चुनाव ख़त्म होने और भाजपा के जबरदस्त बहुमत हासिल करने के बाद अभी नई सरकार का गठन होना है लेकिन केंद्र सरकार ने उससे पहले ही सर्वोच्च न्यायालय में लिखित जवाब देते हुए राफेल डील से जुड़ी याचिकाएं खारिज करने की मांग की है। सरकार ने कोर्ट को बताया है कि रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कोई जानकारी नहीं छिपाई है।
गौरतलब है कि राफेल मामले में पुनर्विचार याचिका पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दायर की है। इसमें शीर्ष अदालत के १४ दिसंबर के आदेश की समीक्षा करने की मांग की गई है।
लोक सभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को बड़ा मुद्दा बनाया था और इससे जुड़ा एक मामला अभी भी सर्वोच्च अदालत में लंबित है। राहुल आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी पार्टी की सरकार के दौरान विमान की जो डील हुई थी, उससे करीब तीन गुना कीमत में मोदी सरकार के दौरान राफेल खरीदा जा रहा है। राहुल का यह भी आरोप है कि विमान बनाने की कॉन्ट्रैक्ट एचएएल कंपनी की बजाय उद्योगपति अनिल अंबानी की नवगठित कंपनी को देकर उन्हें ३०,००० करोड़ रूपये का फायदा पहुंचाया गया।
इसे लेकर हालाँकि अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर डील से जुडी सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट को दिए लिखित निवेदन में सरकार ने कहा है कि राफेल मुद्दे पर पुनर्विचार याचिका बेबुनियाद आरोपों और निराधार अटकलों पर आधारित है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कोई जानकारी नहीं छिपाई है।
केंद्र सरकार ने इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत को इस डील में प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल वाले आरोप का जवाब भी दिया है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस रक्षा सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई समानांतर बातचीत नहीं की गई है।
इन सभी तर्कों के साथ केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा कि इस संबंध में दायर याचिका चोरी हुई फाइलों से ली गई कुछेक जानकारी पर आधारित हैं जिसकी गलत व्याख्या की गई है। ऐसे में इस मसले पर विस्तार से जांच भारतीय सुरक्षाबलों की तैयारी को प्रभावित करेगी। लिहाजा, सभी याचिकाओं को खारिज किया जाए।
अपने लिखित जवाब में सरकार ने कहा है कि किसी भी हस्तक्षेप से भारतीय वायु सेना की कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ सकता है। राफेल डील में हस्तक्षेप करने और करार की जांच कराने का बेवजह प्रयास किया जा रहा है। अदालत को पहले भी फैसले में कोई त्रुटि नहीं मिली थी। कैग की रिपोर्ट ने भी सरकार के कदम को सही ठहराया है। लिहाजा, याचिकाएं खारिज की जाएं।