कैंसर का नाम सुनते ही सभी के हाथ-पाँव फूल जाते हैं। लेकिन दूसरी बीमारियों की तरह ही शुरू की लापरवाही ही कैंसर का सबसे बड़ा कारण होती है। महिलाओं में लगातार बढ़ता स्तन कैंसर इसका एक बड़ा उदाहरण है। हाल ही में अनुग्रह नारायण कॉलेज पटना (बिहार) में हुए एक शोध में पहली और अनोखी जानकारी सामने आयी है कि लाल चंदन के बीज से स्तन कैंसर का इलाज सम्भव है। इस जानकारी के सामने आने के बाद इस पर और तथ्यपूर्ण शोध किये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर लाल चंदन के बीजों से स्तन कैंसर का सही इलाज सम्भव हो सका, तो स्तन कैंसर की असहनीय पीड़ा से गुज़रने वाली लाखों महिलाओं को काफी राहत मिलेगी। इतना ही नहीं स्तन कैंसर से होने वाली मौतों में भी कमी लायी जा सकेगी। 22 अगस्त, 2020 को सेज जर्नल ऑफ ब्रेस्ट कैंसर : बेसिक एंड क्लिनिकल रिसर्च (यूएसए) में प्रकाशित की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुग्रह नारायण कॉलेज, पटना के पीएचडी के छात्र विवेक अखौरी ने महावीर कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र में स्तन कैंसर पर शोध में पाया कि इस घातक बीमारी को लाल चंदन के बीज से ठीक किया जा सकता है।
इस बात का पता लगाने के लिए शोध छात्र विवेक अखौरी ने कार्सिनोजेन रासायनिक डीएमबीए के ज़रिये चाल्र्स फोस्टर चूहों में स्तन कैंसर मॉडल विकसित किया और स्तन कैंसर (ट्यूमर) विकसित होने के बाद संक्रमित चूहों का इलाज लाल चंदन के बीजों से पाँच सप्ताह तक किया। इस प्रयोग से पता चला कि चूहों में विकसित किये गये स्तन ट्यूमर तेज़ी से ठीक हुए हैं। शुरू से ही इन ट्यूमर्स की संख्या और मात्रा में अचम्भित करने वाली कमी देखी गयी और धीरे-धीरे यह बिल्कुल समाप्त हो गये। माना जा रहा है कि अगर यह प्रयोग स्तन कैंसर से जूझ रही महिलाओं को ठीक करने में कामयाब रहा, तो शोध छात्र की यह बहुत बड़ी कामयाबी और भारत के लिए गर्व की बात होगी; क्योंकि लाल चंदन के बीज के माध्यम से स्तन कैंसर ठीक करने का यह दुनिया में किया गया पहला अध्ययन है। इस अध्ययन टीम में महावीर कैंसर संस्थान के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार और गाइड डॉ. मनोरमा कुमारी भी शामिल थीं। अध्ययन में टीम के मुताबिक, झारखंड से लाल चंदन के बीज इकट्ठे करके लाये गये थे, जिन्हें शोध में स्तन कैंसर रोधी के रूप में प्रयोग करने पर चौंकाने वाले परिणाम सामने आये।
स्तन कैंसर क्या है?
स्तनों की कोशिकाओं में पनपने वाले एक प्रकार के ट्यूमर को स्तन कैंसर कहते हैं। यह महिलाओं में अधिकतर पनपता है, जिसका पता शुरू में नहीं चल पाता; क्योंकि महिलाएँ स्तनों में हल्का-फुल्का दर्द या मरोड़ समझकर इसे इग्नोर करती रहती हैं, जब यह काफी बड़ा हो जाता है और स्तनों को छूने पर गाँठ साफ नज़र आने लगती है, तब इसके प्रति वे सजग होती हैं। लेकिन तब तक यह शरीर के बाकी हिस्सों और अन्य ऊतकों को प्रभावित करने लगता है। वैसे स्तन कैंसर पुरुषों में भी होता है, लेकिन बहुत कम। दरअसल, महिलाओं के स्तनों में विशेष ग्रंथियाँ होती हैं, जो दूध बनाती हैं। दूध बनने के लिए स्तन संरचना में 15-20 खण्ड होते हैं, जो छोटे-छोटे अनेक उपखण्डों में बँटे होते हैं। इनमें लसीका वाहिकाएँ दूध को स्तन से काख के लिम्फ नोड्स की तरफ ले जाती हैं। लिम्फ नोड्स का आकार बीन्स की तरह होता है, इनमें संक्रमण से लडऩे वाली प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएँ होती हैं। लेकिन दूध रुकने, जमने से इन्हीं लसीका प्रणाली के माध्यम से स्तन कैंसर पनपता है। इसके अलावा स्तनों को मरोडऩा, वंशानुगत कारक, प्रजनन के गलत तरीके, उच्च कैलोरी लेने, अनियमित तौर पर वज़न बढऩे, खानपान में अनियमितता बरतने, एस्ट्रोजन के लिए लम्बे समय तक सम्पर्क और कुछ पर्यावरणीय कारक स्तन कैंसर के विकास में योगदान करते हैं। वैसे स्तन कैंसर अधिकतर उन महिलाओं में पनपता है, जो अपने बच्चों को दूध पिलाने से बचती हैं।
अपना निजी अस्पताल चलाने वाली डॉ. मीनाक्षी शर्मा के बताती हैं कि स्तन कैंसर के लक्षणों की पहचान महिलाएँ खुद कर सकती हैं। यदि उन्हें इसके लक्षण महसूस हों या पता लग जाए कि उनमें स्तन कैंसर पनप रहा है या उसके लक्षण पनप रहे हैं, तो तुरन्त डॉ. से सम्पर्क करें और शुरुआती दौर में ही इसका इलाज करा लें। इससे न केवल पैसा कम खर्च होगा, बल्कि इलाज भी आसानी से हो जाएगा। डॉ. मीनाक्षी शर्मा कहती हैं कि महिलाएँ अगर जीवनचर्या में छोटी-छोटी सावधानियाँ बरतें, तो कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है। मसलन, अधिक कोलेस्ट्रॉल वाले खाने से बचें, धूम्रपान न करें, अधिक गर्भनिरोध दवाओं का सेवन न करें और जब माँ बनें तो बच्चे को स्तनपान ज़रूर कराएँ। इसके अलावा अगर कभी स्तन कैंसर के लक्षण सामने आते हैं या यह हो जाता है, तो डर और शर्मिंदगी न दिखाते हुए तुरन्त घर में इसका ज़िक्र करें और स्तन कैंसर के किसी विशेषज्ञ डॉ. से सम्पर्क करें।
डॉ. मीनाक्षी कहती हैं कि अगर पहले स्टेज में ही स्तन कैंसर का पता चल जाए, तो 80 फीसदी से अधिक और दूसरे स्टेज में पता चल जाने पर 60 से 70 फीसदी महिलाएँ ठीक हो सकती हैं। लेकिन तीसरे और चौथे स्टेज में कैंसर का पता चलने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।
लक्षण
स्तन कैंसर के पाँच प्रमुख लक्षण होते हैं। इन पाँच लक्षणों की जानकारी होने पर कोई भी महिला आसानी से पता लगा सकती है कि उसे स्तन कैंसर है या नहीं। ये लक्षण निम्न प्रकार है :-
गाँठ पडऩा : किसी भी महिला में स्तन कैंसर का यह सबसे शुरुआती लक्षण होता है। इसमें स्तन के अन्दर गाँठ बननी शुरू हो जाती है।
सूजन आ जाना : अनेक बार स्तनों में सूजन आ जाती है, जिसे महिलाएँ हल्के में ले लेती हैं। वे समझती हैं कि सूजन तो गर्म सेंक या किसी तेल की मालिश से ठीक हो जाएगी, लेकिन यह उनकी भूल होती है। इसलिए यदि स्तनों में सूजन के साथ तनाव या दर्द रहता है, तो तुरन्त डॉ. को दिखाना चाहिए।
लगातार दर्द रहना : यदि किसी महिला के स्तनों में लगातार दर्द रहता है, तो यह स्तन कैंसर का लक्षण है। इसलिए इसका घरेलू उपचार करने से बचें और डॉ. से संपर्क करें।
लगातार खुजली होना : अगर किसी महिला के स्तनों, खासकर निप्पलों पर लगातार खुजली होती है और वह किसी ऊपरी दवा के लगाने पर नहीं जाती है, तो यह स्तन कैंसर का लक्षण भी हो सकता है। ऐसी महिलाएँ बच्चों को तब तक स्तनपान न कराएँ जब तक उन्हें इस बीमारी का सही से पता न चल जाए या डॉ. बच्चे को स्तनपान कराने को न कह दे।
खून आना : अगर किसी के स्तनों में दूध की जगह खून आने लगता है, तो यह कैंसर का ही लक्षण है। ऐसा होने पर तुरन्त डॉ. से सम्पर्क करें; क्योंकि यह कैंसर की चौथी स्टेज हो सकती है, जो कि काफी घातक है।
असामान्य वृद्धि : अक्सर देखा जाता है कि बहुत-सी महिलाओं के स्तन बहुत तेज़ी से असामान्य तौर पर बढ़ते हैं। अगर किसी महिला के स्तन के आकार में असामान्य रूप से बढ़ते हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ करना महँगा पड़ सकता है; क्योंकि यह भी स्तन कैंसर का ही लक्षण है।
स्तनों का सख्त होना : यदि किसी महिला के स्तन सख्त होते जाते हैं या सामान्य से ज़्यादा सख्त हैं, तो यह भी स्तन कैंसर का ही लक्षण है।
लगातार तरल पदार्थ का आना : बहुत-सी महिलाओं के स्तनों से दूध की जगह खारा या गंधयुक्त पानी आता है, यह मटमैला सा होता है। अधिकतर महिलाएँ इसे सामान्य क्रिया समझती हैं, पर ऐसा होने पर इस तरह की लापरवाही काफी भारी पड़ सकती है; क्योंकि ऐसा होना स्तन कैंसर का ही लक्षण है।
मृत्यु दर और पीडि़तों की संख्या
वैश्विक कैंसर संगठन ग्लोबोकॉन (जीएलओबीओसीएएन) की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर की वजह से मृत्यु काफी मौतें होती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं में कैंसर के सभी नये मामलों में करीब 27.7 फीसदी (1,62,468) मौतें होती हैं। वहीं वर्ष 2018 में करीब 23.45 फीसदी (87,090) महिलाओं की कैंसर से मौत हुई थी। हालाँकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्तन कैंसर का अब निदान किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, सन् 2018 में भारत में करीब 1,62,468 नये मामले कैंसर के दर्ज हुए, जबकि स्तन कैंसर से इस साल करीब 87,090 मौतें हुईं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा स्तन कैंसर भारतीय महिलाओं में पाया जाता है।
हाल ही में महावीर कैंसर संस्थान, पटना की एक रिपोर्ट में सामने आया कि वहाँ कैंसर के कुल मामलों में से करीब 23.5 फीसदी मामले स्तन कैंसर के हैं। चिन्ता में डालने वाली बात यह है कि भारत में हर साल तीन फीसदी की औसत से स्तन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
इलाज
ज़्यादातर महिलाएँ स्तन कैंसर को एक लाइलाज समस्या समझती हैं; लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए स्तन कैंसर का उपचार इन तरीकों से किया जा सकता है :-
अमूमन देखा जाता है कि स्तन कैंसर का नाम सुनकर महिलाएँ बुरी तरह से घबरा जाती हैं। इसका कारण यह भी है कि वे समझती हैं कि उनके स्तनों का ऑप्रेशन होगा। इतना ही नहीं, वे इलाज कराने के नाम से शर्माती भी हैं। लेकिन यह अन्य शारीरिक बीमारियों की तरह ही है, इसलिए इसके इलाज कराने या स्तन कैंसर के लक्षण महसूस होने या स्तन कैंसर होने पर न तो शर्माना चाहिए और न ही इलाज से घबराना चाहिए। आजकल स्तन कैंसर ऑप्रेशन की प्रक्रिया से तभी ठीक किया जाता है, जब वह आखरी या खतरनाक स्टेज पर हो। अन्यथा अनेक प्रकार की थेरेपी और दवाओं से इसका इलाज हो सकता है। इन थेरेपी में हार्मोनल थेरेपी तथा कीमोथेरेपी आदि प्रमुख हैं। लेकिन कीमोथेरेपी काफी कष्टदायक होती है, जिसका बुरा असर भी पड़ सकता है। थेरेपी तभी करानी चाहिए, जब स्तन कैंसर शुरुआती अवस्था में हो या डॉ. इसके लिए कहे। थेरेपी के अलावा डॉक्टरों ने इसकी दवा भी ईजाद कर ली है, जिससे यह ठीक हो सकता है। कीमोथेरेपी कैंसर का उपचार करने का सबसे आम तरीका है। वास्तव में कीमोथेरेपी एक तरह की दवाई होती है, जो कैंसर के सेल्स को समाप्त करने करती है। कीमोथेरेपी के कारण ट्यूमर सिकुड़ जाता है और कैंसर का बढऩा कुछ समय के लिए रुक जाता है।