उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही राजनीतिक दल और टिकटों के तलबगार सक्रिय हो गए हैं। चुनाव जैसी हलचल अब धीरे-धीरे ज़मीन पर दिखने लगी है।
राजनीतिक दल विरोधियों पर तीखे तेवर के साथ आक्रमण कर रहे हैं। चुनावी बिसात बिछने लगी है और भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के नेता कमोवेश हर रोज नगरों, गाँवों और गली-कूचों की ख़ाक छानने लगे हैं। लेकिन दिलचस्प यह है कि यूपी चुनाव की हलचल दिल्ली में भी दिखने लगी है, जहाँ विभिन्न दलों में टिकट चाहने वाले बड़े नेताओं और पार्टी दफ्तरों के चक्कर काटने लगे हैं।
दिल्ली में भाजपा के एक नेता ने बताया पार्टी नेतृत्व के निर्देश भाजपा नेता और कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने बताया – ‘प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के तूफानी दौरों से सपा, बसपा और कांग्रेस सकते में हैं। प्रधानमंत्री मोदी की नवम्बर में प्रदेश में बड़ी रैलियां ने विपक्षियों के होश गुम कर दिए हैं। योगी सरकार के कामकाज ने साफ़ संदेश दिया है कि भाजपा ही प्रदेश में सुशासन ला सकती है।’
बता दें 13 दिसंबर को पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा वे दो और दौरे कर सकते हैं जबकि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और सपा के कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने के लिये रथ यात्रा कर रहे हैं। साथ ही छोटे-छोटे राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन भी कर रहे हैं।
अखिलेश यादव का आरोप है कि भाजपा के शासन काल में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ी है। किसान डीजल-पेट्रोल की महंगी कीमतों से हलकान हैं। योगे सरकार की नाकामी से कोरोना महामारी में लोगों को इलाज कराने के लिए भटकना पड़ा है, जिससे उनमें गुस्सा है।
उधर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी यूपी में जबरदस्त तरीके से सक्रिय हैं। प्रदेश में कांग्रेस के खोये जनाधार को वापस पाने के लिये और कांग्रेस के रूठे नेताओं को कांग्रेस में लाने में जुटी हैं। वे अपनी जनसभाओं में भाजपा के साथ-साथ सपा और बसपा पर हमले कर रही हैं।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भी अब धीरे-धीरे सक्रिय दिखने लगी हैं। उनका दावा है कि सिर्फ बसपा ने ही सभी वर्ग के लोगों को साथ लेकर राजनीति की है। उनका कहना है – ”भाजपा को हार का डर सता रहा है। इसलिये वह धर्म की राजनीति करने लगी है।”
उधर उत्तर प्रदेश की राजनीति की जानकारी रखने वाले विश्लेषक कमल किशोर का कहना है कि यूपी के रण में कोई भी राजनीति दल कुछ भी मुद्दा बना ले, आखिरकार चुनाव आते-आते पूरा चुनाव जाति-धर्म के मुद्दे पर सिमट जाएगा।”