हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह न केवल छह बार मुख्यमंत्री रहें हैं और सातवीं बार के लिए फिर मैदान में हैं। उन्हें बहुत चतुराई से योजना बनाने वाला और पार्टी के भीतर और बाहर की चुनौतियों को ध्वस्त करने की क्षमता वाला नेता माना जाता है। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें चुनाव की घोषणा से पहले ही कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बता गए तो इसलिए कि पार्टी के बीच फिलहाल ऐसा कोई नेता नहीं था बल्कि 84 साल के वीरभद्र सिंह जितनी चुनावी क्षमता और अनुभव के अलावा जनता में पैठ और किसी के पास है भी नहीं। कांग्रेस की संभावनाओं को लेकर उनके सरकारी आवास ओक ओवर में बातचीत हुई।
इस उम्र में भी आप चुनाव मैदान में हैं। यह सत्ता में बने रहने का मोह है या कुछ और। जनता की सेवा का जज़्बा और इसके लिए कोई उम्र नहीं होती। मैं कांग्रेस के लिए समर्पित कार्यकर्ता हूँ। पिछले 55 साल से राजनीति में हूँ। लोक सभा में रहते हुए इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक की सरकारों में मंत्री रहा। जनता के प्यार से छह बार मुख्यमंत्री बना हूँ। मैंने ईमानदारी से जनता की सेवा और प्रदेश का विकास करना चाहा है। कांग्रेस आलाकमान ने मुझ पर फिर भरोसा जताया है और मुझे उम्मीद है लोगों के प्यार से मैं जीत का तोहफा उन्हें दे सकूंगा।
आप पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और कोर्ट में मामला चल रहा है। यह भाजपा का मुझे राजनीतिक रूप से खतम करने का षडय़ंत्र है। प्रदेश भाजपा के एक नेता के अलावा केंद्र सरकार में एक सीनियर मंत्री का इसमें हाथ है। लेकिन वो इसमें सफल नहीं होंगे। प्रदेश की जनता चुनाव में उन्हें जवाब देगी। भाजपा वाले अपने राजनीति प्रतिद्वंदी को भी दुश्मन समझते हैं और मैं इसका खुद भुक्त भोगी हूं। मेरे खिलाफ एक ही मामला तीन-तीन जगह चल रहा है। इनकमटैक्स, सीबीआई और ईडी एक ही मामले को देखने में लगी हैं। मैं अपने खानदान का 122वां राजा हूँ, कोई खानाबदोश नहीं। मैंने कोई व्यापार नहीं किया, परंतु इतनी पीढिय़ों के पास कुछ तो धन होगा ही। चाहे कुछ भी हो जाए मैं टूटने वालों में नहीं हूँ और जनता के सहयोग से इस लड़ाई को लडूंगा।
भाजपा का दावा है कि प्रदेश में मोदी की लहर है और कांग्रेस बुरी तरह हारेगी। मेरे राजनीतिक जीवन में केंद्र में बनी बहुमत की यह पहली ऐसी सरकार है जिसने तीन साल में ही लोगों का भरोसा खोना शुरू कर दिया है। मेरा विश्वास करें कि 2019 के चुनाव में मोदी फिर जीत नहीं पाएंगे। विधानसभा चुनाव में महंगाई, नोटबंदी और जीएसटी अहम मुद्दा रहने वाला है। जीएसटी से हिमाचल ही नहीं, हर राज्य के व्यापारी परेशान हैं और ऐसे में यह बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा है। चुनाव में कांग्रेस, मोदी सरकार से इसका जवाब मांगेगी। बीजेपी ने हमेशा क्षेत्रवाद और जातिवाद के अलावा लोगों को आपस में लड़वाने का कार्य किया है।
भाजपा का दावा है कि वह 50 प्लस जीतने वाली है। वो यह भी कह रही है कि आपकी सरकार ने सूबे को कर्ज में डुबो दिया। पीएम मोदी बताएं कि वे अपने गृह राज्य गुजरात में कितनी बार फिफ्टी प्लस लाए। बीजेपी का कोई नारा हिमाचल में चलने वाला नहीं है और यहां पर कांग्रेस ही सरकार बनाएगी। सरकार ने जो भी लोन लिया है वह केंद्र सरकार के निर्देश के तहत ही लिया जा रहे हैं। हर राज्य लोन लेता है, चाहे वह गुजरात हो या हिमाचल। उन्हें हम पर आरोप लगाने की जगह जनता को यह बताना चाहिए कि जब 2012 में जनता ने उन्हें सत्ता से बहार किया था तो वे प्रदेश पर कर्ज कितना चढ़ा गए थे !
सुखराम आपको छोड़ कांग्रेस में चले गए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि उनके घर पर जो पैसे मिले थे वे आपने रखवाए थे। उनके जाने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पडेगा। पिछले सालों में कांग्रेस में उनका क्या रोल रहा? रही बात पैसे की तो सुखराम कोई बैंक आफ मंडी हैं जो वे उनके पास पार्टी का पैसा जमा करवाएंगे। कांग्रेस पार्टी देश की सबसे पुरानी पार्टी है यदि उसे पैसा रखना होता तो वे बैंक में रखते, न कि किसी के घर में और वो भी मंडी में। सुखराम के घर पर जो पैसा मिला, वह कहां से आया है, सब जानते हैं। सुखराम के बीजेपी में जाने से कांग्रेस को कोई नुकसान होने वाला नहीं है।
आलाकमान ने आपका हलका बदल दिया। क्या दिक्कत नहीं आएगी नए हलके में आपको। अर्की से कांग्रेस काफी साल से हार रही है। मेरे वहां से लडऩे से पार्टी को मजबूती मिलेगी। अर्की के लोगों का मुझसे बहुत प्यार रहा है। अर्की से चुनाव को मैंने एक चैलेंज के रूप में लिया है। अर्की सीट ही नहीं, सोलन जिले की सभी सीटें कांग्रेस जीतेगी। अर्की सीट पिछले 15 साल से कांग्रेस नहीं जीती और इसलिए मैं इस सीट पर अपनी इच्छा से उतरा हूँ।
किस मुद्दे पर आप जनता के बीच हैं और कितनी संभावनाएं कांग्रेस के लिए देखते हैं। कुछ बागी भी मैदान में हैं। कांग्रेस पार्टी विकास के मुद्दे पर जनता के बीच जाएगी और फिर से मजबूत सरकार बनाएगी। राज्य में अथाह विकास हुआ है और इसके बूते हम सत्ता में फिर आएंगे। चुनाव में टिकट को लेकर खींचतान रहती है और कई नाराज़ होकर निर्दलीय चुनाव में उतर जाते हैं। यह केवल कांग्रेस में ही नहीं होता, बल्कि हर दल में ऐसा होता है।
मैदान में 338 उम्मीदवार
विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 338 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाएंगे। भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी पार्टी के बागियों को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनमें से कुछ ने तो नामांकन वापस ले लिया पर कुछ अभी भी मैदान में डटे हुए हैं। कुल मिलाकर इस बार प्रदेश की 68 सीटों के लिए 338 उम्मीदवार मैदान में है। शिमला जिला से 38 उम्मीदवार चुनावी मैदान में रह गए हैं। सिरमौर जिला में 19, चंबा जिला में 21 जबकि ऊना जिला में 22 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं। अतिरिक्त निर्वाचन अधिकारी डीके रतन के मुताबिक हमीरपुर में 28, मंडी जिला में 58, सोलन जिला में 21, बिलासपुर से 14, किन्नौर और लाहौल स्पीति में क्रमश: 5 और 4 उम्मीदवार, कुल्लू से 14, कांगड़ा जिला में सबसे ज्यादा 94 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं। गौरतलब है 2012 में विधानसभा चुनाव के लिए459 उम्मीदवार मैदान में कूदे थे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
पिछले पांच साल में हमने जो काम किया है वह प्रदेश में पार्टी की सरकार दुबारा बनाने का लिए हमारा मुख्य आधार है। केंद्र में मोदी सरकार के प्रति लोगों में बहुत नाराज़गी है और जनता फिर भाजपा को वोट नहीं देना चाहती। हिमाचल के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए राष्ट्रीय स्टार पर असर डालेंगे। कांग्रेस हिमाचल में बहुत एकजुट होकर चुनाव में उतरी है। हमारी तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा भी हो चुकी है जिसका हमें लाभ मिलेगा। जबकि भाजपा का चेहरा कौन होगा यही वह तय नहीं कर पाई है जिससे साफ लगता है उसे अपनी जीत की उम्मीद ही नहीं है। हमारे कार्यकर्ताओं में जोश है और हम भाजपा के मुकाबले मैदान में प्रचार में बहुत आगे हैं। अगले महीने के शुरू में हमारे राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए आने वाले हैं जिनमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं। इसके अलावा बहुत से पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी के प्रचार के लिए अक्तूबर के तीसरे पखवाड़े से ही हिमाचल आ चुके हैं। खुद मैंने अध्यक्ष के नाते तमाम हलकों के लिए नेताओं को जिम्मेवारी सौंपी है और संगठन को चुनाव प्रचार में गति दे रखी है। भाजपा के खिलाफ बहुत से मुद्दे हैं इन्हें हम लोगों के सामने उठा रहे हैं। हमारे बागी चुनाव मैदान से हट चुके हैं। आधिकारिक उम्मीदवार पूरी ताकत से मैदान में जुटे हैं।