आज से दस साल पहले भयंकर मंडी के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था को ज़िंदा रखने वाले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने गुरूवार को कहा कि देश में मंदी का दौर अभी लंबा चल सकता है। इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच कदमों को उठाने से मौजूदा अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है।
कांग्रेस की बैठक में शामिल होने के बाद पूर्व पीएम ने पत्रकारों से बातचीत में मौजूदा आर्थिक स्थिति के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे सरकारी कदम को जिम्मेदार बताया है। पूर्व पीएम ने एक दैनिक अखबार को भी इंटरव्यू दिया जिसमें आर्थिक स्थिति को लेकर बात की।
मनमोहन ने कहा कि पांच तरीकों को लागू करने से पहले यह स्वीकार करना होगा कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। केंद्र सरकार को एक्स्पर्ट्स और सभी स्टेकहॉल्डर्स से खुले दिमाग से बात करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का कोई फोकस्ड अप्रोच नहीं दिखाई दे रहा है।
मनमोहन सिंह ने इंटरव्यू में कहा कि मोदी सरकार को हेडलाइन मैनेजमेंट की आदत से बाहर आना होगा। सिंह ने पांच तरीके बताए हैं जिसमें पहला है कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि भले ही थोड़े समय के लिए कर का नुकसान भी हो। दूसरे कदम के बारे में मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार को ग्रामीण खपत को बढ़ाने और कृषि सेक्टर को फिर से जीवित करने के लिए नए तरीकों को खोजना होगा। उन्होंने कहा कि इसे लेकर कांग्रेस मेनिफेस्टो में ठोस विकल्प दिए गए हैं। इसमें कृषि बाजारों को मुफ्त करना होगा जिससे लोगों के पास पैसा आ सके।
पूर्व पीएम ने तीसरे कदम के बारे में बताया कि पूंजी निर्माण के लिए कर्ज की कमी को दूर करना होगा। चौथा उपाय कपड़ा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और किफायती आवास जैसे प्रमुख क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना है। पांचवे उपाय को लेकर कहा कि हमें अमेरिका-चीन में चल रहे ट्रेडवॉर के चलते खुल रहे नए निर्यात बाजारों को पहचानना होगा। याद रखना चाहिए कि साइक्लिक और स्ट्रक्चरल दोनों समस्याओं का समाधान जरूरी है। तभी हम 3-4 साल में उच्च विकास दर को वापस पा सकते हैं।