बढ़ते तनाव के बीच एक बड़े घटनाक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के शासन वाले रूस समर्थित दो अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र घोषित करने को मान्यता दे दी है। पुतिन के इस फैसले के बाद यूक्रेन सरकार के खिलाफ विद्रोहियों को हथियार भेजने का रास्ता साफ़ हो जाएगा। अभी तक के घटनाक्रम से जाहिर हुआ है कि व्लादिमीर पुतिन की रणनीति अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भारी पड़ी है।
पूर्वी यूक्रेन में पिछले लम्बे समय से रूस समर्थित अलगाववादी यूक्रेन सरकार के खिलाफ विद्रोही गतिविधियां चला रहे हैं। अब इन क्षेत्रों की स्वतंत्रता को रूस के मान्यता देने से उस क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुँच गया है। हालांकि, अमेरिका ने रूस के इस फैसले की निंदा करते हुए अलगाववादी राज्यों को मान्यता देने से साफ़ मना कर दिया है।
रूस लगातार यूक्रेन सरकार पर दबाव बनाए हुए है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दिमिर जेलेंस्की की रूस सरकार से बातचीत की कोशिश पर रूस ने कोई ध्यान नहीं दिया है। बीच में यह रिपोर्ट्स भी आई हैं कि जेलेंस्की जबरदस्त दबाव में हैं। यह भी रिपोर्ट्स हैं कि वे देश छोड़ सकते हैं। उधर रूस के क़दमों से बोखलाए और नाराज अमेरिका ने दो अलग-अलग क्षेत्रों में नए निवेश, व्यापार, और अमेरिकी लोगों के निवेश पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि, वे बार-बार दोहरा रहे हैं कि उनका देश किसी से डरने वाला नहीं है। साथ ही पश्चिमी देशों से मदद मांगने का उनका क्रम जारी है। यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार को मॉस्को के फैसले को यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन बताया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन के अपने समर्थित दो अलगाववादी क्षेत्रों (राज्यों) को मान्यता देने के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने अपने सैनिकों को दो अलग-अलग क्षेत्रों में शांति बनाए रखने का आदेश दिया है। इसके मायने यह हैं कि यदि वहां यूक्रेन सरकार के सैनिक कुछ करने की कोशिश करते हैं तो उसे दबा दिया जाए। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार मान रहे हैं कि दो राज्यों को अलग देश के रूप में मान्यता देने से रूस के लिए यूक्रेन पर हमला और आसान हो गया है।
इस सारे घटनाक्रम पर भारत भी सधी हुई रणनीति पर काम कर रहा है। यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक से खुद को अलग कर भारत ने सलाह दी है कि सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए।
भले जापान और ब्रिटेन, यूक्रेन संकट पर अमेरिका के साथ दिख रहे हैं, फ्रांस और जर्मनी निष्पक्ष रास्ते पर चलते दिख रहे हैं। यूरोपियन यूनियन ज़रूर क्रेमलिन के खिलाफ कार्रवाई का पक्षधर है। वैसे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने हाल के दिनों में रूस के खिलाफ बहुत कम बोला है। इस सारे घटनाक्रम में रूस के राष्ट्रपति पुतिन अमेरिकी के अपने समकक्ष जो बाइडेन पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। पुतिन ने बिना सेना का इस्तेमाल किये अब तक यूक्रेन को जबरदस्त दबाव में ला दिया है।