सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राफेल लड़ाकू विमान मामले से दायर याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में आज फैसला सुनाते हुए कहा कि राफेल खरीद प्रक्रिया में कोइ कमी नहीं है और यह सही है। कोर्ट ने कहा की देश डिफेंस क्षेत्र में ”अंडर प्रेपेयर” नहीं रहना चाहिए।
इस फैसले से मोदी सरकार को राहत मिली है। कांग्रेस अध्यक्ष इस विमान की कीमत पर सवाल उठाती रही है। फैसले के बाद कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी की मांग इन विमानों की कीमत को लेकर जेपीसी बनाने की रही है। प्रवक्ता ने कहा कि कीमत (प्राइसिंग) पर कोर्ट ने साफ़ टिप्पणी नहीं की है। सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश कीमत की जानकारी सील बंद ही रहेगी।
कोर्ट ने कहा कि विमान की गुणवत्ता को लेकर कोइ संदेह नहीं है। इस मामले पर सुनवाई सर्वोच्च अदालत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने दायर याचिकाओं पर आज एकमत से यह फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में सरकार की बुद्धिमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।
एक तरह से सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कीमत की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मामले को संसद और संसद से बाहर जोरशोर से उठाकर खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं। हाल के विधानसभा चुनाव में भी राहुल ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। राहुल का आरोप रहा है कि उसका कहना है कि सरकार एक विमान १,६७० करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने प्रति विमान ५२६ करोड़ रुपये कीमत तय की थी।
सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद मोदी सरकार ने पिछले दिनों इंडियन एयरफोर्स के लिए खरीदे गए ३६ राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत को लेकर सील बंद लिफाफे में कोर्ट में कागज़ सौंपे थे। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि फ्रांस से ३६ लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में २०१३ की रक्षा खरीद प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया। सरकार ने यह भी कहा है कि बेहतर शर्तों’ पर बातचीत की गई है। केंद्र ने इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी की बात भी अपने जवाब में कही थी।