वर्षों तक चले रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद किये जा रहे समतलीकरण में ऊबड़-खाबड़ जगह की खुदाई में अनेक पुरातात्त्विक मूर्तियाँ मिली हैं। इन मूर्तियों में कई मूर्तियाँ, प्रतीक चिह्न, खम्भे और शिवलिंग मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, मलबा हटाने के दौरान क़रीब पाँच फीट ऊँचा एक शिवलिंग मिला है। इन अवशेषों में अनेक देवी-देवताओं की खण्डित मूर्तियाँ, कलाकृतियाँ, सात काले पत्थर के स्तम्भ और छः लाल पत्थर (रेड सैंड स्टोन) के स्तम्भ भी शामिल हैं।
मूर्तियां मिलने पर हिंदू महासभा के वकील विष्णु जैन ने कहा कि रामजन्मभूमि से पुरातात्त्विक मूर्तियों का मिलना सारे आरोपों का जवाब है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान मुस्लिम पक्ष ने हमें (रामजन्मभूमि के दावेदारों को) हिंदू तालिबान कहा था। उनका आरोप था कि वहाँ पर मंदिर के अवशेष तक नहीं है। लेकिन आज बड़ी तादाद में पुरातात्त्विक मूर्तियों का मिलना उनके सभी ग़लत आरोपों का जवाब है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दावा कर रहे थे कि यह रामजन्मभूमि ही है और आज यह बात स्वतः साबित हो गयी। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि परिसर में अनेक मंदिरों के अवशेष होने का ज़िक्र सुप्रीम कोर्ट पहले भी कर चुका है। क्योंकि पहले भी जब खुदाई का आदेश हुआ था, तब एएसआई को एक शिवलिंग मिला था। प्राचीनकाल में वहाँ कोई भव्य मंदिर था, जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने हमें वही जगह दी। एएसआई की रिपोर्ट में भी यह साफ़ किया गया था कि बाबरी मस्जिद के नीचे (रामजन्मभूमि पर) अनेक मंदिरों के अवशेष हैं। अब यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने हमारे द्वारा रखा गया तर्क कितना मजबूत था।
मूर्तियों के मिलने पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की देखरेख में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि का समतलीकरण हो रहा है, जिसके लिए पुराने ऊबड़-खाबड़ स्थानों को खोदा जा रहा है। कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन यहाँ हो रहा है। रामजन्मभूमि परिसर के पुराने गर्भगृह के समतलीकरण का कार्य 11 मई से चल रहा है।