अब देश की राजधानी दिल्ली की चमक कुछ फीकीं सी दिखने लगी है। इसे कोरोना काल का साया का असर कह लें या फिर शासन-प्रशासन की अनदेखी। कोरोना काल के कारण व्यवस्थायें ध्वस्त हुई है। लेकिन इसका इतना बुरा असर होगा ,उसका तो अंदाजा तक नहीं था। दिल्ली में सड़कों हालत जर्जर है। अब दिल्ली में बिजली की कटौती आम बात हो रही है। कोरोना संक्रमण से बचाव के तौर पर दिल्ली परिवहन की बसों में सिर्फ 17 लोगों को ही बैठाया जा रहा है। जो एक भद्दा मजाक है । क्योंकि छोटी सी आटों में 5 और 6 सवारी बैठायी जा रही है और जो प्राववेट बस है, जो किसी ना नेताओं की है। उनमें सवारियों को ठूंस –ठूस कर भरा जा रहा है। जो संक्रमण फैलाने का प्रमुख कारण बन सकता है।
और तो और जब दिल्ली सरकार की परिवहन बसें नहीं आती है और आती है तो पहले से ही 17 सवारी बैठी होती है। इसके कारण सवारियां बसों में नहीं बैठ पाती है । सो वे सवारियां जो सैकड़ों में बस स्टाँप पर खड़ी रहती है। उससे भी जमकर संक्रमण फैल रहा है। सड़क किनारों पर लगें पेड़ों की हालत और पार्कों की मुरझायीं हालत देखकर कोई भी कह सकता है। सरकार कागजों में कोरोना के खिलाफ अभियान में ध्यान दें रही है। धरातल में कुछ और ही है। जिससे जनता को काफी परेशानी हो रही है।भाजपा नेता व केन्द्रीय फिल्म बोर्ड के सदस्य राजकुमार सिंह का कहना है कि दिल्ली सरकार की आप पार्टी की सरकार अपने विज्ञापनों के जरिये सरकार के कामों को बखान करती रहती है । जिसका जमीनी स्तर पर कोई लेना देना नहीं है। राजधानी दिल्ली में विकास काम ठप्प सा दिख रहा है।