रावलों का होगा कोरोना टेस्ट, फिर खुलेंगे धामों के कपाट

रिपोर्ट निगेटिव होने पर ही बदरीनाथ-केदारनाथ कपाट पूजन करा सकेंगे रावल

कोरोना वायरस ने सबको प्रभावित किया है। सबसे ज्यादा और गहरी चोट धार्मिक आस्थाओं को पहुंची है। इसमें चाहे कोई किसी भी धर्म का मानने वाला क्यों न हो। आज चर्च खाली पड़े हैं, मस्जिदों में भी सिर्फ अजान दी जा रही हैं और मंदिरों में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में शुमार बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने में पहली बार इस तरह की शर्त लगाई गई है। पूजा शुरू करने से पहले रावल को कोरोना वायरस के टेस्ट से गुजरना होगा।

हालांकि इससे पहले कपाट खुलने को लेकर असमंजस की स्थिति थी। अब भक्तों के लिए राहत है कि दोनों धामों के रावल उत्तराखंड के लिए रवाना हो चुके हैं। पहले दोनों रावलों के पहुंचने पर उनका कोरोना टेस्ट कराया जाएगा। रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। अगर टेस्ट निगेटिव हुआ तो ही रावल पूजा में भाग ले सकेंगे। सवाल यह भी उठ रहा है कि राज्य के बाहर से रावलों को आने पर कम से कम 14 दिन के लिए क्वारंटीन पीरियड में भी रहना पड़ सकता है।
बता दें कि केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल और बदरीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को खुलने हैं। इस दौरान होने वाली मुख्य पूजा रावल ही कराते हैं। रावलों के न रहने पर प्रदेश की भाजपा सरकार ने ऑनलाइन पूजा कराने पर भी विचार किया था, लेकिन इसका भारी विरोध हुआ। ऐसे में रावलों के प्रदेश में पहुंचने से कुछ हद तक सरकार को राहत मिली है और भक्तों में भी भक्तिभाव जागा है।

बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के अनुसार, धाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी केरल के कन्नूर जिले में अपने गांव चेरुपल्ली से धाम के लिए 16 अप्रैल को रवाना हो चुके हैं। उनके यहां जोशीमठ रविवार तक पहुंचने की संभावना है। प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि लोगों को सहयोग करना होगा क्योंकि सामाजिक दूरी का पालन करना जरूरी है।