महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सीएम की कुर्सी फिलहाल राज्यपाल के कोटे से होने वाले एमलसी चुनाव की वजह से बच जाएगी। बता दें कि राज्य में एमएलसी के चुनाव टलने के बाद यह विकल्प अपनाया जाएगा। उद्धव की कैबिनेट में इसको लेकर प्रस्ताव पास किया जा चुका है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से यह अनुरोध किया गया था।
बता दें कि महाराष्ट्र में ही कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा है और सर्वाधिक मामले यहीं पर आए हैं। इसी खतरे को देखते हुए फिलहाल चुनाव टाल दिए गए हैं। चुनाव टलने के बाद से ही उद्धव के सीएम पद पर संकट के आसार जताए जा रहे थे। अब रास्ता लगभग साफ हो चुका है।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, किसी राज्य के मुख्यमंत्री का 6 महीने के अंदर ही सदन का सदस्य होना अनिवार्य होता है। उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को सीएम पद की शपथ ली थी। ऐसे में उनको पद पर बने रहने के लिए 28 मई से पहले सदन के किसी भी सदस्य का चुना जाना जरूरी है।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने वाली विधान परिषद की दो खाली सीटों के लिए सीएम उद्धव ठाकरे के नाम की सिफारिश की जाएगी। कोरोना वायरस के फैले प्रकोप के चलते राज्य में एमएलसी चुनाव नहीं हो सकते हैं। संवैधानिक संकट टालने के लिए यह कदम उठाया गया है।