कोरोना वायरस के कहर को देखते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने संबोधन में साफ कर दिया है कि लॉक डाउन आगामी 3 मई तक जारी रहेगा और 15 अप्रैल से एक सप्ताह तक विशेष सख्ती के साथ नजर रखी जाएगी। ताकि कोरोना वायरस के मामलों को रोका जा सके। प्रधानमंत्री के संबोधन को लेकर पूरे देश को इंतजार था और उम्मीद थी कि लॉक डाउन में राहत के साथ कुछ विशेष छूट अपने घर गांव में आने- जाने को मिल सकती है। पर ऐसा नहीं हो सका। इसके कारण कुछ लोगों को सरकार की नीतियों को लेकर काफी आक्रोश भी है।
तहलका संवाददाता को दिल्ली के व्यापारियों, दिहाड़ी मजदूरों और छात्रों ने बताया कि सरकार अब कोरोना वायरस के नाम पर ज्यादा सख्ती कर रही है। जिसके कारण लोगों में काफी हीन भावना और तनाव वाली स्थिति पैदा हो रही है। अब बात करते हैं दिल्ली के व्यापारियों का लक्ष्मी नगर मेें इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाने वाले सुरेश ने बताया कि गर्मी के मौसम में ही फ्रिज और ए सी की बिक्री होती है। होली के बाद से दुकान में ग्राहक अपने घरों में ए सी और फ्रिज खरीदकर ले जाते रहे हैं। पर अब तो कोरोना वायरस के कहर के बाद से ही 22 मार्च से उनकी दुकान पूरी तरह से बंद है। उन्होंने अपनी दुकान में जनवरी और फरवरी में काफी इलेक्ट्रॉनिक सामान को जमा कर रखा था, जो वो सालों से करते आ रहे थे। पर इस बार कोरोना वायरस का सितम लोगों को काफी परेशान कर रहा है। सुरेश ने सरकार से अपील की है कि कोरोना वायरस के साथ साथ व्यापारियों के लिये कोई रास्ता निकाले अन्यथा सब बर्बाद हो जाएगा। क्योंकि गर्मी निकल जाने पर कोई फ्रिज और ए सी नहीं खरीदता है। दरियागंज के व्यापारी विजय जैन और सदर बाजार व्यापार संघ के अध्यक्ष राकेश यादव ने बताया कि अब तक के इतिहास में व्यापार में ऐसा घोर अंधकार उन्होंने कभी नहीं देखा है। अगर सरकार व्यापारियों के हित को नजरअंदाज किया और लॉक डाउन बढाते गये तो वो दिन दूर नहीं है, जब व्यापारी सड़कों पर होगा। राकेश यादव का कहना है कि कोई ऐसी नीति सरकार बनाती की लॉक डाउन के दौरान भी व्यापार भी चलता रहता। पर ऐसा नहीं होने से व्यापारियों में काफी हताशा है। उन्होंने बताया कि व्यापारी बाजार का पैसा भी अपने कारोबार में लगाता है। अगर बाजार का पैसा ही व्यापार में लाभ नहीं दे पाया, तो निश्चित ही व्यापारी काफी संकट में आ जाएगा।
दिहाड़ी मजदूर जो आज कल घर में बैठकर इंतजार कर रहे है कि लॉक डाउन खुले और वे अपने घर गांव में जाएं। पर आज प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद वे काफी निराशा में है कि अब क्या किया जाये? दिहाड़ी मजदूर धनी सिंह और सुखदेव ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले है। परिवार सहित दिल्ली में कही भी मकान में चुनाई का काम करते आ रहे हैं और वे दिल्ली में करीब दो साल से बड़े मजे से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है, तबसे उनको काम के साथ दाम की दिक्कत काफी हो रही है। मजदूर धनी सिंह का कहना है कि सरकार मजदूरों को घर गांवों में पहुंचाने का इंतजाम करे, अन्यथा वे पैदल ही सही पर दिल्ली को छोड़कर अपने गांवों में चले जाएंगे। क्योंकि गांव में खेती का काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सरकार पर तानाशाही होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोना वायरस से तो वो बच सकते हैं। पर आर्थिक तंगी के कारण उनको काफी दिक्कत हो सकती है।
छात्रों की अपनी भी अलग पीड़ा है। छात्र राघव पांडेय और अभिषेक गुप्ता का कहना है कि वे सीए फाइनल की परीक्षा को देने होली के बाद दिल्ली आये थे, क्योंकि सीए फाइनल की परीक्षा हर साल मई के पहले सप्ताह में शुरू हो जाती है। पर इस बार तो परीक्षा के होने और न होने को लेकर असंमजस में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया है कि 3 मई तक लॉकडाउन रहेगा । ऐसे में तो आगे भी लॉकडाउन को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि अब देश में जिस गति से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। उससे तो यहीं लगता है कि कोरोना वायरस का कहर अभी हाल में रुकने वाला नहीं है। बताते चले राघव पांडेय और अभिषेक गुप्ता दोनो बिहार के गोपाल गंज के रहने वाले है। दोनों छात्रों ने बताया कि उन्होंने बिहार सरकार से अपील की है कि बिहार के छात्रों को बिहार बुलाने के लिये कोई समाधान निकाले जिससे छात्र बिना परेशानी के अपने घर गांव आ सकें। एमबीए की पढ़ाई करने वाले वाले आर के पारासर ने बताया कि सरकार भी गरीबों के साथ अजीब मजाक करती है। कहती है कि कोई मकान मालिक अभी लॉक डाउन के दौरान किरायेदारोें से किराये न मांगे, पर कहीं ऐसा होता है। खासकर दिल्ली जैसे शहर में जहां पर मकान मालिकों का रोजी-रोटी का जरिया ही किराये पर मकान देना है। आरके पारासर का कहना है कि 10 अप्रैल को उनके मकान मालिक ने किराया मांग लिया था, क्योंकि किराया देने की तारीख ही हर महीने को 10 तारीख होती है।