श्रीलंका में राजनीतिक संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है। पिछले एक महीने से जो संकट वहां बना हुआ है उसमें सोमवार को तब और बढ़ौतरी हो गयी जब श्रीलंका की अपीलीय अदालत ने राष्ट्रपति की तरफ से पीएम नियुक्त किये गया महिंदा राजपक्षे पर प्रधानमंत्री की तरह कार्य करने से रोक लगा दी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अदालत ने राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश दिया है जिसमें राजपक्षे और उनकी केविनेट को पद की हैसियत से काम करने से रोक दिया गया है। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख १२ और १३ दिसंबर तय की है।
गौरतलब है कि राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ १२२ सांसदों ने याचिका दायर की थी, जिस पर सोमवार को कोर्ट की तरफ से यह आदेश। आया। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सुनवाई में मौजूद रहे एक वकील ने कहा कि ”अंतरिम राहत के मुताबिक राजपक्षे और उनकी विवादित सरकार को प्रधानमंत्री, कैबिनेट और उपमंत्रियों के तौर पर काम करने से रोक दिया गया है।”
रिपोर्ट्स के बाद वकील को यह कहते हुए उद्धत किया गया है – ”अदालत का मत था कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्री के पद पर काबिज व्यक्ति अगर ऐसा करने के अधिकारी नहीं हैं तो अपूर्णीय क्षति हो सकती है।” राजपक्षे के प्रधानमंत्री बनने के खिलाफ विक्रमसिंघे की यूनाईटेड नेशनल पार्टी, जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) और तमिल नेशनल अलायंस ने पिछले महीने अपीलीय अदालत में याचिका दायर की थी। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में श्रीलंका की राजनीति क्या रंग लाती है।