अपनी सक्रियता तेज करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को अर्थव्यवस्था के अपनी सीरीज़ के तहत आज हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के प्रोफेसर जोहान से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात की। एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस करके मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कुछ सुझाव दिए थे। दोनों ही प्रोफेसर दुनिया के जाने माने स्वास्थ्य मामले के विशेषज्ञ हैं।
राहुल ने प्रोफेसर आशीष झा से बातचीत में उनसे पूछा कि लॉकडाउन पर आपका क्या विचार है और इससे मनोविज्ञान पर क्या फर्क पड़ता है साथ ही ये कितना मुश्किल है? अपने जवाब में झा कि लॉकडाउन को लेकर कई तरह के विचार हैं। लॉकडाउन से आप वायरस को धीमा कर सकते हैं। अगर वायरस रोकना है तो जो पीड़ित हैं, उनको समाज से अलग कर सकते हैं। टेस्टिंग जरूरी है, लॉकडाउन आपको अपनी क्षमता बढ़ाने का वक्त देता है हालांकि, लॉकडाउन अर्थव्यवस्था पर बड़ी चोट दे सकता है। लॉकडाउन का इस्तेमाल यदि अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए नहीं किया, तो काफी नुकसान करेगा।
गांधी के लॉकडाउन के मजदूरों पर असर को लेकर पूछने पर झा ने कहा कि कोरोना वायरस एक-दो महीने में नहीं जाएगा, ये २०२१ तक रहने वाला है। दैनिक मजदूरों को मदद पहुंचाने की सख्त जरूरत है, ताकि उन्हें भरोसा मिले कि कल अच्छा होगा। लॉकडाउन के नुकसान अभी गिनना मुश्किल है, लेकिन इन्हें कम करने की कोशिश की जा सकती है।
टेस्टिंग को लेकर रणनीति के राहुल के सवाल पर झा ने कहा कि ताइवान-दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने इसमें (टेस्टिंग) बढ़िया काम किया है। अधिक टेस्ट जरूरी हैं। साथ ही ऐसे इलाकों की पहचान करनी होगी जहां मामले ज्यादा हैं। किसी भी कारण से अस्पताल आने वाले हर व्यक्ति का टेस्ट जरूरी है और स्वास्थ्यकर्मियों को लेकर तो टेस्टिंग तेज होनी चाहिए।
जब राहुल ने कहा कि भारत में कई युवा हैं, जिन्हें सांस, डायबिटीज आदि की बीमारी है तो उन्हें इससे कैसे निपतना चाहिए, झा ने कहा कि नहीं सोचना चाहिए कि यदि वह पूरी तरह स्वस्थ है, तो उसे कोरोना वायरस नहीं होगा। युवाओं और खुले में काम करने वाले लोगों को लेकर खास तैयारी होनी चाहिए। गर्मी में कोरोना खत्म हो जाता है इसपर झा ने कहा कि ऐसी बातें कही जा रही हैं कि बीसीजी वैक्सीन से कोरोना वायरस ठीक हो सकता है, लेकिन मेरे हिसाब से ये खतरनाक होगा। अभी मंथन चल रहा है और रिसर्च के पूरी नतीजे आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। कोरोना को लेकर कई तरह के सबूत हैं कि मौसम फर्क डालता है, अगर लोग बाहर अधिक रहते हैं तो कोरोना अधिक फैलता है। लेकिन गर्मी से ये रुक जाएगा, ऐसा तर्क देना पूरी तरह सही नहीं है।
टेस्टिंग तेज करने और ज्वाइंट फैमिली में खतरे को लेकर झा ने कहा कि जो परिवार साथ रहते हैं उनपर खतरा ज्यादा है। न्यूयॉर्क में ऐसा देखा गया है कि जहां युवा बाहर जाते हैं तो उनके घर लौटने पर बुजुर्ग खतरे में पड़ जाते हैं। भारत में टेस्टिंग बढ़ाई जा सकती है, सिर्फ टेस्टिंग से ही इसे पहचाना जा सकता है। राज्यों को अधिक ताकत देने के सवाल पर झा ने कहा कि कोरोना ने दुनिया का ऑर्डर ही बदल दिया है। बड़े यूरोपीय देश और अमेरिका तक कोरोना के खिलाफ लड़ाई हार रहे हैं। वैक्सीन कब आएगी के जवाब में झा ने कि तीन देशों में उम्मीद है कि जल्द आएगी। पूरी उम्मीद यह है कि अगले साल तक वैक्सीन आ पाएगी। भारत को इसके लिए योजना बनानी होगी, क्योंकि भारत को ५० करोड़ से अधिक वैक्सीन बनानी हैं।
राहुल ने प्रोफ़ेसर जोहान से पूछा कि यूरोप में वायरस कैसे असर कर रहा है और आगे क्या होगा, तो उन्होंने कहा कि ये बीमारी तेजी से फैल रही है, लेकिन ये काफी हल्की बीमारी है। करीब ९९ फीसदी लोगों को काफी कम लक्षण होते हैं और सिर्फ एक फीसदी पर ही इसका गहरा असर पड़ रहा है। लॉकडाउन के दुनिया कैसे चलेगीऔर क्या रणनीति होगी, प्रोफेसर जोहान ने कहा कि किसी भी देश के पास लॉकडाउन से बाहर निकलने की रणनीति नहीं है। लेकिन हर किसी को विचार करना होगा। एक ही तरीका है कि चरणबद्ध तरीके से इससे निपटा जाएं, पहले एक ढील दें उसे परखें अगर मामला बिगड़ता है तो कदम पीछे खींच लें। टेस्टिंग पर कहा कि रणनीति बनानी होगी, जिसमें जगह, उम्र के हिसाब से टेस्ट और वो भी रफ़्तार से करने होंगे।
आर्थिक मोर्चे पर इसके असर के सवाल पर जोहान ने कहा – ”स्वीडन में हमने पहले देश को पूरा शटडाउन कर दिया, लेकिन अब हमने धीरे-धीरे ये हटा दिया है। लेकिन भारत जैसे देश में लॉकडाउन के करने से अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरी चोट पड़ सकती है। कोरोना से अस्पताल भर जाने और लोगों को इससे दिक्क्तों पर जोहान ने कहा कि लॉकडाउन हटा दीजिए, सिर्फ बुजुर्गों का ख्याल रखिए और बाकी को बाहर आने दीजिए, क्योंकि कोई युवा अगर कोरोना की चपेट में आता है, तो वह जल्द ठीक हो सकता है। मजदूरों को लेकर जोहान ने कहा कि भारत को जितना हो सके, उतनी अधिक लॉकडाउन में ढील देनी चाहिए।
याद रहे इससे पहले कांग्रेस नेता गांधी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से बातचीत कर चुके हैं।