राम राज्य के दावों के उपरांत भी उत्तर प्रदेश अपराधों से मुक्त नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराधियों एवं माफ़ियाओं को चेतावनी के उपरांत भी उत्तर प्रदेश में अपराधी निडर हैं। एक ओर मुस्लिम अपराधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चेतावनी से घबराये हुए हैं, मगर दूसरी ओर अन्य अपराधियों ने आतंक मचाकर रखा हुआ है। इन अपराधियों का भय इतना है कि पुलिस भी इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से डर रही है।
अतीक-अशरफ़ हत्याकांड, उसके उपरांत एक अन्य अपराधी की न्यायालय में गोली मारकर हत्या के बाद मुख़्तार अंसारी के क़रीबी संजीव जीवा की भी न्यायालय में न्यायाधीश के सामने हत्या हुई। तीनों ही मामलों में मारे गये अपराधी पुलिस हिरासत में थे। हरदोई में डिप्टी कमिश्नर के ही पिता की पीट-पीटकर हत्या हुई। कोसीकलां में महंत हरिदास की हत्या हुई। जालौन में सिपाही की हत्या हुई। ये घटनाएँ बताती है कि उत्तर प्रदेश में अपराध नहीं घटा है, वरन् अपराधी बदल गये हैं। अपराधी मुख्यमंत्री योगी के अपराध के ज़ीरो टॉलरेंस दावे को सरेआम धता बता रहे हैं। पुलिस की भूमिका कहीं संदिग्ध दिखती है, तो कहीं लीपापोती वाली। समाजवादी पार्टी के एक नेता कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ से अपराधी नहीं, वरन् पुलिस डरी हुई है। पुलिस को डर है कि उसने सभी तरह की आपराधिक घटनाओं पर एफआईआर की, तो योगी आदित्यनाथ का कहर अपराधियों पर टूटे-न-टूटे पुलिस पर अवश्य टूटेगा। क्योंकि उसे मुख्यमंत्री योगी की छवि को देवता की तरह दिखाना है, जो कि वास्तव में है नहीं। प्रदेश में एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष 154.4 अपराध दर है।
अपराध जारी
हर दिन समाचार पत्रों के पन्ने जब पलटो, तो दो-चार आपराधिक घटनाओं से सामना होना आम बात होती है। शायद ऐसा कोई ही जनपद होगा, जहाँ कोई छोटी बड़ी घटना हर दिन न होती हो। कुछ बड़ी आपराधिक घटनाएँ बीते दिनों ऐसी हुईं, जो मन को झकझोर गयीं। पीलीभीत में एक किशोरी से सामूहिक बलात्कार करने वालों के विरुद्ध पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की, जिसके चलते किशोरी के पिता ने आत्महत्या कर ली। पुलिस एफआईआर दर्ज करने की जगह उलटे किशोरी एवं उसके परिजनों पर समझौते की दबाव बनाती रही। कहा जा रहा है कि किशोरी दलित थी एवं बलात्कारी सवर्ण यही वजह रही कि पुलिस अपराधियों को पकडऩे की जगह पीडि़तों को प्रताडि़त करती रही।
कुछ दिन पूर्व प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लूटपाट की घटना की एफआईआर दर्ज कराने के लिए पीडि़त तीन दिन तक थाने के चक्कर लगाते रहे। कुछ दिन पहले सरकारी अधिकारी के घर में घुसकर उनकी पत्नी की हत्या भी लखनऊ में ही हुई। पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी। अत्यधिक दबाव के उपरांत पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
मुरादनगर में पुलिस चौकी के पास एक शोरूम संचालक की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। रामपुर जनपद में माँ-बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। घर में डकैती भी हुई। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली, मगर घटना को संग्दिध बताने में जुट गयी। जब पुलिस पर राजनीतिक दबाव पड़ा, तब उसने तीन में से एक आरोपी को पकड़ा। लखनऊ में ही 10वीं की बच्ची से गैंगरेप करके अपराधियों ने उसे तीसरी मंज़िल से फेंक दिया।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले में पुलिस पर दबाव बनाया। तब पुलिस ने एक को पकड़ा। ग़ाज़ियाबाद में अचल संपत्ति विवाद को लेकर अपराधियों ने दुकान में घुसकर एक व्यापारी की हत्या कर दी।
निशाने पर दलित और व्यापारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में दलितों एवं व्यापारियों पर अत्याचारों की बड़ी सूची है, जो लगातार विस्तार पाती जा रही है। अपराधियों को चेतावनी देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में अपराधी तो नहीं डरे, दलित एवं व्यापारी अवश्य डरे हुए हैं। दलितों एवं व्यापारियों से अपराधियों की कौन-सी शत्रुता है, इसका जवाब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देना चाहिए। योगी आदित्यनाथ के पहले शासन से लेकर दूसरे शासन के अब तक के समय में दलितों पर अत्याचार के मामले सबसे अधिक दिखते हैं।
महिलाएँ असुरक्षित
अपने पहले कार्यकाल में महिला हेल्पलाइन फोन नंबर शुरू करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार महिला सुरक्षा में फेल होती नज़र आयी। योगी आदित्यनाथ सरकार एक ने मिशन शक्ति अभियान एवं एंटी रोमियो अभियान चलाये, मगर महिलाओं पर अत्याचार नहीं रुके। अपराधियों की हिम्मत इतनी बढ़ी हुई है कि वे इन सब अभियानों की परवाह किये बिना ही हर दिन अपराध करते रहे एवं आज भी कर रहे हैं। यहाँ तक कि योगी राज में अपराधों में साधुओं, नेताओं तक के नाम आये हैं।
वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोबारा कई वादे किये, जिनमें महिला पुलिसकर्मियों को 10,417 स्कूटी देने का वादा, प्रदेश के हर जनपद में 40 पुलिस पिंक बूथ खोलने का वादा। योगी आदित्यनाथ ने अभी तक यह वादा पूरा किया या नहीं? इसका उत्तर उन्हीं के पास होगा; मगर यह बात किसी से नहीं छिपी है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के लिए महिलाओं, बच्चियों से बलात्कार करना, लूटपाट करना एवं किसी की हत्या करना कोई बड़ी बात नहीं। ऊपर से धन्य है योगी आदित्यनाथ के राम राज्य के समय की यह पुलिस, जो पीडि़तों पर समझौते का दबाव बनाती है, तो कभी एफआईआर दर्ज ही नहीं करती।
सरकार के दावों की स्थिति
उत्तर प्रदेश में अपराधी थर-थर काँप रहे हैं। अपराधी पहली बार इतने भयभीत हैं। प्रदेश में छिपे हैं अन्यथा भाग गये हैं। कुख्यातों पर ज़ीरो टालरेंस प्रहार से क़ानून व्यवस्था चकाचक है। प्रदेश में शान्ति व्यवस्था स्थापित हो चुकी है। कोई भी आधी रात को अपने घर जा सकता है। महिला सुरक्षा को नयी ऊँचाइयाँ मिल रही हैं। ऐसे दावे हर एक-दो महीने के अंतराल से तो कभी महीने में एक-दो बार समाचार पत्रों में पढऩे एवं टीवी चैनलों पर सुनने को मिल जाते हैं। मगर ऐसे समाचरों के समक्ष ही दूसरे समाचार पढऩे एवं सुनने को मिलते हैं कि उक्त स्थान पर बलात्कार हो गया। उक्त स्थान पर सामूहिक बलात्कार हो गया। उक्त जनपद में बलात्कार के उपरांत हत्या कर दी गयी। उक्त जनपद में लूटपाट हो गयी। उक्त जनपद में दलितों की सवर्णों ने पिटायी कर दी। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ इन घटनाओं पर संज्ञान लेने की जगह अपनी प्रशंसा के पुल बाँधे रहते हैं एवं दावा करते हैं कि उनकी सरकार में माफ़िया, अपराधी सब डरे हुए हैं। अपराधियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज न होना, यदि किसी अपराधी को पुलिस ने पकड़ भी लिया हो, तो उसकी जाति एवं धर्म के आधार पर दण्ड मिलना एवं बरी होना यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ प्रदेश में अपराधियों के मामले में पक्षपाती हैं। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती कि राजा भैया एवं बृजभूषण सिंह जैसे आपराधिक आरोपों से घिरे नेता उनके राम राज्य में खुले घूम रहे हैं। इससे पहले हाथरस कांड के आरोपी बरी हुए। उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर न्यायालय भी अनेक बार कटु टिप्पणी कर चुके हैं, मगर योगी आदित्यनाथ सरकार पर इसका कोई असर दिखायी नहीं दिया।
मुठभेड़ में अव्वल प्रदेश पुलिस
उत्तर प्रदेश में अपराधों पर भले ही अंकुश न लगा हो मगर मुठभेड़ अत्यधिक हुई हैं। आँकड़ों की मानें, तो 20 मार्च, 2017 से मार्च, 2023 के बीच पुलिस और अपराधियों के बीच 10,713 मुठभेड़ हुईं, जिनमें 184 अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया है। इसका अर्थ यह है कि योगी सरकार के शासन में उत्तर प्रदेश पुलिस अपराधियों को बिना न्यायालय से सज़ा दिलाये स्वयं सज़ा दे रही है। सत्य यह भी है मार्च, 2017 से लेकर मार्च, 2023 तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने 23,069 अपराधियों को गिरफ़्तार किया है; मगर अपराध रोकने में प्रदेश पुलिस नाकाम ही रही है।
सरकार को घेरते रहे हैं अखिलेश
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हर दिन प्रदेश में घटने वाली आपराधिक घटनाओं को लेकर घेरते रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चियों पर अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष पर है। भाजपा सरकार में क़ानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो चुकी है। दिन-दिहाड़े सडक़ों पर हत्याएँ हो रही हैं; मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस सच को नकारने में लगे हैं। योगी सरकार क़ानून व्यवस्था सँभालने में पूरी तरह से विफल है।
लोगों ने न्याय की उम्मीद छोड़ दी है। संविधान एवं लोकतंत्र को बचाने के लिए जनता को एकजुट होकर भाजपा को हराना होगा, तभी प्रदेश में दोबारा से लोकतंत्र, संविधान, न्याय और क़ानून व्यवस्था की पुनस्र्थापना हो सकती है। मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी पूर्ववर्ती अखिलेश यादव की सरकार पर अपराधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहते हैं। अतीक अहमद एवं अशरफ़ को लेकर योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर ही तंज कसा था। उन्होंने अखिलेश पर माफ़िया एवं अपराधियों को पालने तक का आरोप लगाया था। मगर सच यह है कि उत्तर प्रदेश में योगी राज में भी अपराधी पनप रहे हैं।
जनता का मत
उत्तर प्रदेश में लगातार घटित हो रही आपराधिक घटनाओं को लेकर जनता का मत भिन्न-भिन्न है। भाजपा कार्यकर्ता देवेंद्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में न्याय व्यवस्था अत्यधिक सही है। पीडि़तों को न्याय मिल रहा है एवं अपराधी डरे हुए हैं।
नारायण सिंह का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे हर दिन अपराध होते हैं मगर उनकी पुलिस अपराधियों के साथ अपने एवं पराये वाले व्यवहार के आधार पर कार्रवाई कर रही है। नरेश चौहान का कहना है कि अपराध तो नहीं रुके हैं, मगर सरकार का प्रयास है कि प्रदेश अपराधमुक्त रहे। अगर अपराधों से उत्तर प्रदेश को मुक्ति नहीं मिल रही है, तो इसमें कहीं-न-कहीं क़ानून व्यवस्था चरमराई हुई है, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ध्यान देने की आवश्यकता है।