रुपया लुढ़कते हुए डालर के काफी नीचे जा चुका है। यानी वैश्विक बाज़ार में डालर के मुकाबले में यह आज की तारीख में 72 रुपए है। पिछले दिनों ‘तहलका’ में आवरण कथा ‘ईधन में लगी आग’ छपी थी। मुझे यह अंदेशा नहीं था कि मैंने जो कुछ संभावना तब जताई थी वे इतनी जल्दी सामने आ जाएंगी और चमत्कारिक जान पडेंगी। इतना ही नहीं ईंधन की कीमतें आज तो आकाश छू रही हैं।
रुपए का लुढ़कते हुए रुपए 72 मात्र पर आ जाना एक तरह से काफी सांकेतिक है क्योंकि भारत को आज़ाद हुए भी 72 वर्ष चल रहे है। जाहिर है कि हैश टैग इंडिया ञ्च72 और रूपी ञ्च72 युवाओं को रोचक भी लगेगा।
साल दर साल भारतीय करंसी हर साल बारह फीसद से ज्य़ादा के आधार पर घटी है। यानी तमाम उभरे बाज़ारों में इस करंसी का खेल सबसे खराब रहा है। जो संकेत फिलहाल दिख रहे हैं वे बता रहे हैं कि इसका लुढ़कना अभी और जारी रहेगा।
वित्त मंत्री अरूण जेटली का तर्क है कि रुपए के लुढ़कने की वैश्विक वजहें हैं और इस से आतंकित होने की कोई वजह नहीं है। क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) वह सब कर रहा है जो हालात संभालने के इरादे से करना चाहिए। वित्त मंत्री ने बाज़ार को यह कह कर आश्वस्त भी किया कि तुर्की में अभी हाल में हुई घटनाओं का असर सारी करंसी पर पड़ा है।
यह उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता के दिन अपने भाषण में रुपए का अनुमान उल्लेख करेंगे। क्योंकि उनका भाषण भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ही केंद्रित था। जिससे बाज़ार जब खुलें तो रुपए का लुढ़कना बंद हो जाए। लेकिन उम्मीदों के बावजूद रुपया दुरूस्त नहीं हुआ। वह लुढ़कता ही गया और अब तो इसने एक रिकार्ड बना लिया है।
बहरहाल वित्तमंत्री का बयान है कि भारत की बुनियादी ज़रूरतों का ख्याल रख लिया गया है। इससे ज़रूर थोड़ी ढांढस बढ़ी। खास तौर पर जब देश में विकास की ऊँचाई सकल घरेलु उत्पाद की दर 8.2 फीसद तक गई है। और करंसी इस दर से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बना और चीन को इसने परास्त भी किया लेकिन अभी और बुरा होना थमा नहीं है।
सारे संकेत बताते हैं कि रुपए की यह गिरावट अभी और जारी रहेगी। रुपया और ज्य़ादा कमज़ोर होगा। रुपए के लिए पिछले तीन साल में सब से खराब महीना अगस्त 2018 का था। जब ईरान पर लगी पाबंदियों के चलते सारी दुनिया में कच्चे तेल की सप्लाई में बाधा पड़ी।
कच्चे तेल के आयात का खर्च सारी दुनिया में सबसे ज्य़ादा तेल इस्तेमाल करने से जुलाई में 26 फीसद बढ़ा। इससे व्यापारिक घाटा 18 बिलियन डालर का हुआ जो पांच साल में सबसे ज्य़ादा है। सबसे ज्य़ादा बुरा वक्त अभी बीता नहीं है। उसे आना ही है क्योंकि भारत कच्चे तेल की अपनी ज़रूरत का 83 फीसद आयात करता है।
कच्चे तेल की कीमतों से देश में करंट एकाउंट घाटा और महंगाई के मेल के चलते रुपए का डालर की तुलना में लुढ़कना वाजिब था। तकरीबन तीन महीने पहले के डालर की तुलना में यह पंद्रह महीने के निचले स्तर पर पहुंचा था और अब यह 72 पर आ ही गया है।
देश में चार सौ बिलियन विदेशी मुद्रा के सुरक्षित रहने से स्थिति अपेक्षाकृत कुछ बेहतर है। अब जो डाटा आया है वह बता रहा है कि मंहगाई घटेगी। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और तुर्की और अमेरिका के बीच तनाव से चिंता और बढ़ी है। करंसी का अवमूल्यन होना विकास की ओर बढ़ रही किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बाधक है। यह ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि ऐसे कदम उठाए जाए कि निर्यात बढ़े और उत्पादक क्षेत्र को आयात पर ही आश्रित न होना पड़े।
प्रधानमंत्री की ‘मेक की इंडिया’ को और ज्य़ादा बढ़ावा दिया जाना चाहिए। जिससे उत्पादन क्षेत्र को खासा बढ़ावा मिले और आयात पर ही देश आश्रित न रहे।
अमेरिकी डालर की मजबूती, विदेशी निवेश (एफडीआई) का अभाव और तेल की तेजी से बढ़ती कीमतों के चलते रुपए पर खासा दबाव है। यह हकीकत है विभिन्न देशों की सभी करंसी पर आज दबाव है। हालांकि कि इससे ज्य़ादा नुकसान रुपए को ही हुआ है। विदेशी पोर्टफोलियों का घरेलु इक्किटी मार्केट में घुसना भी इधर कम हुआ है अमेरिकी चीनी व्यापार युद्ध के चलते।
पुराने सहयोगी का हमला
एन चंद्र बाबू नायडू जो तेलुगु देशम पार्टी के सुप्रीमो हैं। वे एनडीए के साथ अभी हाल तक देश में सत्ता संभाल रहे थे। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व में बने राष्ट्रीय गठबंधन को डालर के मुकाबले रुपए को कमजोर पडऩे का जिम्मेदार ठहराया है साथ ही देश में ईधन की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी की निंदा भी की है। हम आखिर किधर को जा रहे हैं। भाजपा के कभी सहयोगी रहे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू आज की तारीख में भाजपा के सबसे बड़े विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की गलत नीतियों के चलते ऐसा हुआ। हर दिन बीतने के साथ रुपए का लुढ़कना भी जारी रहता है। मुझे कतई आश्चर्य नहीं होगा यदि आने वाले दिनों में सौ भारतीय रुपए के बराबर एक डालर हो जाएगा। पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोज ही आसमान छू रही हैं। पेट्रोल की कीमतें भी बढ़ रही है। जल्दी ही यह सौ रुपए लीटर हो जाएगा। नायड्ू आंध्र प्रदेश भी नई राजधानी अमरावती में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
‘ये लोग शतक बनाने जा रहे हैं। और रुपया शतक भी बना लेगा। आप एक डालर देकर मात्र एक लीटर पेट्रोल ले सकेंगे। नायडू ने केंद्र में सरकार चला रही भाजपा की आर्थिक नीतियों पर अपनी निराशा जताई। उन्होंने दावा किया कि पिछले दो वर्षों में अर्थव्यवस्था एकदम चौपट हो गई है। विकास की दर भी तेजी से घट रही है। देश में कहीं कोई वित्तीय अनुशासन नहीं है।’
तेलुगु देशम पार्टी ने इसी साल के शुरू में भाजपा से अपना चार साल पुराना नाता तोड़ लिया था। उनका आरोप था कि प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्रप्रदेश को विशेष का दर्जा नहीं दिया जबकि उन्होंने इसका वादा किया था।
तेलुगु देशम ने राष्ट्रीय गठबंधन से बाहर होने के साथ ही केंद्र की आर्थिक नीतियों और प्रधानमंत्री के रातों रात बड़ी कीमत वाले करंसी नोटों को रद्द करने के फैसले की निंदा भी शुरू कर दी। आंध्र के मुख्यमंत्री पहले काला धन निकालने के केंद्र सरकार से इस फैसले के प्रशंसक थे। लेकिन अब वे पूछते है कि केंद्र को विमुद्रीकरण (नोटबंदी) करके क्या हासिल हुआ? देश के हर नागरिक को इसके चलते काफी कुछ झेलना पड़ा। आज भी एटीएम से नकद नहीं निकाला जा सकता।
नायडु विमुद्रीकरण के बाद ही बनी कमेटी के तब संयोजक भी बनाए गए थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने तब यह सलाह दी थी कि दो हजार रुपए की करंसी और पांच सौ के विमुद्रीकरण के बाद अब ज्य़ादा संख्या में दो सौ और सौ रुपए के नोट छापे जाएं जिससे आम आदमी को राहत पहुंचे। ज्य़ादा बड़े सौदों में डिजिटल तरीके से लेनदेन हो। लेकिन एनडीए सरकार ने मेरी सलाह के उलट किया। जबकि डिजिटल अर्थव्यवस्था का मैं संयोजक था। मेरी मांग थी कि मोदी सरकार रुपए दो हजार और रुपए पांच सौ मात्र के ही नोट पर तब पाबंदी लगाती तो आम आदमी को परेशानी नहीं होती। छोटी करंसी लोगों की पहुंच में रहती।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने डालर की दर के मुकाबले रुपए को लुढ़कते देख कर बेचैनी जताई और पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बढ़ोतरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा जिन चीजों के लिए कांग्रेस की वे निंदा करते थे आज वे खुद वही कर हैं। आप (आम आदमी पार्टी) के नेता ने कहा, प्रधानमंत्री पहले रुपए की बड़ी चर्चा करते थे, पेट्रोल डीजल की कीमतों का उलाहना देते थे। भाजपा कहती थी कि कांग्रेस ने महंगाई बढ़ाई इसके लिए वही जिम्मेदार है। और अब भाजपा वही कर रही है। साधारण जनता तकलीफ झेल रही है।
बैंकर्स क्या कहते हैं
बैंकर्स का यह मानना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी खासी बेचैनी इस बात से है कि भारतीय करंसी प्रति डालर की तुलना में 70 रुपए पर कैसे पहुंच गई। उन्होंने चिंता जताई कि महंगा कच्चा तेल लेने से रुपए पर व्यापक असर पड़ा है। जो अमूमन बड़े आयातक हैं उनके कारण भी रुपए पर खासा दबाव पड़ा है। एक बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक ने कहा, कि तेल कंपनियों की डालर की मांग के चलते रुपए की कीमत पर असर पड़ा है। इस कंपनियों को अपनी बाहरी वाणिज्यिक कर्ज की वापसी करनी होती है इसलिए उन्होंने अमेरीकी करंसी इकट्ठी कर ली।
एसेक्स बैंक ने हमेशा यह कहा कि वह किसी भी स्तर पर घरेलू करंसी को लक्ष्य नहीं बनाता लेकिन विदेशी मुद्रा पर नज़र रखने के लिए दखल ज़रूर देता हूं। भारत के फारेक्स रिजर्व अमेरीकी डालर 406.058 मात्र जून 29 तक था। इससे आरबीआई को फारेक्स मार्केट में दखल देने के लिए काफी वक्त भी मिला। लगातार डालर की मांग के कारण रुपया लुढ़कने लगा। उधर कच्चे तेल की कीमत को पंख लग गए। इधर अमेरिका ने अपने तमाम सहयोगियों को नवंबर तक ईरानी तेल न खरीदने पर फैसला लेने को कहा। लीबिया और कनाडा से सप्लाई आने से बाधा हुई जिसके चलते कीमतें और बढ़ी।
भारत दुनिया में तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश ही वैश्विक तेल कीमतों के बढऩे से आयात का खर्च बढ़ता है।
विपक्ष का विरोध
राफेल सौदे, बेरोज़गारी, खेती में समस्याएं आदि मुद्दों के साथ ही कांग्रेस विभिन्न विपक्षी दलों के साथ महंगाई पर विरोध जताती रही है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि यदि सरकार तेल की कीमतें कम नहीं करती तो पार्टी पूरे देश में आंदोलन छेड़ेगी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक विरोध होगा।
उन्होंने बताया कि स्टेटिक्स ऑफिस के अनुसार जुलाई महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 4.17 फीसद बढ़ा था जो साल पर पहले जून में पांच महीने की ऊंचाई पर जून में 4.9 फीसद था। फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद आम लोगों की जिंदगी पर असर दिखा।
ओडिसा में बीजू जनता दल भी एनडीए सरकार पर बिफरी हुई है। उसने आरोप लगाया कि यदि इस महंगाई को रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए तो राज्य व्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने भी केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीजल में मूल्य बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आश्चर्य जताया कि विपक्ष इस मुद्दे पर सड़क पर क्यों नहीं उतरता?