कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने के लिए अपनाए जा रहे लाॅकडाउन के दो हफ्ते बीत चुके हैं। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से इशारा कर दिया गया है कि जब तक वायरस का खतरा है, इस पर ढील देने का मतलब है कि लोगों के बीच में वायरस के प्रकोप को दावत देना। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रोजाना दिए जाने वाले अपडेट के दौरान बताया गया सिर्फ एक व्यक्ति सैकड़ों इंसानों को संक्रमित कर सकता है।
सवाल यह उठता है कि तमाम एहतियात बरतने के बावजूद संक्रमण का प्रकोप दिन ब दिन बढ़ता क्यों जा रहा है। आखिर कहां चूक हो रही है? अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ पर भी खतरा बरकरार है। दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों के बहुत से मेडिकल स्टाफ इसकी चपेट में आ चुके हैं साथ ही उनसे कहीं ज्यादा ने खुद को क्वारंटीन कर लिया है। मुंबई के एक बड़े अस्पताल में भी चिकित्सा कर्मियों में इसके लक्षण पाए जाने के बाद पूरे अस्पताल को सील कर दिया गया है।
एक तो अपने यहां बचाव के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। दूसरा, मेडिकल स्टाफ भी आबादी के लिहाज से नपा तुला ही है, उसमें भी अगर वह संक्रमण की गिरफ्त में आता है तो आने वाले समय में ये अच्छे संकेत कतई नहीं हो सकते हैं। इसलिए इस ओर सरकार को खास ध्यान देने की जरूरत है। मध्य प्रदेश में तो आला अफसरों का अमला चपेट में आ चुका है जिसमें तीन आईएएस अफसर पाॅजिटिव पाए गए हैं और दर्जनभर से अधिक क्वारंटीन में चले गए हैं।
डाॅक्टरों के साथ ही पैरा मेडिकल स्टाफ को उचित प्रोत्साहन देने के साथ ही पर्सनल प्रोटेक्षन इक्विपमेंट (पीपीई) उपलब्ध कराए जाएं और उनको आराम व जरूरी संसाधन तत्काल मुहैया कराए जाएं। सुरक्षा उपकरणों को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।
सरकार को चाहिए कि टेस्टिंग का दायरा बढ़ाए ताकि लोगों के बीच स्थिति स्पश्ट हो सके कि कहीं उनके आसपास भी वायरस नहीं पहुंच गया है क्योंकि मुंबई के स्लम धारावी में पहुंचने के बाद नोएडा के कुछ गांवों में भी इसके पैर पसारने की खबरें मिली हैं। हालांकि इलाकों को सील करके सैनिटाइज किया जा रहा है और संदिग्धों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन में रखा जा रहा है।
लेकिन क्या सैनिटाइज, क्वारंटीन और लाॅकडाउन ही इसके विकल्प हैं? इस पर गंभीरता से विचार करने की आवष्यकता है। इससे देशमें दूसरे तरह की कई दर्जनों समस्याएं सामने आ सकती हैं। सबसे बड़ी समस्या लोगों के रोजगार को लेकर है, दूसरी जरूरी सामान यानी प्रवासी मजदूरों के लिए खाने की चीजें मुहैया कराना। किसानों की फसल आने लगी है और मजदूर मजबूर है।
वर्तमान में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे महानगरों में जो हालात हैं, उससे लगता नहीं है कि यह लाॅकडाउन जल्द खत्म होने वाला है। अगर ये दोनों मेट्रो ष्षहर बंद रहते हैं तो इससे लाखों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट आने वाला है। इनमें से ज्यादातर गैर पंजीकृत या रिकाॅर्ड में नहीं हैं। इस तरफ मोदी सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी गंभीरता से विचार करके समय रहते कदम उठाने ही होंगे वरना आने वाले समय में वायरस से ज्यादा मौतें बेरोजगारी, भुखमरी और कुपोषण से हो सकती हैं।