जिन लोगों की ज़िम्मेदारी रक्षा की हो, अगर उन्हीं की जान जोखिम में पड़ जाए, तो फिर सुरक्षा कौन करेगा। कुछ दिन पहले गोरखपुर के गोरखनाथ मन्दिर में ऐसी ही घटना घटी, जिससे सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा चौकसी पर सवालिया निशान तो लगे ही हैं। साथ ही यह भी आशंकाएँ खड़ी हुई हैं कि हमले की योजनाओं को देश में हवा दी जा रही है।
विदित हो कि कुछ दिन पहले गोरखनाथ मन्दिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर जानलेवा हमला हुआ था। इस मन्दिर पर हमले का अर्थ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुरक्षा चक्र पर हमले जैसा ही है, क्योंकि गोरखनाथ मन्दिर के महंत योगी आदित्यनाथ ही हैं। हालाँकि इस हमले के बाद गोरखनाथ मन्दिर, योगी आदित्यनाथ और उनके सरकारी आवास की सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है। योगी के आवास की सुरक्षा में केंद्रीय सुरक्षा बलों की दो प्लाटून लगे हैं, जिसमें 72 जवान तैनात हैं। इस सुरक्षा चक्र में सीआरपीएफ की 233 बटालियन की अल्फा यूनिट भी है। तैनात जवानों में महिला व पुरुष दोनों हैं।
हमलावर का नाम अहमद मुर्तज़ा अब्बासी है, जो सब जानते ही हैं। मगर यह एक पढ़ा-लिखा भारतीय नागरिक है, जिसके रिश्ते आईएसआईएस से बताये जाते हैं। लखनऊ के सेंट जॉन बॉस्को स्कूल में शुरुआती पढ़ाई करने वाले अहमद मुर्तज़ा अब्बासी ने 12वीं तक की पढ़ाई मुम्बई और फिर उसका आईआईटी मुम्बई में भी चयन हुआ, जहाँ से उसने स्नातक की पढ़ाई की। मुर्तज़ा के तार नेपाल और आईएसआईएस से मिले हैं। वह अंतरराष्ट्रीय सिम कार्ड का इस्तेमाल करता था और उसके बैंक अकाउंट में 20 लाख रुपये की मोटी रक़म के अलावा कई ठिकाने मिले हैं, जहाँ वह जिहाद की गतिविधियाँ चलाता था। एटीएस टीम ने उसके $करीब आधा दर्ज़न ठिकानों पर छापेमारी करके क़रीब एक दर्ज़न संदिग्धों को गिरफ़्तार किया है। पूछताछ और वीडियो की जाँच में पता चला है कि मुर्तज़ा एनआरसी, सीएए, हिजाब और मुस्लिम समुदाय के प्रति चल रहे मसलों को लेकर नाराज़ था।
जिहाद के लिए फंडिंग
गोरखनाथ मन्दिर पर हमले से पहले अहमद मुर्तज़ा अब्बासी ने कई बैंक खातों के ज़रिये फंडिंग की थी। उसने 29 डॉलर से विदेशी सिम ख़रीदकर उसकी मदद से प्रतिबंधित वेबसाइट्स को सर्च करके उन पर जिहादी वीडियो देखता था। मुर्तज़ा का एक मिनट 49 सेकेंड का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह हमले का कारण बता रहा है। मगर इस वीडियो को उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने इस वीडियो को सत्यापित नहीं किया गया है। जब पुलिस ने उसे पकडऩे की कोशिश की, तो उसने हमला करने की कोशिश की, जिसमें उसका हाथ भी टूट गया। गिरफ़्तारी वाले दिन ही कोर्ट ने उसके ख़िलाफ़ बी वारंट और रिमांड लैटर एटीएस की टीम को दे दिया, जिसके बाद उसे लखनऊ ले जाया गया। इस मामले की जाँच में उत्तर प्रदेश पुलिस के अलावा एटीएस और एसटीएफ की टीमें लगी हैं। गिरफ़्तारी के बाद मुर्तज़ा के पास से नेपाली करेंसी और डॉलर भी मिले। बताया जाता है कि मुर्तज़ा ने कुछ समय नौकरी भी की थी, जिससे जुटाये गये पैसे उसने अपनी जिहादी गतिविधियों में लगा दिये थे।
कैसे सम्भव हुआ हमला?
सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आम लोग हर रोज़ उनके आवास और गोरखनाथ मठ में आते रहते हैं। ऐसे में पुलिस निश्चिंत रही होगी कि लोग तो आते ही रहते हैं। क्योंकि हमले का जो वीडियो सामने आया है, उसमें मुर्तज़ा बड़े आराम से हमला करता दिख रहा है और एक पुलिसकर्मी पीछे आराम से अपने हाथ बाँधे उसे देख रहा है। एक बार को तो वीडियो देखकर ऐसा लगता है, जैसे किसी फ़िल्म की शूटिंग चल रही हो। मगर सुरक्षा के मामले में इस तरह के विचार ठीक नहीं। क्योंकि यह एक बड़ी चूक है। इसी चूक का फ़ायदा उठाकर मुर्तज़ा मन्दिर प्रांगण में दाख़िल हुआ और उसने बेख़ौफ़ होकर हमला कर दिया। विदित हो कि मुर्तज़ा ने गोरखनाथ मन्दिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर इसी बीती 3 अप्रैल को शाम के क़रीब 7:15 बजे धारदार हथियार से हमला किया था।
अब गोरखनाथ मन्दिर के मुख्य द्वार तक किसी भी गाड़ी के जाने पर पूरी तरह रोक लगी हुई है। मन्दिर और मुख्यमंत्री आवास पर जाने वालों पर पैनी नज़र रखी जा रही है और उनके पहचान पत्र देखे जा रहे हैं। आवास के द्वार पर बुलेट प्रूफ पोस्ट लगायी गयी है।
योगी का सुरक्षा चक्र
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा में जेड प्लस सिक्यूरिटी लगी हुई है। योगी की सुरक्षा में 24 घंटे लगभग 28 एनएसजी कमांडो तैनात रहते हैं। अब मन्दिर पर हमले के बाद इसमें और मज़बूती लाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश में सबसे मज़बूत सुरक्षा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हो गयी है। देखने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा के साथ-साथ उनके आवास से लेकर गोरखनाथ मन्दिर तक की सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी है। मन्दिर परिसर पर पुलिस और सैन्य बलों की गिद्ध नज़र तो रहती ही है, सीसीटीवी कैमरों की निगरानी भी बहुत मज़बूत है। इसके बावजूद हमलावर अहमद मुर्तज़ा अब्बासी आराम से हथियार लेकर मन्दिर प्रांगण में उपस्थित हो जाता है, तो इस पर सवाल उठने चाहिए और मामले की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए। यह तब होता है, जब मन्दिर के द्वार पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। हमलावर इतने आराम से सब कुछ करता है, मानो वह किसी के इशारे पर काम कर रहा हो।
इधर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उसके पिता के बयान के आधार पर मुर्तज़ा के मानसिक रोगी होने की बात को साझा किया है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमें इस बारे में भी ध्यान देने की आवश्यकता है। भाजपा मामलों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है। अखिलेश यादव के बयान पर भाजपा नेता उन पर भड़क गये हैं।
जो भी हो, अब मन्दिर के प्रदेश द्वार पर सुरक्षा और भी मज़बूत कर दी गयी है। मन्दिर द्वार पर बुलेट प्रूफ जैकेट पहने जवानों की तैनाती कर दी गयी है। इसके अतिरिक्त प्रवेश द्वार पर अत्याधुनिक स्कैनर लगाया जाएगा, जिसमें से होकर जाने वाला कोई भी व्यक्ति अगर एक सूई भी लेकर मन्दिर में जाने का प्रयास करेगा, तो पकड़ा जाएगा।