एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम में श्रीलंका में नए प्रधानमंत्री को शपथ दिलाई गयी है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शुक्रवार को नए प्रधानमंत्री के रूप में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को इस पद की शपथ दिलाई। अभी तक रानिल विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सिरिसेना की पार्टी ने सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया जिसके बाद वहां नाटकीय घटनाक्रम हुआ है। राजपक्षे के शपथ लेते विजुअल श्रीलंका मीडिया को जारी किए गए और टीवी चैनलों पर दिखाए गए हैं। सिरिसेना के राजनीतिक मोर्चे यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) ने ऐलान किया कि वह गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले रही है। गठबंधन यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के साथ था जिसके नेता रानिल विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री थे।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि कृषि मंत्री और यूपीएफए महासचिव महिंदा अमरवीरा ने जानकारी दी है कि यूपीएफए के फैसले से संसद को अगवत करा दिया गया है। राजपक्षे की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सिरिसेना ने उनसे अलग होकर राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था। चर्चा है कि राजपक्षे को प्रधानमंत्री की शपथ दिलाने के बाद श्रीलंका में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है क्योंकि संविधान बिना बहुमत विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाने की इजाजत नहीं देता।
आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि राजपक्षे और सिरिसेना की कुल ९५ सीटें हैं और सामान्य बहुमत से कम हैं। विक्रमसिंघे की यूएनपी के पास १०६ सीटें हैं जो बहुमत से सात कम हैं। विक्रमसिंघे या यूएनपी की तरफ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। राजपक्षे को लेकर कहा जाता है कि वे भारत समर्थक नहीं हैं।