ये पब्लिक है कि सब जानती है

एक ओर तो भाजपा आम आदमी पार्टी के विरोध में गली-गली खुली शराब की दुकानों के खिलाफ सड़कों पर है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के नेता आप पार्टी पर देश विरोधी आरोप लगाकर राजनीति चमकाने में लगे है।
लेकिन आप पार्टी का कहना है कि जो भी आरोप आप पार्टी पर लगाये जा रहे है। वो पांच साल पहले भी लगाये जा चुके है। ऐसे में अब दिल्ली की सियासत में भाजपा और आप पार्टी आमने-सामने आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति खेल रही है। लेकिन ये पब्लिक है कि सब जानती है।
दिल्ली के लोगों का कहना है कि पहले कांग्रेस ने फिर भाजपा और अब आप पार्टी के नेता जनता को ठगने में लगे है। इससे जनता पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। जनता का कहना है कि दिल्ली में शराब की दुकानों में जो छूट दी जा रही है। इससे युवा-पढ़ी पर विपरीत असर पड़ रहा है।
दिल्ली के निवासियों का कहना है कि दिल्ली में अगर नगर निगम के चुनाव नहीं होते तो, शायद ये शराब की दुकानों का मामला सामने न आता और न ही भाजपा सड़कों पर होती। चुनाव के बाद न शराब की दुकानों का विरोध होगा और ना ही नेता सड़कों पर होगा।
दिल्ली की राजनीति के जानकार के. डी पाठक का कहना है कि दिल्ली में नगर निगम के चुनाव को लेकर माहौल को राजनीतिक बनाया जा रहा है। जबकि हकीकत तो ये है कि शराब की दुकाने तो पहले ही थी वहीं अभी भी है। हां इतना जरूर है कि शराब की दुकानें कुछ ज्यादा ही खुली है।
दिल्ली के लोगों का कहना है कि ये राजनीतिक जो भी करें लेकिन जनता के हित को देखकर करें  क्योंकि दिल्ली में फ्री की राजनीति के चलते तामाम स्थानों पर विकास कार्य रूका हुआ है। सड़को की हालत जर्जर है।व्यापारियों का कहना है कि केन्द्र की भाजपा और दिल्ली की आप पार्टी की सरकार व्यापारियों की मांगों को नजरअंदाज करने में लगी है। क्योंकि कोरोना काल में जो व्यापार टूटा था ।तब से अभी तक नहीं उठा है। इसलिये व्यापारियों की मांगों का समाधान होना चाहिये।