राजस्थान में कोरोना संक्रमित होने लगे बच्चे, कई राज्य चौकन्ने

जिस तीसरी लहर की बात मेडिकल विशेषज्ञ और जानकार कर रहे थे, कहीं वह बच्चों के ज़रिये शुरू तो नहीं हो गयी?

कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जिस तरह जारी है, उससे हर कोई डरा हुआ है। लेकिन कोरोना महामारी की तीसरी लहर से अब लोग बहुत घबरा गये हैं। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से मेडिकल विशेषज्ञ और जानकार पहले ही आगाह कर चुके हैं। ज़्यादातर लोगों का कहना है कि तीसरी लहर अगस्त में आएगी और इस बार की महामारी की चपेट में बच्चे आएँगे। लेकिन क्या इस तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है? क्योंकि राजस्थान में बच्चे इस कोरोना महामारी की चपेट में आने लगे हैं, वह भी बड़ी संख्या में।

हाल की रिपोर्टों की मानें, तो राजस्थान के दो ज़िलों दौसा और डूंगरपुर में बच्चे बहुत तेज़ी से कोरोना संक्रमित हुए, उसके बाद दूसरे शहरों में भी बच्चे संक्रमित होने लगे हैं। राजस्थान में 27 मई तक 18 साल से कम उम्र के 7,500 से ज़्यादा बच्चे के संक्रमित हो चुके थे। बच्चों में फैल रहे इस कोरोना को लेकर पूरे राजस्थान में दहशत का माहौल है।

राजस्थान के साथ-साथ गुजरात में भी इसे लेकर चर्चा गरम है और लोग अपने बच्चों को लेकर काफ़ी चिन्तित और परेशान दिख रहे हैं। बच्चों में कोरोना के संक्रमण से राजस्थान सरकार भी काफ़ी परेशान है और लोगों में हाहाकार मच गया है। दौसा में सिकराय उप खण्ड के एक गाँव में बच्चियों को कोरोना होने से यह बात सामने आ रही है कि इन बच्चियों के पिता कोविड पॉजिटिव थे, जिसके चलते उनका निधन भी हो गया था। इसी तरह दौसा में अन्य बच्चे भी संक्रमित मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की मानें, तो 18 साल से कम उम्र के दौसा में 1 मई से 21 मई तक 341 बच्चे और डूंगरपुर में 12 मई से 22 मई तक 255 बच्चे संक्रमित हुए। डूंगरपुर के सीएमओ राजेश शर्मा ने 12 से 22 मई तक 250 से ज़्यादा बच्चे कोरोना संक्रमित होने की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक ऐसी महामारी है, जिसमें कुछ भी हो सकता है। इससे पहले डूंगरपुर के कलेक्टर सुरेश कुमार ओला ने कहा था कि ज़िले में बच्चों में कोरोना का संक्रमण बिल्कुल सामान्य है। उन्होंने यह भी कहा था कि जिन बच्चों के माँ-बाप कोरोना पॉजिटिव हुए थे, वे बच्चे संक्रमित हुए हैं और उनकी संख्या कम है। लेकिन बाद में कलेक्टर की बातों को सीएमओ ने ख़ारिज़ कर दिया और सच्चाई बतायी।

राजस्थान में बच्चों के संक्रमित होने कीख़बर के बाद पहले ही अलर्ट पर चल रहे महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में और भी सावधानी बरती जा रही है। वहीं केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश पर देश भर में बाल रोग चिकित्सकों को विशेष रूप से ट्रेनिंग करने की योजना तैयार की गयी है।

अगर दिल्ली की बात करें, तो कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए यहाँ की राज्य सरकार ने अलग टास्क फोर्स बनाने का फ़ैसला लिया है। माना जा रहा है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आयी, तो यहाँ 40,000 बेड और 10,000 आईसीयू बेड की आवश्यकता होगी। दिल्ली में संक्रमितों के इलाज में कोई कमी न आये, इसके लिए दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिए पहले से ही व्यवस्था शुरू कर दी है। इसके लिए अधिकारियों की एक अलग समिति अस्पतालों में दवाई, बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था पर नज़र रखेगी। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने अधिक संख्या में ऑक्सीजन टैंकर और सिलिंडरख़रीदने का फ़ैसला किया है। वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोरोना महामारी की तीसरी लहर से छोटे बच्चों को बचाने के लिए राज्य की टास्क फोर्स के साथ बातचीत की, जिसमें तक़रीबन 6,000 बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उनके साथ ऑनलाइन थे। उन्होंने कहा है कि तीसरी लहर में बच्चों पर होने वाले असर की सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने बाल रोग विशेषज्ञों की टास्क फोर्स तैयार की है,

जिसके अध्यक्ष डॉ. सुहास प्रभु हैं और सदस्य डॉ. विजय येवले और डॉ. परमानंद आंदणकर हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मामले में सतर्कता बरतने की हिदायत देते हुए डॉक्टरों से कहा है कि हमें तीसरी लहर को लेकर पहले से तैयार रहने की ज़रूरत है। ज़रूरी है कि हम समय रहते प्रभावी क़दम उठाएँ। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि समय रहते हमने लॉकडाउन लगाने के बारे विचार किया, जिसका राज्य के लोगों ने भी स्वागत किया। वहीं डॉक्टरों ने इस बुरे वक़्त में पूरी निष्ठा से काम करके लोगों की ज़िन्दगी बचाने की हर सम्भव कोशिश की है। उन्होंने जून में टीकाकरम की गति बढ़ाने की बात भी कही। बता दें कि महाराष्ट्र में 14 मई से 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण का कार्यक्रम बन्द पड़ा है।
इधर उत्तर प्रदेश में भी तीसरी लहर से निपटने की तैयारी योगी सरकार युद्ध स्तर पर कर रही है। कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियों को अन्तिम रूप देना शुरू कर दिया है, जिसके तहत बच्चों के लिए अस्पताल मुहैया कराने और उनके माता-पिता के लिए स्पेशल टीकाकरण शिविर लगवाने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। इसके तहत प्रदेश में जगह-जगह शिविर लगाकर 12 साल से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों का स्पेशल टीकाकरण किया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश सरकार आयुष कवच से बच्चों को जोड़ेगी, जिसका नया फीचर तैयार किये जाने की बात हो रही है। इसके लिए राज्य सरकार हर ज़िले में बच्चों के लिए अलग से वार्ड बनवा रही है, जिसमें 20 से 25 बेड बच्चों के लिए होंगे। इसमें जापानी इंसेफलाइटिस से निपटने के लिए तैयार किये गये 38 अस्पतालों को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकार ने लखनऊ पीजीआई के डायरेक्टर की अध्यक्षता में विशेषज्ञ डॉक्टरों की समिति बनायी है। सभी शिशु और बाल रोग विशेषज्ञ को तकनीकि और कोरोना प्रोटोकॉल और उसके उपचार की बारीकियों को समझाने के लिए प्रशिक्षण जल्द शुरू होगा। इन प्रशिक्षित डॉक्टरों की पीडियाट्रिक आईसीयू संचालन में अहम भूमिका होगी।

बच्चों के लिए नेजल वैक्सीन
बुजुर्गों और युवाओं को बचाने के साथ-साथ अब देश की केंद्र और राज्य सरकारों के कन्धों पर बच्चों को बचाने की ज़िम्मेदारी भी पडऩे वाली है। क्योंकि देश में कोरोना वायरस जैसी भयंकर महामारी की तीसरी लहर शुरू हो रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना महामारी की यह लहर सबसे ज़्यादा बच्चों को प्रभावित करेगी। क्योंकि अब तक बड़ों के लिए वैक्सीन बनी है, लेकिन गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए नहीं बन सकी है। लेकिन तीसरी लहर के दावे के बाद कई दवा कम्पनियाँ बच्चों की वैक्सीन बनाने की कोशिश में जुटी हैं। फ़िलहाल नेजल वैक्सीन नाम की एक वैक्सीन बच्चों के लिए तैयार की जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तो दावा भी किया है कि कोराना की नेजल वैक्सीन बच्चों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन हाल ही में एक टीवी चैनल पर कहा कि नेजल वैक्सीन नाक के ज़रिये दी जाएगी, जो इंजेक्शन वाली वैक्सीन के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा असरदार है। उन्होंने यह भी कहा कि इस वैक्सीन को लेना भी आसान रहेगा। यह रेस्पिरेटरी ट्रैक में बच्चों की इम्यूनिटी पॉवर भी बढ़ाएगी।

 


भारत बायोटेक बना रही नेजल वैक्सीन

अच्छीख़बर यह है कि नेजल वैक्सीन बनाने के लिए बड़ों की कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कम्पनी भारत बायोटेक ने तैयारी शुरू कर दी है। कम्पनी ने नेजल वैक्सीन का ट्रायल शुरू करने की बात कहते हुए कहा है कि नेजल स्प्रे की सि$र्फ चार बूँदें ही कोरोना को मात देने में कारगर साबित हो सकती हैं। इस वैक्सीन को बच्चों की नाक के दोनों नथुनों में केवल दो-दो बूँद डालना होगा, जिसके बाद इसके बेहतर परिणाम सामने आने लगेंगे। क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री के अनुसार, फ़िलहाल नेजल वैक्सीन ट्रायल के तौर पर 175 लोगों को दी गयी है। इन्हें तीन ग्रुपों में बाँटा गया है। पहले और दूसरे ग्रुप में 70 वालंटियर रखे गये हैं और तीसरे में 35 वालंटियर रखे गये हैं। लेकिन वैक्सीन ट्रायल के नतीजे आने पर ही इसके फ़ायदे और नुक़सान के बारे में कुछ कहा जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही भारतीय बच्चों की नेजल नाम की कोरोना वैक्सीन मिल जाएगी।

इधर 18 से 44 साल के युवाओं को कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड मिलने की क़िल्लतें जारी हैं। कई राज्यों मे दूसरे चरण का टीकाकरण रुका हुआ है। ऐसे में बच्चों को वैक्सीन समय पर मिल पाएगी या नहीं कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि महामारी आने से पहले टीकाकरण हो, तो हो सकता है कि बच्चों में तीसरी लहर का प्रभाव हो ही न या बहुत कम हो। इधर वैक्सीन अप्वॉइंटमेंट बुक करने के लिए एक मात्र साधन कोविन पोर्टल होने के चलते कोरोना की दूसरी डोज की उपलब्धता देखने के बाद लोग लगातार अपने लिए वैक्सीनेशन की बुकिंग के लिए जद्दोज़हद कर रहे हैं। कोविन पोर्टल पर गड़बड़ी सामने आने के बाद सरकार ने भी इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया है। हालाँकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, देश भर में अब तक तक़रीबन 20 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन लगने का अनुमान है। लेकिन वैक्सीनेशन की धीमी गति और अनुपलब्धता को लेकर केंद्र सरकार पर विपक्षी दल और लोग सवाल भी उठाते रहे हैं।