कोरोना काल की ब्रेव स्टोरीज का जब भी जिक्र होगा तो हैदराबाद की रजिया बेगम की कहानी जरूर याद की जाएगी। लॉक डाउन के बीच यह कहानी अपने बेटे को लाने के लिए १४०० किलोमीटर का लंबा सफर दोपहिया स्कूटी में तय करने वाली ५० साल की एक मां की है। उनके पति की बहुत पहले मृत्यु हो गयी थी।
रजिया बेगम तेलंगाना में निजामाबाद के बोधन नगर में रहती हैं। उनका बेटा लॉक डाउन के कारण आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में फंस गया था। दरअसल उनका बेटा मोहम्मद निजामुद्दीन हैदराबाद में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। वो अपने दोस्त के साथ नेल्लोर गया था, जहां दोस्त के पिता अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे। अचानक २३ मार्च को लॉकडाउन घोषित हो गया और वो दोस्त के घर ही फंस गया।
एक सरकारी शिक्षिका रजिया अपने बेटे को लाने के लिए प्रशासन से बात करती हैं और उन्हें इसकी इजाजत मिल जाती है। यह मां अपनी स्कूटी स्टार्ट करती है और अपने बेटे को लाने के लिए ७०० किलोमीटर के एकतरफा लंबे सफर पर निकल जाती है।
सोमवार सुबह स्कूटी से निकलकर वो ७०० किलोमीटर का लम्बा सफर तय करके मंगलवार की दोपहर आंध्र प्रदेश के नेल्लोर पहुंचती हैं। वहां वह अपने १७ साल के बेटे मोहम्मद निजामुद्दीन को देखकर भावुक हो रो पड़ती हैं और उसे गले लगा लेती हैं। बेटा भी मां का यह त्याग और प्रेम देखकर भावुक हो जाता है। फिर रजिया उसे अपने साथ स्कूटी पर बिठाकर वापस घर के लिए लौट पड़ती हैं।
इस तरह यह मां लगातार तीन दिन से भी ज्यादा तक स्कूटी चलाकर १४०० किलोमीटर का सफर तय करती है। दरअसल उनका बेटा नेल्लोर में दोस्त के घर पर फंस गया था। लॉकडाउन के कारण यह काम बहुत असंभव सा था लेकिन बोधन जिले के उप पुलिस कमिश्नर वी जयपाल रेड्डी ने उनकी काफी मदद की।
लौटकर रजिया बताती हैं कि बेटे को लेने जाने की मंजूरी प्रशासन से मांगने पर जयपाल रेड्डी ने उन्हें एक विशेष लेटर (पास) जारी किया ताकि उन्हें कोइ रास्ते में रोके नहीं। वैसे रास्ते में उन्हें काफी रोका-टोका गया। हालांकि रेड्डी का पात्र उनके काफी काम आया। इस तरह रजिया बेगम बेटे को घर लाने में सफल हुईं।