कृषि और पर्यावरण क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं द्वारा ‘भूमि सुपोषण एंव संरक्षण’ हेतु राष्ट्र स्तरीय एक जन अभियान का प्रारंभ किया जा रहा है। इस अभियान का मूल उद्देश्य भारतीय कृषि पध्द्ति उपज और गैर-रासायनिक खेती का सफलतापूर्वक अभ्यास करना है। जो कि देशभर में चैत्र नवरात्रि यानि 13 अप्रैल 2021 की सुबह 10 बजे से शुरू किया जाएगा। और संपूर्ण देश के अलग-अलग राज्यों, जिलों, ग्रामों, एंव नगरों में विभिन्न चरणों में आयोजित किया जाएगा।
सभी जगहों पर विधिवत भूमि पूजन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर किया जाएगा। इस अभियान की मुख्य संकल्पना यही है कि, भूमि का सुपोषण करना यह मात्र कृषकों का उत्तरदायित्व नहीं अन्यथा भूमि का सुपोषण एंव संरक्षण प्रत्येक भारतीयों का उत्तरदायित्व है।
बहुआयामी जन अभियान में समग्र भूमि सुपोषण अवधारणा को फिर से स्थापित करने के लिए कार्यवार्इ, जन जागरण जागरूकता सृजन, भारतीय कृषि चिंतन एंव भूमि सुपोषण को बढ़ावा देने संबंधित कार्यक्रम शामिल है।
साथ ही इस अभियान के प्रथम चरण की गतिविधियों में भूमि सुपोषण को प्रत्यक्ष साकार करने वाले कृषकों को सम्मानित करना, भूमि सुपोषण की विविध पध्दतियों के प्रयोग आयोजित करना, व जो कृषक इस दिशा में बढ़ना चाहे उन सभी को प्रोत्साहित करना, नगरों में विधिवत हाउसिंग कालोनी में जैविक-अजैविक अपशिष्ट को अलग रखना और कालोनी के जैविक अपशिष्ट से कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाना इत्यादि शामिल है।
आधुनिक कृषि में भूमि का स्थान मात्र एक आर्थिक स्त्रोत है। परतुं हमने पिछले 200 वर्षों से भी अधिक समय तक भूमिपूजन की अनदेखी की और अपनी भूमि का अनंत आर्थिक संसाधन के रूप में दोहन भी किया है। व हम न्यूनतम पारस्परिकता के साथ अपनी भूमि से पोषक तत्व निकाल रहे है। जिसके चलते भूमि की जल धारण क्षमता कम हो रही है, जल स्तर अधिकांश स्थानों में लगातार घट रहा है, जैविक कार्बन की मात्रा का निरंतर घटना रहा है, जिससे भूमि लगातार कुपोषित हो रही है साथ-साथ मानव भी विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है।
वर्तमान में हमारे भौगोलिक क्षेत्र का 30% भाग गंभीर रूप से क्षरण से पीड़ित हो चुका है। और किसानों के अनुभव के अनुसार कृषि में इनपुट लागत लगातार बढ़ रही है, और उत्पादकता लगातार घट रही है। उत्पादन में कमी के परिणामस्वारूप जैविक कार्बन में कमी हो रही है। जो की बेहद हानिकारक है।
यह जन अभियान पिछले चार वर्षों में लागू किए गए एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया का परिणाम है। जनवरी 2018 में किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ बैठके और भूमि सुपोषण पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन, क्षेत्रीय बैठकें बैठके कर परामर्श लिया गया। व इस अभियान में 33 संगठनों का एक संयुक्त प्रयास शमिल है।