अब वो दिन गये, जब कहा करते थे, कि युवाओं में बीमारी होने का खतरा कम होता है और बुजुर्गों में ज्यादा होता है। पर आज के आधुनिक युग में बदलती लाइफ स्टाइल की वजह से युवा भी तमाम बीमारियों के चपेट में आ रहे है।विश्व हेपेटाइटिस डे के अवसर पर डाक्टरों ने कहा कि युवाओं में हेपेटाइटिस का खतरा तेजी से बढ रहा है।लीवर की यह बीमारी कभी भी किसी उम्र में किसी को अपनी चपेट में ले सकती है। फिर भी जागरूक और लक्षणों को पहचान कर इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। इस बीमारी का उपचार एलोपैथ और आर्युवेद चिकित्सा पद्धति में है। जाने-माने आर्युवेदाचार्य डाँ दिव्यांग देव गोस्वामी का कहना है कि हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है।
हेपेटाइटिस ए-में लीवर में सूजन आ जाती है। भूख कम लगती है।यह गंदा पानी और दूषित भोजन से इस का वायरस फैलता है।
हेपेटाइटिस बी-इसमें शरीर में पीलापन आने लगता है इसका वायरस संक्रमित खून से शरीर में फैलता है।जिसकी वजह से उल्टी –दस्त और पेट में दर्द रहता है।
हेपेटाइटिस सी- में दूषित तथा संक्रमित रक्त के चढवानें से इसका वायरस तेजी से फैलता है।
हेपेटाइटिस डी- में जिन रोगियों को हेपेटाइटिस बी और सी है उनको हेपेटाइटिस डी होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसमें रोगी को हल्का सा बुखार आता है।
हेपेटाइटिस ई- में रोगी को बुखार के साथ शरीर में पीलापन आ जाता है और कमजोरी आती है। यह वायरस दूषित खानपान से फैलता है। एम्स के गैस्ट्रो के डाँ अनूप का कहना है कि इस बरसाती मौसम में वायरल बीमारियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है और हेपेटाइटिस वायरल इंफेक्शन के कारण होने वाली एक खतरनाक बीमारी है।हेपेटाइटिस बरसाती मौसम में मानसून में तेज गति से फैलती है। कालरा अस्पताल के निदेशक डाँ आर एन कालरा का कहना है कि आजकल हर कोई आगे बढने की चाहत में स्वास्थ्य को दरकिनार करता जा रहा है।जिसके कारण तमाम बीमारियों की चपेट में आ रहा है। जैसे व्यायाम का अभाव , खान-पान में लापरवाही, तलीय पदार्थो और मंशालेदार भोजन का अत्याधिक सेवन जिससे बीमारी आ रही है। मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार का कहना है कि अगर किसी को कोई भी बीमारी है तो ये निश्चित है उसको दूसरी बीमारी आसानी से चपेट में ले सकती है। उनका कहना है कि लीवर , हार्ट, किडनी जैसी बीमारी का अगर समय पर उपचार ना करवाया जाये तो ये बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। डाँ विवेका कुमार का कहना है कि हेपेटाइटिस का टीका समय पर लगवाये और डाक्टरों द्वारा बताये गये दवाओं का कोर्स पूरा करें जिससे बीमारी को पूरी तरह से काबू किया जा सकें। क्योंकि चिकित्सा के क्षेत्र में नई – नई तकनीकों के जरिये जटिल से जटिल रोगों का उपचार संभव हुआ है।लीवर के रोगियों को शराब का सेवन और सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिये ।