रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में मानवीय स्थिति को लेकर रूसी-मसौदे के प्रस्ताव पर तटस्थ रुख रखते हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इस प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख नहीं करने के लिए व्यापक रूप से आलोचना की गई है।
यूएनएससी की बैठक में सिर्फ रूस और चीन ने ही प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। हालांकि, बाकी 13 सदस्य अनुपस्थित रहे। इन देशों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के कारण बैठक नाकाम रही। पश्चिम देशों की तरह भारत और यूएई भी मतदान से दूर रहे।
प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करके रूस का समर्थन करने वाले चीन ने कहा कि यूएनएससी को यूक्रेन में मानवीय स्थिति में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने बीजिंग की छह-सूत्रीय पहल की ओर इशारा किया और सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहा कि पक्ष में वोट यूक्रेन में मानवीय स्थिति को प्राथमिकता देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान था।
अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने यूएनएससी को बताया कि ‘रूस हमलावर है, वह आक्रमणकारी है। यूक्रेन में वही एकमात्र पार्टी है, जो यूक्रेन के लोगों के खिलाफ क्रूरता के अभियान में लगी हुई है। वे चाहते हैं कि हमारा प्रस्ताव पास हो जाए। यह एक ऐसा संकल्प है जो उनकी क्रूरता को स्वीकार नहीं करता है।’ ब्रिटेन की प्रतिनिधि ने भी कमोबेश अमेरिका जैसे ही विचार रखे।