कुछ समय पहले रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘यह युद्ध का ज़माना नहीं’ की बात की थी और फ्रांस ने भारतीय पीएम के इस बयान की जमकर तारीफ की थी। तब ऐसा लगा था कि भारत रूस के मुकाबले अमेरिका को तरजीह देने लगा है, हालांकि अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में रूस के खिलाफ लाए गए एक अमेरिका और अल्बानिया की तरफ से पेश किये गए मसौदा प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं की। हालांकि, रूस के वीटो से यह प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया।
इस प्रस्ताव में यूक्रेन में रूस के हाल के जनमत संग्रह को अवैध बताते हुए रूस की निंदा का प्रस्ताव किया गया था। हालांकि, भारत ने इसके लिए हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया जिससे यह जाहिर हुआ है कि नई दिल्ली रूस के खिलाफ जाना नहीं चाहती। इस प्रस्ताव में रूस के राष्ट्रपति पुतिन की यूक्रेन के चार राज्यों को अपने देश में मिलाने की घोषणा की भी निंदा की गयी थी।
अमेरिकी प्रस्ताव में रूस से यह मांग की गयी थी कि वह यूक्रेन से अपने सैन्य बलों को तत्काल वापस बुलाए। बता दें यूएनएससी 15 देशों का समूह है और अमेरिका और अल्बानिया के इस प्रस्ताव पर 10 देशों ने समर्थन में मतदान किया। इस प्रस्ताव के खिलाफ रूस द्वारा वीटो किए जाने के कारण यह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो सका।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा था कि धमकी या बल प्रयोग से किसी अन्य राज्य द्वारा किसी राज्य के क्षेत्र पर कब्जा करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है। गुतारेस ने कहा कि यूक्रेन के डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया क्षेत्रों के अधिग्रहण के साथ आगे बढ़ने के किसी भी निर्णय का कोई कानूनी मूल्य नहीं होगा और इसकी निंदा की जानी चाहिए।