शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी अपनी ही केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय में मुक़दमा दायर करेंगे। सुब्रमण्यम स्वामी यह मुक़दमा चीन द्वारा लद्दाख़ की ज़मीन हड़प लेने को लेकर करेंगे, क्योंकि केंद्र सरकार इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया है कि चीन ने भारत की लद्दाख़ में 4,067 वर्ग किलोमीटर ज़मीन हड़प लिया है। स्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स लिखा है कि मोदी सरकार चीन पर सच्चाई बताए, नहीं तो इसके लिए वो अदालत का सहारा लेंगे। स्वामी के इस पोस्ट से लद्दाख़ में चीन के घुसने की ख़बर पूरी दुनिया में फैल गयी है; भले ही मुख्य मीडिया इसे कवरेज नहीं दे रहा है।
विदित हो बीते तीन वर्षों से भारत और चीन के सैनिकों में पूर्वी लद्दाख़ में एलएसी पर तनाव और झड़पें होती रही हैं। अतिक्रमणवादी चीन ने लगातार एलएसी के समझौतों का उल्लंघन किया है और कभी लद्दाख़, कभी अरुणाचल प्रदेश, तो कभी गलवान घाटी में अतिक्रमण करता रहा है। चीनी सैनिक कई बार एलएसी पार करके भारत की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की कोशिशें कर चुके हैं, उनकी यह कोशिश अभी भी जारी है। चीन की इन हरकतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चीनी सैनिक भारत की सीमा में नहीं आये थे। परन्तु स्वामी ने इस पर सवाल उठा दिये।
असल में यह विवाद कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के लद्दाख़ दौरे के दौरान वहाँ के लोगों से बातचीत के बाद आये बयान पर शुरू हुआ। राहुल गाँधी ने कहा कि लद्दाख़ के लोगों की बहुत सारी शिकायतें हैं। वे उस दर्जे से ख़ुश नहीं हैं, जो उन्हें दिया गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि लद्दाख़ के लोग प्रतिनिधित्व चाहते हैं और बेरोज़गारी की समस्या है। यहाँ के लोग कह रहे हैं कि राज्य को नौकरशाही द्वारा नहीं चलाया जाना चाहिए, परन्तु राज्य जनता की आवाज़ से चलना चाहिए। राहुल गाँधी ने यह भी कहा कि वह अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही लद्दाख़ जाना चाहते थे, परन्तु उन्हें वहाँ नहीं जाने दिया गया। ऐसे में उन्होंने सोचा की लद्दाख़ का विस्तृत दौरा किया जाए। राहुल ने कहा कि वह पैंगोंग गये, लेह गये और अब आगे कारगिल भी जाएँगे। जो जनता के दिल की बात है, उसे सुनेंगे।
वहीं पूर्वी लद्दाख़ के चुशुल से पार्षद कोंचोक स्टेन्जिन ने कहा है कि चीन की सेना द्वारा पूर्वी लद्दाख़ के गुरुंग हिल्स में टेबल टॉप इलाक़े के चुशुल के बफर ज़ोन में चार टेंट लगाने की ख़बर है। ये चिन्ता की बात है। ये डिसएंगेजमेंट एग्रीमेंट का उल्लंघन है। हालाँकि गाँव वालों ने बताया कि भारतीय सेना के विरोध के बाद टेंटों को चीनी सैनिकों को हटाना पड़ा। सवाल यह है कि अगर चीनी सेना को चार टैंट हटाने भी पड़े, तो चार टैंट लगे ही कितनी जगह में होंगे? असल में सुब्रमण्यम स्वामी जो दावा कर रहे हैं, उसके अनुसार तो पूर्वी लद्दाख़ में चीनी सैनिक 4,067 वर्ग किलोमीटर ज़मीन क़ब्ज़ाये बैठे हैं। क्या इस पर केंद्र सरकार ग़ौर करेगी? दूसरा बड़ा सवाल यह है कि सरकार चीन की हर घुसपैठ को नकारती क्यों जा रही है? जबकि कई बार सेटेलाइट से तस्वीरें और वीडियो सामने आ चुके हैं कि चीन ने भारत की हज़ारों वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है। एक गाँव बसा लिया है और कई चेक पोस्ट, कई सडक़ें, कई सैन्य अड्डे, हैलिपैड बनाये हैं। इसके अलावा कई जगहों के नाम भी बदल दिये हैं।
इसी साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और देश के लगभग 350 शीर्ष पुलिस अधिकारियों के तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों ने एक दस्तावेज़ में दावा किया कि भारत के इस क्षेत्र में चीन आर्थिक और रणनीतिक गतिविधियाँ चलाना चाहता है, जिसके चलते चीन आक्रामक तरीक़े से इस क्षेत्र में अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को बढ़ाता जा रहा है, जिससे वो भारत की अधिक से अधिक ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर सके। ये दस्तावेज़ भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की ओर से तैयार किये गये हैं।
दस्तावेज़ में कहा गया है कि भविष्य के लिए देश की सीमा रक्षा की रणनीति को आर्थिक प्रोत्साहन के साथ एक नया अर्थ और उद्देश्य दिया जाना चाहिए। रणनीति क्षेत्र-विशिष्ट बनायी जानी चाहिए। दस्तावेज़ में लद्दाख़ के कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सैन्य सुरक्षा बढ़ाने की बात कही गयी है और यह भी कहा गया है कि लद्दाख़ की पूर्वी सीमा क्षेत्र में चीन आक्रामक रूप से अपनी सेना तैनात कर रहा है, जिससे वो भारत के ग़ैर-बाड़बंदी वाले क्षेत्रों पर दावा जताने के लिए दबदबा क़ायम कर सके। दस्तावेज़ में डेमचोक में छोटा कैलाश पर्वत को पूजा-अर्चना करने के लिए खोलने की सलाह दी गयी है। दस्तावेज़ में कहा गया है कि इससे धर्मपरायण हिन्दू वहाँ आने-जाने लगेंगे और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलने से मानसरोवर न पहुँच पाने वाले हिन्दू यहाँ पहुँचेगे, जिससे चीनी सैनिकों का मनोबल कमज़ोर होगा।
इससे पहले भारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रहे विवाद को लेकर भारत और चीन के कोर कमांडर के बीच 13 और 14 अगस्त को चुशूल-मोल्डो सीमा पर दो दिवसीय बैठक हुई। परन्तु लगभग 17 घंटे की बातचीत का कोई ख़ास नतीजा नहीं निकला। इसकी वजह चीनी सैनिकों की हेकड़ी रही, जो अपनी घुसपैठ ग़लतियों और भारत के क्षेत्रों पर क़ब्ज़े की बात मानने को तैयार नहीं हुए। हालाँकि बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि बातचीत सकारात्मक रही, बाक़ी मुद्दों को सैन्य और राजनयिक माध्यमों से जल्द सुलझाया जाएगा।
सन् 2020 के अप्रैल-मई महीने में चीनी सेना पीएलए पूर्वी लद्दाख़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यायाम के बहाने जमा हुए थे। भारत सरकार के इस छोटी-सी घटना को अनदेखा करने से बाद में कई जगहों पर चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की। चीन की घुसपैठ को देखते हुए भारतीय सेना को बड़ी संख्या में संवेदनशील क्षेत्रों में सैनिक तैनात करने पड़े। हालात इतने बिगड़े कि चार दशक से अधिक समय बाद चीनी सैनिकों ने गोलीबारी कर दी, जिसके बाद भारतीय सैनिकों को भी जवाब देना पड़ा। इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना ने भारत की गलवान घाटी में क़ब्ज़ा करने की कोशिश की, जिसमें हुए ख़ूनी संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए। इस समय भारतीय सैनिक निहत्थे थे, जबकि चीनी सैनिकों के पास हथियार थे।
उसी समय ऑस्ट्रेलिया की न्यूज साइट ‘द क्लैक्सन’ ने अपनी एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में कहा कि पूर्वी लद्दाख़ में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष में चीन के 38 सैनिक मारे गये थे। विदित हो कि गलवान में बड़ी संख्या में हथियारबंद चीनी सैनिक घुसे थे; इतने पर भी भारतीय सैनिकों ने उनका जमकर मुक़ाबला किया और उन्हें खदेड़ दिया। इस ख़ूनी झड़प के बाद सीमा पर कई बार बातचीत हुई, जिसमें तय हुआ कि गलवान, पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी व दक्षिणी किनारे, पीपी-17 और पीपी-15 क्षेत्रों को बफर जोन माना जाए, जहाँ दोनों ओर की सैनिक बंकर या टेंट नहीं लगाएँगे। परन्तु चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है और भारत शान्ति चाहता है। केंद्र सरकार को चाहिए कि चीन से अगर नहीं उलझना चाहती, तो भी अपनी सीमाओं की रक्षा करे।
चीनियों ने लद्दाख़ में 4,067 वर्ग किलो मीटर ज़मीन हड़प ली, तो भी क्या मोदी यही रट लगाएँगे कोई आया नहीं? मैं संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत सर्वोच्च न्यायालय का रुख़ करूँगा, ताकि मोदी सरकार यह सच्चाई बताए कि मोदी ने कैसे चीन के सामने सरेंडर कर दिया।’’
सुब्रमण्यम स्वामी
वरिष्ठ नेता, भाजपा
लद्दाख़ में लोग कह रहे हैं कि चीन की सेना यहाँ घुस रही है। यहाँ चिन्ता की बात यह है कि चीन ने ज़मीन छीन ली है…, लोगों का कहना है कि चीन की सेना इलाक़े में घुस आयी है। लोगों की चरागाह की ज़मीन छीन ली गयी है। परन्तु पीएम ने कहा कि एक इंच ज़मीन नहीं छीनी गयी। परन्तु ऐसा नहीं है। (यह) सच है। आप यहाँ (लद्दाख़ में) किसी से भी पूछ सकते हैं।’’
राहुल गाँधी
कांग्रेस नेता