दिल्ली में करोल बाग के एक होटल में मंगलवार की भोर में आग लगी। इस आग का फैलाव इतना ज़्यादा था कि सुबह होते-होते 17 लोगों की मौत हो चुकी थी। देश की राजधानी में आग से निपटने के ज़रूरी बंदोबस्त नहीं हैं। आग से बचकर निकलने वाले आपालकाल रास्ते का दरवाजा बंद था और ज़्यादातर को उसकी जानकारी भी नहीं थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मौके का मुआयना किया और मेजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी किए। होटल अर्पित पैलेस के मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया गया है। होटल का मालिक फरार है।
करोलबाग के इस होटल में पंचकूला के आईआरएस अधिकारी, म्यांमार के तीन पर्यटक, केरल से विवाह के सिलसिले में आई एक पार्टी के लोग मारे गए। दिल्ली पुलिस के अनुसार इस होटल में 37 कमरों में 53 लोग रह रहे थे। इसमें म्यांमार, अफगानिस्तान, कंबोडिया और युके से आए हुए लोग भी थे। आग लगने की सूचना मिलने पर सुबह ही सुबह पौने पांच बजे पांच फायर टेंडर पहुंचे। लेकिन वे गाड़ी पर लदी सीढ़ी न खोल पाने के कारण होटल की छठी मंजि़ल तक नहीं पहुंच पाए। बाद में फायर ब्रिगेड की 27 और गाडिय़ां पहुंची। कमरों के शीशे तोड़कर फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने आग में फंसे लोगों को बाहर निकाला।
अधिकारियों के अनुसार इस इलाके में ज़्यादातर मकानों को सिर्फ चार मंजिला रखने की हिदायत है। अब अधिकारी इस बात की छानबीन कर रहे हैं कि इस होटल ने पांचवीं और छठी मंजि़ल किस की अनुमति से बनाई। हर मंजिल पर लगे आग बुझाने वाले यंत्र तो थे लेकिन वे काम नहीं करते थे। घायलों के अनुसार संभवत: रात में डेढ बजे के बाद आग शार्ट सर्किट होने से लगी। होटल प्रबंधन सतर्क नहीं था। जबकि बिजली बोर्ड पर कोई भी स्विच दबाने से सनसनाहट होती थी। होटल में बार रूम और किचन ऊपर ही थे। अधिकारियों का अनुमान है कि आग ऊपर से ही लगी। जो धीरे-धीरे फैलती गई।
दिल्ली में और दिल्ली की सीमा से बाहर 20 किलोमीटर की परिधि में मौजूद बहुमंजिला व्यवसायिक, आवासीय इमारतों, अस्पतालों और होटलों में आग से सुरक्षा के इंतजाम सिर्फ कागजों में हैं। आग लगने या कोई बड़ा हादसा होने पर दिल्ली प्रशासन, दिल्ली पुलिस और जिला पुलिस सक्रिय होते हंै। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ज़्यादातर होटल, आवासीय क्षेत्र, अस्पताल और नर्सिंग होम सुरक्षा मानकों की अनदेखी करके बने हैं। जिस तरह बस्तियों का फैलाव दिल्ली में हुआ है उस तरह से दिल्ली और उसके आसपास सुरक्षा प्रबंध नहीं के बराबर हंै। अग्निशमन दस्तों में भी 50 फीसद पद खाली हैं और आग बुझाने वाले वाहनों और उपकरणों की खासी कमी है।