उत्तर प्रदेश में आज से लगभग पाँच साल पहले महिलाओं की सुरक्षा के लिए 181 हेल्पलाइन सेवा शुरू हुई थी। यह सेवा दो साल भी ठीक से नहीं चली। अब स्थिति यह है कि पुलिस पर ही महिलाओं के उत्पीडऩ के आरोप लग रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राम राज्य की कल्पना को उन्हीं की पुलिस पलीता लगा रही है। आरोप लगने लगे हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस गुंडागर्दी में अग्रणी है।
कुछ दिन पहले पुलिस का शैतानी चेहरा उत्तर प्रदेश के ललितपुर की हृदयविदारक घटना के उजागर होने पर सामने आया। घटना के अनुसार ललितपुर जिले में एक 13 वर्षीय किशोरी सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई। जब वह किशोरी रिपोर्ट दर्ज कराने अपने क्षेत्रीय थाने पाली में गयी, तो बयान दर्ज कराने के नाम पर वहाँ के थानाध्यक्ष तिलकधारी सरोज ने भी कथित रूप से उसके साथ दुष्कर्म किया।
मामला चाइल्ड लाइन एनजीओ के माध्यम से तब उजागर हुआ, जब एनजीओ की काउंसलिंग में पीडि़ता ने आप बीती बतायी। पीडि़ता ने कहा कि वह थानाध्यक्ष के आगे गिड़गिड़ाती रही, पर उसने ज़रा भी तरस नहीं खाया। मुद्दे के बारे में पता चलते ही लोगों में ग़ुस्सा फूट पड़ा और वे न्याय की माँग करने लगे। जैसे ही सरकार के कानों तक यह बात पहुँची, थानाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और थाने के पुलिसकर्मियों को लाइन हाज़िर कर दिया गया। लोगों ने न्याय की माँग करते हुए पूरे थाने की पुलिस को निलंबित करके उन्हें जेल भेजने की माँग की। मगर इतने बड़े स्तर पर सरकार कार्रवाई करने से बच रही है। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने दोषियों पर ठोस कार्रवाई का आश्वासन तो दिया है, मगर पीडि़ता का जीवन तबाह हो गया। इसके लिए सरकार क्या कर रही है? यह एक बड़ा प्रश्न है।
प्रश्न तो और भी कई हैं, जिनका उत्तर पाने के लिए सरकार का मुँह खुलवाना होगा, जो कि आसान नहीं है। मगर सम्भव है कि लोगों का ग़ुस्सा और उनके प्रश्न पहुँच जाएँ। किशोरी के साथ हुए दुराचार पर अधिवक्ता प्रवीन कहते हैं कि न्याय व्यवस्था के तीन ही स्तम्भ होते हैं, न्यायालय, पुलिस और पत्रकारिता। अगर इनमें से एक स्तम्भ भी अपराध को शरण देता है, तो जनता का विश्वास उस पर से उठता है। पुलिस न्याय व्यवस्था बनाये रखने वाला वह स्तम्भ है, जिसके द्वार पर निर्बल से निर्बल व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। मगर अगर पुलिस वाले ही लोगों पर अत्याचार करेंगे, तो लोग थानों में न्याय की गुहार कैसे लगाएँगे? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को इस मामले में अच्छी तरह जाँच करते हुए दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और पीडि़त बच्ची को न्याय दिलाना चाहिए। ललितपुर में थाने में थानाध्यक्ष द्वारा ही पीडि़त किशोरी से दुष्कर्म करने के मामले में भाजपा नेता रामवीर का कहना है कि किशोरी के साथ जो भी हुआ सरकार उसके लिए गम्भीर है। दोषियों को सज़ा देने में योगी सरकार हमेशा अग्रणी भूमिका में रही है और रहेगी। योगी सरकार पक्षपात नहीं करती दोषी कोई भी हो, उसे छोड़ा नहीं जाता है। अत: आप निश्चिंत रहें, दोषियों पर कार्रवाई होगी।
इधर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी करके पूरे मामले की रिपोर्ट माँगी, जिसके बाद प्रदेश के प्रशासन में हड़कंप मच गया।
छिड़ी राजनीतिक बहस
किशोरी के साथ थाने में दुष्कर्म को लेकर प्रदेश में राजनीति छिड़ गयी है। प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश ने इसे योगी सरकार की नाकामी और पुलिस की गुंडागर्दी करार देते हुए न्याय की माँग की है। सपा के ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया कि ‘भाजपा सरकार में सबसे बड़ा सवाल यह है कि किस पर भरोसा किया जाए, किस पर नहीं? ललितपुर में रेप की शिकायत करने पहुँची नाबालिग़ से थाने में ही एसओ ने दरिंदगी की। अब मुख्यमंत्री बताएँ कि पीडि़त बेटियाँ जाएँ, तो जाएँ कहाँ? सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीडि़त बच्ची तथा उसके परिजनों से मुलाक़ात भी की।
वहीं कांग्रेस ने सीधे सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस महासचिव और पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गाँधी वाड्रा ने कहा कि बुलडोजर के शोर में क़ानून व्यवस्था के असल सुधारों को कैसे दबाया जा रहा है। अगर महिलाएँ ही थाने में सुरक्षित नहीं होंगी, तो वे शिकायत लेकर कहाँ जाएँगी?
इस पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने विपक्षी दलों से कहा कि वे आपराधिक मामलों का राजनीतिकरण न करें। उन्होंने कहा कि ‘पीडि़ता हमारी बेटी है और उसके साथ कुछ ग़लत हुआ है, तो सरकार सख़्त कार्रवाई करेगी और दोषी को किसी क़ीमत पर नहीं बख़्शेगी। सरकार इस मामले को फास्ट ट्रैक अदालत में ले जाएगी और घटना में शामिल पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ इतनी सख़्त कार्रवाई होगी कि उनकी अगली पीढिय़ाँ तक कराह उठेंगी। उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई होगी और किसी को भी बख़्शा नहीं जाएगा।’
सही एजेंसी से जाँच हो : आरोपी
इधर पाली थाने के निलंबित थानाध्यक्ष तिलकधारी सरोज जब अधिवक्ता से मिलने प्रयागराज पहुँचे, तो उन्हें वहीं से गिरफ़्तार कर लिया गया। गिरफ़्तारी के बाद उन्होंने सफ़ाई दी फ़र्ज़ी जाँच होगी, तो अपराधी कहलाऊँगा। आरोपी निलंबित थानाध्यक्ष ने माँग की कि सही एजेंसी से जाँच होनी चाहिए। तिलकधारी की गिरफ़्तारी के बाद उनकी पत्नी ने एडीजी के कार्यालय पहुँचकर अपने पति को निर्दोष बताया और कहा कि उन्हें फँसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह किशोरी पीडि़ता नहीं है, वह पहले भी कई लोगों को झूठे मुक़दमे में फँसाकर जेल भेज चुकी है।
29 पुलिसकर्मी किये लाइन हाज़िर
पाली थाने में हुई इस शर्मनाक घटना के बाद ललितपुर से लखनऊ तक पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही एडीडी जोन भानु भास्कर ने पाली थाने के सभी 29 पुलिसकर्मियों को तत्काल लाइन हाज़िर करते हुए जाँच के आदेश दिये। मामले की जाँच झाँसी रेंज के डीआईडी जोगेंद्र कुमार कर रहे हैं। पीडि़ता को अस्पताल में भर्ती कराकर उसका मेडिकल कराया गया। हालाँकि अदालत में पीडि़ता का 164 का बयान नहीं हुआ, जो कि आवश्यक था।
पहले भी शर्मसार हुई है वर्दी
यह कोई पहला मामला नहीं है, जब उत्तर प्रदेश की पुलिस का दामन दाग़दार और वर्दी शर्मसार हुई है। इससे पहले भी कई बार अनेक पुलिसकर्मी थाने में दुष्कर्म, मारपीट और अपराधियों को शरण देने के आरोप से कलंकित हो चुके हैं। कानपुर, उन्नाव से लेकर बदायूँ, नवाबाद थाना, उल्दन थाना तथा ललितपुर कोतवाली तक पुलिस ने वर्दी को शर्मसार किया है। योगी आदित्यनाथ सरकार में कई मामलों में पुलिस की गुंडागर्दी सामने आयी है। इसी बार की विधानसभा में योगी आदित्यनाथ की बड़ी जीत के बाद जगह-जगह लगे उनके जनता जनार्दन के धन्यवाद वाले होर्डिंग मुँह चिढ़ा रहे हैं, मानो कह रहे हों कि आपके राम राज्य में जनता सुरक्षित कहाँ है?
क्या है मामला?
बताया जा रहा है कि पीडि़त किशोरी का 22 अप्रैल को अपहरण करके चार लोग भोपाल ले गये थे, जहाँ कथित रूप से उसे तीन-चार दिन बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म किया। जब किशोरी की हालत बिगड़ी, तो अपराधी उसे पाली थाने के बाहर छोड़कर भाग गये। विदित हो कि 27 अप्रैल को एक 13 वर्षीय पीडि़ता अपने साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराने पाली थाने में गयी थी, जहाँ बयान दर्ज करने के बहाने वहाँ के थानाध्यक्ष ने उसे कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। जब मामला उजागर हुआ, तो हड़कंप मच गया। सरकार ने पाली के थानाध्यक्ष तिलकधारी सरोज को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया और उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का आश्वासन पीडि़ता व उसके परिजनों को दिया। झाँसी के पुलिस उप महानिरीक्षक जोगेन्द्र कुमार ने इस मामले में कठोर क़दम उठाये हैं। मामले में बलात्कार, अपहरण, आपराधिक साज़िश के आरोपों, पोक्सो तथा एससी/एसटी एक्ट की धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है। आरोपियों को गिरफ़्तार करने के लिए पुलिस के छ: दल गठित किये गये हैं।