जाने माने समाजसेवी जगदीश आहूजा (85) का चंडीगढ़ में सोमवार को निधन हो गया। पदमश्री से सम्मानित आहूजा ‘लंगर बाबा’ के नाम से मशहूर थे और पीजीआई, चंडीगढ़ औरशहर के दो अन्य बड़े सरकारी अस्पतालों जीएमएसएच-16 और जीएमसीएच-32 के सामने लंगर लगाकर 40 साल तक उन्होंने जरूरतमंदों का पेट भरा।
जानकरी के मुताबिक पद्मश्री जगदीश आहूजा का सोमवार को चंडीगढ़ में निधन हो गया और शाम 3 बजे सेक्टर 25 स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया जिसमें नम आँखों से बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। लंगर लगाकर लोगों का पेट भरने वाले ‘लंगर बाबा’ को पिछले साल ही पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।
याद रहे आहूजा सेक्टर 23 में रहते थे। आहूजा को लोग प्यार से ‘लंगर बाबा’ के नाम से पुकारते थे जबकि पटियाला में उन्होंने गुड़ और फल बेचकर अपना जीवनयापन शुरू किया था। साल 1956 में जब जेब में महज 15 पैसे की पूंजी के साथ जब वे चंडीगढ़ आए तो उनकी उम्र 21 साल ही थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक उस समय आहूजा ने एक रेहड़ी किराए पर लेकर केले बेचने का काम शुरू किया।
चंडीगढ़ में साल 1981 में उन्होंने चंडीगढ़ में लंगर लगाना शुरू किया। यह मुफ्त लंगर अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों और शहर के अन्य जरूरतमंदों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ जिससे उनका नाम ‘लंगर बाबा’ पड़ गया। उनके निधन पर शहर की अनेक संस्थाओं ने अफ़सोस जताया है।