कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीबीआई मामले में मोदी सरकार पर अब तक का सबसे बड़ा आरोप लगाते हुए आरोप लगाया है कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को ”जबरदस्ती” छुट्टी पर भेजकर और उनके दफ्तर को सील करके राफेल के सबूत मिटाने की कोशिश की गयी है। गांधी ने कहा मोदी सरकार ने वर्मा को अपना भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए हटाया। उधर भाजपा ने राहुल के आरोपों को ”बचकाना” बताया है।
देर शाम दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस करके राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला। गांधी ने कहा कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को अनिश्चितकालीन छुट्टी पर जाने के लिए बाध्य करना ‘‘अवैध’’ है। ”ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार इस बात से डर गयी थी कि वह राफेल विमान सौदे की जांच कर सकते हैं”।
राहुल ने कहा कि ”वर्मा को हटाना संविधान, देश के प्रधान न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष का अपमान है”। कहा कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति और पद से हटाने का फैसला एक कमेटी करती है। इसमें प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें हटाने का फैसला रात के दो बजे किया जो जाहिर करता है कि मोदी सरकार राफेल के मसले पर कितनी घबराई हुई है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ”प्रधानमंत्री डरे हुए हैं और उन्हें अंदेशा है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले सार्वजनिक हो जाएंगे”। राहुल ने कहा कि आलोक वर्मा को केवल हटाया नहीं गया, बल्कि उनके कमरे को सील कर दिया गया। उनके पास जो दस्तावेज थे, वे वापस ले लिये गए। ”यह सबूतों को छिपाने की कोशिश है”। राहुल ने इस मसले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाये। ”मैं आपके सामने आता हूं और आप अपनी मर्जी से सवाल पूछते हैं, लेकिन आप प्रधानमंत्री से राफेल के बारे में सवाल पूछ कर देखो, तो वह उठकर भाग जाएंगे”। उन्होंने आरोप लगाया कि एजेंसी का अंतरिम प्रभार ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जिनके खिलाफ ही मामले हैं ताकि प्रधानमंत्री उन्हें नियंत्रित कर सकें।
राहुल के ब्यान के बाद बौखलाई भाजपा ने प्रकाश जावेड़कर को मैदान में उतारा जिन्होंने आरोप लगाया कि ”राहुल बचकानी बातें कर रहे हैं”। वैसे इस सारे मसले पर भाजपा अब रक्षात्मक दिखने लगी है। उसके दांव उलटे पड़ते दिखाई दे रहे हैं। शाम को ही सीबीआई की तरफ से सफाई आई कि ”आलोक वर्मा अभी भी सीबीआई के निदेशक हैं और राकेश अस्थाना विशेष निदेशक क्योंकि उन्हें पद से नहीं हटाया गया है और वे छुट्टी पर भेजे गए हैं”। शुक्रवार को आलोक की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई की सम्भावना है लिहाजा सरकार ने ऐसा ब्यान दिलाकर अपनी स्थिति ”ठीक” करने की कोशिश की है।