ममता बनर्जी के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों के बीच तेलंगना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी राष्ट्रीय राजनीति में कूदने की तैयारी में जुट गए हैं। वे अपनी पार्टी टीआरसी का विस्तार करके उसे राष्ट्रीय स्वरूप देने की तैयारी कर रहे हैं। उधर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार को सूचित किया है कि उनकी पार्टी पवार का राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझे उम्मीदवार के रूप में समर्थन करेगी।
इस तरह विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के लिए अलग-अलग ही सही भाजपा के खिलाफ मजबूत तैयारी करता दिख रहा है। महीने बाद ही राष्ट्रपति का चुनाव है, लिहाजा वार्ताओं का दौर शुरू हो गया है।
ममता बनर्जी ने 15 जून को दिल्ली में जो बैठक बुलाई है उसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी बुलाया है। हालांकि, सोनिया गांधी के इसमें शामिल होने की कोई संभावना नहीं है। हाल के महीनों में ममता बनर्जी की टिप्पणियों से कांग्रेस नाराज रही है। हो सकता है गांधी किसी नेता को इस बैठक में जाने के लिए अधिकृत करें।
शिव सेना के नेता उद्धव ठाकरे को भी ममता बनर्जी ने बुलाया है लेकिन संजय राउत साफ़ कर चुके हैं कि उद्धव उस दिन आयोध्या में होंगे लिहाजा बैठक के लिए किसी नेता को भेजा जाएगा।
कांग्रेस शरद पवार को राष्ट्रपति पद के लिए आगे करके एक तीर से दो निशाने साधना चाह रही है। एक – पवार के कद को देखते हुए विपक्ष उनके नाम पर एकजुट हो सकता है। भाजपा के पास अभी भी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए पूरे वोट नहीं हैं। ऐसे में पवार पड़ सकते हैं।
पवार जीत जाते हैं तो वे विपक्ष के साझे उम्मीदवार होते हुए भी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के नेता के रूप में जीते हुए ही कहलायेंगे। निश्चित ही चुनाव हारना भाजपा के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा, भले वह किसी भी सूरत में यह चुनाव जीतना और वोटों का इंतजाम करना चाहेगी। यदि पवार जीत जाते हैं तो यूपीए में प्रधानमंत्री पद का एक बड़ा दावेदार कम हो जाएगा।
सोनिया गांधी ने जिस तरह पहले ही शरद पवार को आधिकारिक संदेश भिजवाकर राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन की बात कही है उससे विपक्ष के किसी और नेता का ममता शायद ही समर्थन कर पाएं। कांग्रेस यूपीए के ही किसी वरिष्ठ नेता को राष्ट्रपति पद के लिए आगे करने की मंशा रखती रही है। यह देखना होगा कि शरद पवार का इस ‘ऑफर’ को लेकर रुख रहता है, क्योंकि वे उसी सूरत में मैदान में उतरेंगे यदि उनके जीतने की पक्की संभावना होगी।
इस बीच टीआरएस नेता और तेलंगना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी राष्ट्रीय राजनीति की चाह रखने लगे हैं। कई बार वे कांग्रेस के समर्थन में दिखते हैं, और कहते रहे हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता की कल्पना नहीं की जा सकती। भले तेलंगना की राजनीति में कांग्रेस उनकी विरोधी है, एक समय वे कांग्रेस के ही नेता रहे हैं। हाल में अपने दौरे के दौरान राहुल गांधी ने उनकी सरकार की कुछ मुद्दों को लेकर आलोचना भी की थी।
राव जून के आखिर तक अपनी पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक इस पार्टी का नाम भी तय कर लिया गया है और यह भारतीय राष्ट्र समिति हो सकता है। पिछले पांच-छह महीने से राव अचानक सक्रिय हुए हैं और वे शरद पावर, ममता बनर्जी सहित कई बड़े नेताओं से मिल चुके हैं। राव को विश्वास है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा और ऐसे में पीएम पद के लिए चंद्रशेखर, देवेगौड़ा या आईके गुजराल की तरह किसी को मौका मिल सकता है।