कांग्रेस महासचिव और पंजाब के पार्टी प्रभारी हरीश रावत के नवजोत सिंह सिद्धू की तुलना लड़ाकू विमान ‘रफाल’ से करने के एक महीने के भीतर सूबे में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलती दिखने लगी है। दोनों आज कैप्टेन के निमंत्रण पर ‘लंच’ पर मिले और एक घंटा चली इस मुलाकात में दोनों के बीच मतभेदों, प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति पर चर्चा के अलावा कैप्टेन की तरफ से सिद्धू को मंत्री पद का ऑफर देने की खबर है। बीच में यह भी चर्चा रही है कि सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
सीएम अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने एक ट्वीट में पुष्टि की है दोनों के बीच लंच की बैठक में अच्छे माहौल में बात हुई और दोनों ने पंजाब और राष्ट्रीय राजनीति के अहम मसलों पर चर्चा की। अपुष्ट जानकारी के मुताबिक सीएम ने सिद्धू को मंत्री पद ऑफर किया है, हालांकि सिद्धू ने इसे लेकर अपनी तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। मसला सिद्धू को दिए जाने वाले विभाग का हो सकता है जिसे लेकर सिद्धू और अमरिंदर में पिछली बार ठनी थी। वैसे सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की भी चर्चा आजकल है।
मंत्री पद छोड़ने के बाद सिद्धू कभी किसी केबिनेट बैठक में नहीं गए हैं। वास्तव में उनका इस्तीफा तकनीकी रूप से मंजूर ही नहीं किया गया है। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक सिद्धू जब दोपहर करीब एक बजे मुख्यमंत्री के फार्म हाउस पहुंचे तो अमरिंदर ने आगे आकर उनका स्वागत किया। सिद्धू ने उनके पांव छुए। सिद्धू तमाम नाराजगियाँ के बावजूद सीएम के लिए यह सम्मान हमेशा दिखाते रहे हैं। दोनों में करीब एक घंटा तक बातचीत हुई और इसमें तल्खी नहीं दिखी, हालांकि, सिद्धू अपने मन की बात सीएम के सामने जरूर रखी। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक दोनों में इस बात को लेकर एक राय थी कि पंजाब में भाजपा और अकाली दल को रोकने के लिए पार्टी में एकजुटता जरूरी है।
जानकारी के मुताबिक जल्द ही पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत और सिद्धू के बीच भी मुलाकात हो सकती है जो दोनों में तल्खी ख़त्म करने के मुख्य सूत्रधार रहे हैं। यह माना जाता है कि सिद्धू शहरी विकास मंत्रालय वापस चाहते हैं, जो उन्हें दिया जा सकता है। इसके अलावा उनके पास बिजली महकमा भी जा सकता है। कैप्टेन जल्दी ही मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं और मंत्रियों के विभागों में फेरबदल के अलावा एक-दो मंत्रियों को हटाया या जोड़ा जा सकता है।
हाल में पंजाब विधानसभा में जब मोदी सरकार के किसान कानूनों के खिलाफ कैप्टेन सरकार अपना बिल लेकर आई थी तो सिद्धू को खुद कैप्टन ने फोन करके कहा था कि सदन में उनके (सीएम) बाद सिद्धू को ही बोलना है। बता दें मंत्री पद छोड़ने के बाद सिद्धू ने विधानसभा की बैठकों में आना भी छोड़ दिया था। इसके बाद 4 नवंबर को भी दिल्ली में इसी मसले पर दिए धरने में भी सिद्धू अमरिंदर सिंह के साथ शामिल हुए थे। दोनों नेताओं के बीच सुलह की यह कोशिशें तब हो रही हैं जब पंजाब के किसान मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
बता दें अमरिंदर सिंह ने पिछले साल मई में सिद्धू पर स्थानीय निकाय विभाग को सही से नहीं संभाल पाने का आरोप लगाया था जिससे सिद्धू बहुत खफा हो गए थे।
बाद में मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान सिद्धू से अहम विभाग सीएम ने ले लिए तो दोनों के बीच गहरी रेखा खिंच गयी। पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं लिहाजा आज दोनों की बैठक को बहुत अहम माना जा रहा है।