राजनेता जो उम्मीद जगाते हैं

‘नेतृत्व’ की प्राचीन और अभिजात्यवर्गीय परिभाषा कहती है कि यह गुण खून में होता है. यह परिभाषा अधिकारवादी और निरंकुश राजशाही के रूप में सदियों तक कमोबेश पूरी दुनिया के समाजों में पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रही. लेकिन समय की बदलती धारा में धर्म और समाज के साथ-साथ सत्ता की प्रचलित व्यवस्था में भी ढेरों सुधारवादी आंदोलन हुए. पश्चिम ने ‘लोकतंत्र’ के रूप में एक नई व्यवस्था ईजाद की जो कहीं ज्यादा संपूर्ण और समावेशी थी. प्रसिद्ध विचारक नॉम चोम्स्की ने नेतृत्व की प्राचीन परिभाषा की आलोचना इन शब्दों में की, ‘प्राचीन प्रणाली में व्यक्ति के मुख्य गुण तर्कशक्ति के लिए स्थान नहीं है. इसके अभाव में लोगों को सिर झुकाकर नेता का अनुसरण करना पड़ता है. यह स्थिति समता के मूल सिद्धांत के खिलाफ है. लोकतंत्र इसका विकल्प है.’

नेतृत्व समाज के एक बड़े हिस्से को मार्ग दिखाता है जिस पर चलकर लोग असाधारण और अकल्पनीय सफलताएं हासिल करते हैं. महात्मा गांधी के रूप में भारत ने ऐसा नेतृत्व देखा है. उनके इतर भी हमारे यहां नेतृत्व करने वालों की एक विराट परंपरा रही है. लेकिन अचानक से हमारा राजनीतिक फलक नेतृत्व शून्य नजर आने लगा है. ‘नेता’ के प्रति एक नकारात्मक सोच पूरे देश में देखने को मिल रही है. सवाल उठता है कि एक ऐसा देश जिसके उद्गम में टैगोर, राधाकृष्णन, श्री अरविंदो और तिलक जैसे विद्वान विचारकों का योगदान रहा है वह अचानक से नेताओं की अपनी नई पौध को प्रेरित क्यों नहीं कर पा रहा. क्या इसका कारण हमारा एक हद से ज्यादा छिद्रान्वेषी स्वभाव है? या हमारे मौजूदा राजनीतिक वर्ग ने जान-बूझकर इतनी समृद्ध विरासत को बिसारने का फैसला कर लिया है?

दरअसल किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जो नेतृत्व उभरता है उसमें एक तरह से उस समाज का ही अक्स दिखता है. आखिर राजनेता भी तो समाज का ही हिस्सा हैं. वे उसी समाज के कुछ सांचों में ढलकर आते हैं और फिर अपने विचार और व्यवहार से अनुकरण के लिए कुछ नए सांचे बनाते हैं जिनसे उम्मीदें और आशंकाएं, दोनों पैदा होती हैं. यहां हम उम्मीद जगाने वाले ऐसे ही 12 नेताओं का जिक्र करने जा रहे हैं. 12 नेताओं की यह सूची भी अपने आप में संपूर्ण नहीं है. एक उम्मीद यह है कि इससे कई गुना ज्यादा प्रतिभावान नेता हमसे छूट गए हैं. उम्मीद यह भी है कि हमारी यह उम्मीद सच साबित हो और नेताओं के प्रति हमारे नकारात्मक दृष्टिकोण में जल्द से जल्द बदलाव हो.

(क्यों उम्मीद जगाते हैं ये नाम, जानने के लिए क्लिक करें)

अरविंद केजरीवाल

ममता बनर्जी

नीतीश कुमार

शिवराज सिंह चौहान

जयराम रमेश

यशवंत सिन्हा

सीताराम येचुरी

अजय कुमार

अजय माकन

पृथ्वीराज चव्हाण

मनोहर परिकर

नवीन पटनायक