योगगुरु बाबा रामदेव ने लंबे समय के बाद मीडिया से बात की। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), जेएनयू समेत देश के ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बेबाकी से राय रखी। कभी काले धन को लेकर मुखर रहने वाला बाबा आज बड़े कारोबारी बन चुके हैं। पतंजलि के उत्पाद आज देश के कोने-कोने तक पहुंच चुके हैं।
रामदेव ने नागरिकता कानून पर कहा कि यह देश जितना भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है, उतना ही विपक्ष का भी है। देश भर में विरोधी आंदोलन से विदेश में भारत की बदनामी होती है। शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन पर योगगुरु ने कहा कि सड़क पर धरना प्रदर्शन ठीक नहीं है। पर उन्होंने माना जितना हिन्दू को यहां पर रहने का अधिकार है उतना ही मुस्लिमों को भी इस देश में है। ये संवैधानिक हक़ है। उन्हें डर क्यों है? देश में जबरन का भय तैयार किया जा रहा है।
जनसंख्या की लेकर हाल में संघ प्रमुख के जोर और आंदोलन पर उन्होंने कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करने पर सजा का प्रावधान होना चाहिए। ऐसे लोगों से मताधिकार भी छीन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में आज भी बिजनेस को गलत नजर से देखा जाता है। बाबा रामदेव ने पतंजलि और रुचि सोया के साथ साथ मिलकर काम करने जी बात कही।
जेएनयू में हुई हिंसा और गुंडागर्दी पर भी उन्होंने अपनी राय रखी। उनका मानना है कि छात्रों का काम आंदोलन करना सही नहीं है। छात्र अगर यह काम करेंगे तो सियासी पार्टियां बेकाम हो जाएंगी। छात्रों को आज़ादी जैसे नारों की बजाय देश निर्माण के कार्य में लगना चाहिए। विदेशों में ऐसे आंदोलनों की खबरों से देश के बारे में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।