष्कार की जननी हैं। यहाँ तक कि जब सैलून खुल जाएँगे, तो संक्रमण के डर से लोग नाइयों से दूर रहना चाहेंगे।
भारत में तापमान में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने लगा है। इसमें और वृद्धि भी होगी। ऐसे में गर्मी के मौसम में पुरुषों को अच्छा बहाना मिल गया है। यह निश्चित रूप से उन सभी पुरुषों के लिए अच्छी खबर है, जो खानदानी टकले हैं और गंजेपन को लेकर चिन्तित रहते हैं। अब वे आराम से बाकी लोगों की तरह सिर पर फख्र से हाथ फेर सकते हैं। इसके लिए उनको कम-से-कम इस ट्रेंड के लिए लॉकडाउन का शुक्रिया अदा करना तो बनता है।