यूक्रेन पर रूस के घातक हमले के बाद देश-दुनिया के बाजारों में सन्नाटा छा गया है। वहीं भारतीय बाजारों में यूक्रेन और रूस के युद्ध को लेकर भय का माहौल है। व्यापारियों का कहना है कि अगर युद्ध लंबा चला तो महगांई व्यापक स्तर पर बढ़ेगी। डीजल-पैट्रोल के दामों में इजाफा होगा।
व्यापारिक गतिविधियों के जानकार अशोक जिन्दल का कहना है कि जब भी कहीं युद्ध होता है। तो देश-दुनिया के बाजारों पर सीधा असर पड़ता है। मौजूदा समय में रूस से भारतीय बाजार में कच्चा माल आता है। साथ ही फार्मास्युटिकल का कारोबार भी जुड़ा है। ऐसे में स्वाभाविक है। कि भारतीय बाजार में आशंका और शंका का माहौल है।
बढ़ती महगांई को भापते हुये देश में जमा खोरी का माहौल बन सकता है। इसलिये हमारी सरकार को इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि बाजार में अफरा-तफरी न मचें। क्योंकि देश में सटोरियों का बोलबाला इस कदर है कि अपने मुनाफे को लेकर वह कोई भी मौका नहीं छोड़ते है। सटोरियों का एक संगठित ग्रुप है। जो आपदा में लोगों के बीच सुनियोजित तरीके से भय और डर का माहौल बनाकर कालाबाजारी करने से नहीं चूकता है।
चांदनी चौक के व्यापारी व चावल का आयात-निर्यात करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि चावलों के दामों में इजाफा तो होने लगा है। अगर युद्ध लंबा चला तो चावल के दाम और भी ज्यादा बढ़ सकते है। इस तरह अन्य खाद्य सामानों के दाम बढ़ने की आशंका बढ़ रही है। ऐसे में सरकार को विशेष नजर बाजार पर ऱखनी चाहिये। अन्यथा सटोरियों का बाजार में बोलबाला बढ़ जायेगा।
आलू-प्याज का थोक का काम करने वाले व्यापारियों का कहना है कि सब्जियों पर महगांई की मार तो डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी के साथ ही बढ़ती है। अगर डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ते है। क्योंकि सब्जियों की फसल उगाने में डीजल की जरूरत होती और वहीं बाजार तक सब्जियों को लाने में किराया-भाड़ा में बढ़ोत्तरी के चलते सब्जियों के दाम बढ़ जाते है।