कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसान आंदोलन को लेकर फिर मोदी सरकार पर हमला बोला। शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता कर केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग करते हुए राहुल ने कहा कि अगर सरकार ने इन कानूनों को वापस नहीं लिया तो किसानों का यह आंदोलन शहर से गांवों तक जाएगा।
राहुल गांधी ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में लोगों को कानूनों के पीछे की कहानी समझ में आ गई है। प्रधानमंत्री को ये नहीं समझना चाहिए कि ये आंदोलन यहीं रुक जाएगा। ये आंदोलन शहरों, किसानों से लेकर शहरों के अंदर जाएगा। देश में अब केवल किसान ही गुस्सा में नहीं है। बल्कि हिंदुस्तान में लाखों युवा हैं, जिनसे इन्हीं पांच-दस लोगों और पीएम ने रोजगार छीना है। अब लोगों का गुस्सा सड़क पर आने लगा है।
राहुल ने कहा, हम सब ये जानते हैं कि किसानों के 70 दिनों से चल रहे आंदोलन को लेकर क्या हो रहा है। पहला कानून मंडी व्यवस्था खत्म करता है। दूसरा कानून खाद्यान्न के असीमित भंडारण की अनुमति देता है और तीसरा कानून कहता है कि अगर किसानों को कोई समस्या है तो वह अदालत तक नहीं जा सकते। इससे साफ है कि किसान क्यों आंदोलनरत हैं।
दरअसल, सीधे शब्दों में कहें तो केंद्र सरकार किसानों की समस्या का समाधान करने के बजाय उन्हें धमका रही है, पीट रही है और दबाव डाल रही है। यहाँ तक कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का भी इस्तेमाल कर रही है।
गणतंत्र दिवस पर लाल किले समेत दिल्ली के कई हिस्सों में किसानों के कथित हिंसक प्रदर्शन को लेकर राहुल गांधी ने सवाल किया कि आखिर किसानों को लाल किले में किसने जाने दिया? अंदर किसने और क्यों जाने दिया?
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या गृह मंत्रालय का यह काम नहीं है कि उन्हें लाल किले पर जाने नहीं देना चाहिए था, रोकना चाहिए था। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? उन्होंने कहा कि सिंघु बॉर्डर समेत तीनों सीमाओं पर केंद्र सरकार किसानों पर आक्रमण कर रही है, जो गलत है। हम किसानों के साथ हैं।
पूर्व कॉंग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि तीनों कृषि कानून किसानों को और गरीब बनाएंगे साथ ही अमीरों को और अमीर बनाएंगे। कोविड के दौरान आप लोग देख ही चुके हैं क्या हुआ। गरीब और गरीब हुए, पांच-छह अमीर और अमीर होते गए। प्रधानमंत्री इन पांच लोगों के लिए काम करते हैं, उनके लिए नोटबंदी की, जीएसटी लाए और अब किसानों की आजीविका छीनने पर तुले हैं।