कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा ; कार्यवाही स्थगित होने के बाद सभी बिल ध्वनिमत से पास

राज्यसभा में खेती से जुड़े बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल रविवार को विपक्ष के जबर्दस्त शोर और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से पास हो गए। यह बिल लोक सभा में पहले ही पास हो चुके हैं। आज नाराज विपक्ष ने सदन में न केवल उपसभापति के माइक तोड़ दिए बल्कि एक सदस्य ने रूल बुक की कॉपी भी फाड़ डाली। यह सभी विपक्षी सदस्य कृषि बिलों का जबरदस्त विरोध और सरकार के इन्हें जल्दबाजी में पास करवाने का विरोध कर रहे थे और ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे लगा रहे थे।

उपसभापति ने विपक्ष के शोर के बीच कुछ देर के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया। कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो विपक्ष का शोर जारी रहा, हालांकि इस दौरान उपसभापति ने विधेयकों पर मतदान नहीं करवाया गया और इन्हें ध्वनिमत से पास कर दिया गया। इस तरह राज्य सभा में भी यह बिल पास हो गए।

विपक्ष ने इससे पहले सदन में आज का समय पूरा होने के बाद समय आगे बढ़ाने का विपक्ष ने जबरदस्त विरोध किया और आग्रह किया कि इसे अब कल पर टाल देना चाहिए और बिल पास करने की जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। हालांकि, उपसभापति ने विपक्ष को शांत रहने और मंत्री को अपना जबाव जारी रखने के लिए कहा, जिसके बाद विपक्ष के सदस्य भड़क गए। टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन को रूल बुक फाड़ते हुए देखा गया।

एक मौके पर टीएमसी और आप के सदस्य पीठासीन उपसभापति के आसान के बिलकुल निकल चले आये और एक सदस्य कोई पुस्तिका उनके सामने लहराने लगे। विपक्ष के तमाम सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और लगातार नारे लगाते रहे। कुछ सदस्यों ने आसन के समीप पर आकर उप सभापति के माइक को भी खींचने की भी कोशिश की।
विपक्ष के चार सदस्यों ने जो संशोधन पेश किये थे, वे उनपर डिवीजन चाहते थे। लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। कुछ सदस्य प्वाईंट आफ आर्डर चाहते थे, लेकिन सभापति ने इसकी मंजूरी नहीं दी।

मत विभाजन से पहले सदन का समय आगे बढ़ाने को लेकर खूब हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि परंपरा रही है कि समय आम सहमति से ही आगे बढ़ाया जाता है। इसके बाद कुछ सदस्यों को वेल में आते भी देखा गया जिसपर उप सभापति ने उन्हें कोरोना के नियमों का ख्याल रखने के ताकीद की। बाद में उन्होंने रूलिंग दी कि मंत्री अपना बात जारी रखेंगे और सिर्फ उनकी बात रेकार्ड में जाएगी। इस दौरान विपक्ष के सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे।
बिलों पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने जवाब में कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों की संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।

तोमर ने कहा कि देश में खेती का योगदान पहले से कम दिखता है लेकिन सच यह है कि कोविड-19 के दौरान भी किसानों ने अपना काम बंद नहीं किया। किसानों ने कृषि की जीडीपी गिरने नहीं दी। कहा कि 2014 में सत्ता संभालने पर पीएम मोदी ने किसानों के आमदन दोगुनी करने का प्रण किया था।   इन छह सालों में सरकार ने इसपर बहुत काम किया है और अब इन बिलों के जरिये किसानों को लाभ देने की बड़ी कोशिश की गयी है।

कहा कि स्वामीनाथन समिति ने लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एमएसपी घोषित करने  थी लेकिन कांग्रेस के पूर्व सरकार ने भी इसे लागू नहीं किया। पीएम मोदी ने इसपर काम किया और अब इन बिलों के जरिये यह लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने 2014 के बाद मोदी सरकार की कोशिशों से कृषि उत्पाद बढ़ने के आंकड़े भी अपने जबाव में सदन में रखे।

इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान बिलों का जोरदार विरोध करते हुए इसे मोदी सरकार का काला क़ानून बताया है। एक ट्वीट में राहुल ने कहा – ‘मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले क़ानून’ से किसानों को : 1. APMC/किसान मार्केट ख़त्म होने पर MSP कैसे मिलेगा? 2. MSP की गारंटी क्यों नहीं? मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम’ बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।

राहुल गांधी का ट्वीट –
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
मोदी सरकार के कृषि-विरोधी ‘काले क़ानून’ से किसानों को:
1. APMC/किसान मार्केट ख़त्म होने पर MSP कैसे मिलेगा?
2. MSP की गारंटी क्यों नहीं?
मोदी जी किसानों को पूँजीपतियों का ‘ग़ुलाम’ बना रहे हैं जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा।
#KisanVirodhiNarendraModi