तीन दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी मास्टर स्ट्रोक ”न्याय योजना” पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को टिप्पणी करना महंगा पड़ा है। कुमार ने राहुल की इस योजना पर सवाल उठाये थे। चुनाव आयोग ने अब उनकी इस टिप्पणी पर उनसे दो दिन में जवाब माँगा है। कुमार नौकरशाह हैं और उनकी टिप्पणी चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आ सकती है।
याद रहे राजीव कुमार ने ट्वीट कर राहुल गांधी की गरीबों को सालाना ७२,००० रूपये देने (न्याय योजना) की घोषणा को ”चांद लाकर देने जैसा वादा” बताया था। कुमार ने लिखा – ”इस अव्यवहारिक योजना से देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। सरकारी खजाने को जो घाटा होगा, उसे पूरा नहीं किया जा सकेगा।” राजीव कुमार एक नौकरशाह है लिहाजा चुनाव आयोग ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया है। राजीव ने अपने ट्वीट के बाद एक अखबार में छपी खबर को भी शेयर किया था जिसमें राहुल की योजना को नुक्सान वाली बताया गया था।
जानकारों के मुताबिक इस टिप्पणी पर राजीव कुमार से चुनाव आयोग विस्तृत ब्योरा मांग सकता है। कुमार यह टिप्पणी करके फंस गए हैं। अब चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के खिलाफ संज्ञान लेते हुए इसे आचार संहिता का उल्लघंन माना है। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग एक-दो दिन में राजीव कुमार को नोटिस भेज कर जवाब-तलब कर सकता है। चुनाव आयोग को यह सब नागवार इसलिए गुजरा है क्योंकि राजीव कुमार नौकरशाह और नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं। उन्हें राजनीतिक दलों के चुनावी अभियान पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार यहाँ तक कह गए थे – साल २००८ में चिदंबरम वित्तीय घाटे को २.५ फीसदी से बढ़ाकर छह फीसदी तक ले गए। यह घोषणा (राहुल की न्याय योजना) उसी पैटर्न पर आगे बढ़ने जैसा है। राहुल गांधी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की चिंता किए बिना घोषणा कर बैठे। अगर यह स्कीम लागू होती है तो हम चार कदम और पीछे चले जाएंगे।”
यही नहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह भी कहा – ”इससे ऐसा हो सकता है कि वित्तीय घाटा बढ़कर ३.५ फीसदी से बढ़कर छह फीसदी तक हो जाए। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां हमारी रेटिंग घटा दें। हमें बाहर से लोन न मिले। इसका नतीजा यह होगा कि लोग हमारे यहां निवेश करना रोक देंगे।”