कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में हुई बैठक में अध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी के पुनर्गठन और पुनर्संरचना के लिए अधिकृत किया गया है। साथ ही इस बैठक के बाद पार्टी ने अधिकृत रूप से स्वीकार किया है राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की ”पेशकश” की लेकिन सीडब्ल्यूसी ने इसे नामंजूर कर दिया है।
हालांकि ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी ने इस्तीफा वापस लेने से फिलहाल इंकार कर दिया है और यह भी जोर देकर कहा है कि गांधी परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष का जिम्मा दिया जाए। राहुल ने लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में काम करने को लेकर जरूर कुछ कहा है।
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी के इस फैसले को लेकर बहुत ज्यादा असमंजस की स्थिति बन गयी है। भले कुछ देर पहले कांग्रेस की बड़े नेताओं की टीम एके एंटनी, गुलाम नबी आज़ाद, वेणुगोपाल, सुरजेवाला ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सीडब्ल्यूसी ने राहुल की ”इस्तीफे की पेशकश” पूरी ताकत से नामंजूर कर दिया है, लेकिन राहुल गांधी की तरफ से वस्तुस्थिति साफ़ नहीं है।
पार्टी ने साथ ही राहुल को कांग्रेस के ”पुनर्गठन” के लिए अधिकृत किया है लेकिन ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक सीडब्ल्यूसी में अपने भाषण के बाद राहुल गांधी बिना किसी से कुछ कहे बिना वहां से चले गए। यहाँ तक कि प्रियंका गांधी की कोशिश के वाबजूद उनकी राहुल से बात नहीं हो पाई।
गौरतलब है कि पिछले कमोवेश डेढ़ साल में देश में विपक्ष के राहुल गांधी ही ऐसा नेता रहे जिन्होंने पीएम मोदी की नीतियों की खुले रूप से आलोचना की। राफेल डील का मामला भी राहुल ने ही पूरी ताकत से उठाया। यहाँ तक कि भाजपा और पीएम मोदी की कार्यशैली की भी खुली आलोचना राहुल ने ही की।
राहुल ने इसके अलावा खुद को एक गांधीवादी नेता के रूप में जनता के सामने पेश किया। उन्होंने ही बेरोजगारी, युवाओं, किसानों की बात चुनाव प्रचार में बहुत ताकत से रखी लेकिन चुनाव में कांग्रेस के महज ५२ सीटों ही ले पाने से, माना जाता है, राहुल बहुत ज्यादा व्यथित हैं। इससे भी ज्यादा राहुल उस अमेठी से हार जाने से दुखी हैं, जिससे उनका बहुत भावनात्मक रिश्ता था।
उधर एके एंटनी, गुलाम नबी आज़ाद, वेणुगोपाल, सुरजेवाला ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस लोक सभा चुनाव के जनादेश को विनर्मता से स्वीकार करती है। कांग्रेस को वोट देने वाले करीब १२.५ करोड़ मतदाताओं का पार्टी में भरोसा जताने के लिए सीडब्ल्यूसी ने उनका और कांग्रेस के तमाम सहयोगियों का धन्यवाद किया है।
इन नेताओं ने बताया कि कांग्रेस विपक्ष के रूप में अपना कर्तव्य निभाएगी और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। साथ ही कांग्रेस के ही नेताओं, कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों के प्रति भी आभार जताया की उन्होंने पूरे चुनाव अभियान में कड़ा संघर्ष किया।
राहुल को लेकर कहा कि राहुल गांधी ने पूरे देश में सघन प्रचार किया और पार्टी के लिए जबरदस्त मेहनत की। सीडब्ल्यूसी ने लेकिन एक स्वर से राहुल के इस्तीफे की पेशकश को खारिज कर दिया। सीडब्ल्यूसी ने जोर देकर कहा कि पार्टी को इस चुनौती पूर्ण स्थिरियों में राहुल गांधी के मार्गदर्शन की ज़रुरत है। युवाओं, किसानों, महिलाओं और तमाम वर्गों जिनमें अल्पसंख्यक, पिछड़े हैं को साथ लेकर पार्टी आगे जाएगी।
सीडब्ल्यूसी ने कहा की हार के लिए अपनी कमियों, चुनौतियों, विफलताओं को स्वीकार करते हुए पार्टी इसपर आत्मचिंतन करेगी। चुनाव हारा लेकिन हमारी संघर्ष की भावना मजबूत है। नफरत और विभाजन की राजनीति का विरोध करते रहेंगे। तेल की बढ़ती कीमतों, बैंकिंग सिस्टम, एनपीए के अनियंत्रित होकर १२ लाख करोड़ तक पहुँच जाने से खतरनाक होती स्थिति, डांवाडोल आर्थिक स्थति और निजी निवेश में कमी को लेकर गंभीर चिंता जताई गयी। मंदी के कारण संकट मंडरा रहा है। युवाओं का भविष्य खतरे में है और कई राज्यों में सूखे की स्थिति से संकट बढ़ रहा है। संवैधानिक संस्थाओं पर आक्रमण हो रहा है और इन मुद्दों पर अगली सरकार को तत्काल ध्यान देखी ज़रुरत है। भाजपा सरकार की जिम्मेवारी है कि इनका हल किया जाये। आज़ाद ने कहा – ”कांग्रेस विपक्ष का रोल निभाएगी। सरकार पर दवाब डालकर जान समस्यों को सुलझाने में अपना रोल अदा करेगी।
राहुल से सीडब्ल्यूसी – कांग्रेस को आपके नेतृत्व की ज़रुरत
पार्टी पुनर्गठन का अधिकार दिया, इस्तीफे को लेकर अभी स्थिति 'अस्पष्ट'