संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण की शुरुआत से ही गतिरोध लगातार जारी है। और इसी हंगामे के बीच ही जम्मू कश्मीर के बजट और वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया गया।
हालांकि लोकसभा इन्हें पहले ही मंजूरी दे चुकी है। सभापति जगदीप धनखड़ ने हंगामा के कारण वित्त विधेयक पर चर्चा नहीं हो पाने को दुर्भाग्यपूर्ण कहा। उन्होंने कहा कि, सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा के लिए 10 घंटे तय किये गए थे लेकिन सदस्यों ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया। यह मंच विचार विमर्श करने और अपने सुझाव सामने रखने का है।
सोमवार को सुबह 11 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही सदन में अडाणी मुद्दे से जुड़े पहलुओं पर चर्चा कराने की मांग को लेकर नारेबाजी हुई और उस हंगामे के चलते आवश्यक दस्तावेज भी सदन के पटल पर नहीं रखवाए जा सके।
संसद में कांग्रेस और विपक्षी दलों के सदस्यों ने काले कपड़े पहने हुए अडाणी समूह के बारे में हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग कर रहे थे। धनखड़ ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलते देने की अपील की किंतु सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने मात्र एक मिनट के अंदर ही बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
दोपहर में बैठक के शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने दोबारा हंगामा और नारेबाजी शुरू की। और हंगामे के बीच वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा पेश किए गए जम्मू कश्मीर के बजट को सदन ने बिना चर्चा के ही ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। इसके उपरांत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त विधेयक 2023 को सदन में पेश किया। और इसे भी सदन ने बिना चर्चा के लोकसभा को लौटा दिया।
आपको बता दें, दो बजे बैठक शुरू होने के 15 मिनट बाद ही बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में हंगामे की वजह से उच्च सदन में एक भी दिन प्रश्नकाल एवं शून्यकाल नहीं हो सका है।