राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मांग की है कि मोदी सरकार आयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए क़ानून बनाये। कुछ रोज पहल ही राम मंदिर से जुड़े एक नेता ने कहा था कि यदि मोदी सरकार तीन तलाक को लेकर क़ानून ला सकते है तो राम मंदिर के लिए ऐसा क़ानून क्यों नहीं लाया जा सकता।
विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में अपने संबोधन में भागवत ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना यह भी कहा कि वहां नई सरकार आ जाने के बाद भी सीमा पर हमले बंद नहीं हुए हैं। भागवत ने कहा कि देश के रक्षा बलों को सशक्त बनाने और पड़ोसियों के साथ शांति स्थापित करने के बीच संतुलन बनाए रखने की ज़रुरत है। ”भारत की विदेश नीति हमेशा शांति, सहिष्णुता और सरकारों से निरपेक्ष मित्रवत संबंधों की रही है”।
उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे ”समाज के बीच शहरी माओवाद और नव-वामपंथी तत्वों की गतिविधियों से सावधान रहें”। रिपोर्ट्स के मुताबिक भागवत ने कहा कि दृढ़ता से वन प्रदेशों में अथवा अन्य सुदूर क्षेत्रों में दबाए गए हिंसात्मक गतिविधियों के कर्ता-धर्ता और पृष्ठपोषण करने वाले अब शहरी माओवाद (अर्बन नक्सलिज्म) के पुरोधा बनकर राष्ट्रविरोधी आन्दोलनों में अग्रपंक्ति में दिखाई देते हैं।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अपनी सेना और सुरक्षा बलों का नीति धैर्य बढ़ाना, उनको साधन-संपन्न बनाना, नयी तकनीक उपलब्ध कराना आदि की शुरूआत हुई और उनकी गति बढ़ रही है। ”दुनिया के देशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ने का यह भी एक कारण है”। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में पूर्ण-आत्मनिर्भरता के बगैर भारत अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकता।