राफेल खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ के कांग्रेस के आरोपों के बीच मोदी सरकार ने शनिवार को सील बंद लिफाफे में खरीद प्रक्रिया सम्बन्दी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत कर दी। इस मसले पर मुख्या न्यायाधीश के अध्यक्षता वाली खानपीठ सोमवार (२९ अक्टूबर) को सुनवाई करेगी।
मुख्या न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खानपीठ ने इसकी जानकारी सरकारी से माँगी थी। हालाँकि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि वह विमान की कीमत और सौदे के तकनीकी पहलुओं से जुड़ी सूचनाएं नहीं मांग रहा। वह सिर्फ यह देखना चाहता है कि क्या खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता रही। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा था कि वह सेना के लिए राफेल विमानों की उपयुक्तता पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। बेंच ने कहा था – हम सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे और सिर्फ फैसला लेने की प्रक्रिया की वैधता से संतुष्ट होना चाहते हैं।
उधर केंद्र सरकार ने राफेल सौद्दे पर दायर याचिकाओं को रद्द करने की मांग की थी। केंद्र की दलील थी कि यह याचिकाएं महज राजनीतिक मकसद के लिए दायर की गई हैं। गौरतलब है कि याचिका में मांग की गई है कि राफेल की तत्कालीन यूपीए सरकार के समय जो डील की गयी थी उसे बहाल करके मोदी सरकार की ३६ लड़ाकू विमानों की डील रद्द कर दी जाये। याचिका में यह भी मांग की गई है कि फ्रांस और भारत के बीच आखिर क्या समझौता हुआ, उसे सार्वजनिक किया जाए। राफेल की वास्तविक कीमत सार्वजनिक करने के लिए भी याचिका दायर है।
गौरतलब है कि इन याचिकाओं पर १० अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। एक याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने सुनवाई से ठीक पहले अपनी याचिका वापस ले ली थी। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सीलबंद लिफाफे में डील की जानकारी देने के लिए कहा था।