आधुनिक लड़ाकू जेट रफाल बुधवार को भारत पहुंच गया। पांच लड़ाकू रफाल विमानों ने खुशगवार मौसम के बीच अंबाला एयरबेस पर 3.10 बजे लैंडिंग की। चीन से तनाव के बीच भारत की सेना इससे और ताकतवर हो गयी है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया इस मौके पर उपस्थित थे। अंबाला के एयरबेस पर लैंडिंग के समय वहां जबरदस्त जोश का माहौल दिखा और उन्हें ‘वाटर सैल्यूट’ दिया गया। इन पांच रफाल के भारत की सीमा में प्रवेश करते ही दो सुखोई 30 एमकेआई फाइटर ने अंबाला तक एस्कॉर्ट किया। रफाल फाइटर खरीदने का फैसला मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के वक्त हुआ था। उधर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया है कि फ्रांस से भारत आते हुए रफाल फाइटर यूएई में जिस एयरबेस पर ठहराव के लिए रुके थे, उस एयरबेस के पास ईरान की कुछ मिसाइल गिरी थीं, जो वास्तव में उनके अभ्यास का हिस्सा थीं।
लैंड करने के बाद वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने उन पांचों पायलट का स्वागत किया, जो इन्हें यहां लेकर आये हैं। उन्होंने उनसे कुछ देर बात भी की। लैंडिंग के बाद रफाल को अंबाला एयरबेस के हैंगर में ले जाया गया। रफाल की लैंडिंग से पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी और वहां धारा 144 लगा दी गयी थी। लोगों को रफाल लैंडिंग की तस्वीरें लेने से सख्त मना किया गया था। मीडिया को भी इसकी मनाही थी।
इस रफाल की खासियतों के मुताबिक इसकी लंबाई 15.30 मीटर जबकि चौड़ाई 10.80 मीटर है और इसका वजन 15000 किलो (हथियारों के साथ) है। इसकी गति 2450 किमी प्रति घंटा है जबकि रेंज 3700 किलोमीटर है। पांच विमानों का पहली खेप सोमवार को फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोरदु में मेरिग्नैक एयरबेस से रवाना हुई थी। ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर अंबाला पहुंचे।
इन विमानों में तीन एक सीट वाले और दो विमान दो सीट वाले हैं। विमानों को अब से कुछ देर बाद अनौपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन नंबर 17 में शामिल किया जाएगा, जिसे ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से भी जाना जाता है। वैसे, इन विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए मध्य अगस्त (संभवता 20 अगस्त) के आसपास समारोह आयोजित किया जाएगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक रफाल जेट का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयरबेस पर जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के हासिमारा बेस पर रहेगा। अंबाला एयरबेस को भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान सीमा महज 220 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत ने जो कुल 36 रफाल विमान खरीदे हैं, उनमें से 30 लड़ाकू विमान जबकि छह प्रशिक्षु विमान हैं।
उधर कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत के पांच रफाल लड़ाकू विमान यूएई के जिस अल-धाफरा बेस पर ठहराव के लिए रुके थे, उसके पास यह ईरानी मिसाइल गिरी थीं। यही मिसाइल ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के सैन्य अभ्यास के दौरान की बताई गयी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरानी मिसाईलें यूएई के अल-धाफरा बेस के पास गिरीं जिन्हें वास्तव में अभ्यास के दौरान होरमुज़ की खाड़ी में नकली अमेरिकी युद्धपोत पर दागी गई थीं। हालंकि, इससे रफाल को कोई खतरा नहीं बना।